हालात: चीनी मिलों से उठ रहा है गन्ना किसानों का भरोसा
चीनी मिल मालिकान की वादा खिलाफी से किसानों के भरोसे को ठेस पहुंची है।
मुरादाबाद(रईस शेख): चीनी मिल मालिकान की वादा खिलाफी से किसानों के भरोसे को ठेस पहुंची है। मिलों से उनका यकीन भी उठने लगा है। गन्ना मूल्य का भुगतान, ब्याज अदा करने में हीलाहवाली व गन्ना पर्चियों में हेराफेरी से किसानों की चिंता बढ़ी है। कृषि वैज्ञानिक एवं गन्ना किसानों का मानना है कि रंगराजन समिति की रिर्पोट लागू हुए बिना किसानों की समस्याओं का निपटारा नहीं हो सकता। ये है वजह दरअसल चीनी मिलें, चीनी का उत्पादन करने के अलावा एथनाल, शीरा, खोई, प्रेसमड व बिजली का उत्पादन भी करती हैं। इन उत्पादों को मिलें अपने अतिरिक्त मुनाफे के तौर पर देखती हैं। किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान वह चीनी बेच कर करती है। यही समस्या किसान व मिल मालिकों के बीच दरार पैदा कर रही है। रंगराजन समिति की रिपोर्ट में ये स्थिति साफ कर दी गई। रंगराजन समिति की रिपोर्ट रंगराजन समिति की रिपोर्ट लागू कर दी जाए तो गन्ना एवं चीनी उद्योग में सुधार आएगा। समिति की अहम् सिफारिश ये है कि मिल मालिकान को राजस्व में किसानों के साथ साझीदारी करना होगी। अव्वल- सबसे पहले किसानों का एफआरपी के मुताबिक भुगतान कर दिया जाए। दूसरे चरण में उन्हें बाय प्रोडक्ट से होने वाली आमदनी का 70 फीसद दिया जाए। मगर, इन सिफारिशों का दिया जाए। चीनी मिलों पर भरोसे का सवाल ये सच है कि चीनी मूल्य में गिरावट आ रही है। क्या ये सच है कि मिल मालिकान चीनी पर ही निर्भर हैं? बाय प्रोडक्ट से उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है। खोई कागज उद्योग के मैटेरियल के रूप में काम आती है। बिजली का उत्पादन भी होता है। इसकी न सिर्फ मिलों को जरूरत होती है बल्कि सरपल्स बिजली विद्युतग्रहों को बेच दी जाती है। प्रेसमड का इस्तेमाल खाद बनाने में होता है और एथनाल, तेल कंपनियों की जरूरत बनता जा रहा है। शराब व शीरा के रूप में भी बाय प्रोडक्ट बनाए जाते हैं। गन्ने की रिकार्ड पैदावार चालू पेराई सत्र में 3914.38 लाख क्विंटल गन्ने की पैदावार होने का अनुमान है। जबकि बीते सत्र में 3065.66 लाख क्विंटल पैदावार और 2169.08 लाख क्विंटल पेराई हुई थी। 2016-17 में 91.66 लाख क्विंटल, 2017-18 में 98.18 लाख क्विंटल शीरे का उत्पादन हुआ था। किसानों की जुबानी किसान नेता चौधरी हरपाल सिंह, महक व ऋषिपाल सिंह का कहना है कि गन्ने की समस्या से परेशान हैं। सरकार को इसका स्थाई निराकरण करना होगा। नीति की गई है निर्धारित : उप गन्ना आयुक्त
चीनी मिलें शासन की नीतियों के अनुसार उत्पाद की बिक्त्री करती हैं। बाय प्रोडक्ट की नीति भी निर्धारित की गई है।
राजेश कुमार मिश्र, उप गन्ना आयुक्त