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अन्नदाता कर्ज लेकर फसलों की बुझा रहे प्यास, मानसून भी नहीं दे रहा साथ

मानसून दगा दे रहा है। आसमान साफ है, कहीं बदरा छाए भी हैं तो बरसात के आसार नहीं हैं। पांच दिन पहले सिंचाई की थी। आज फिर खेत में दरारें दिखाई देने लगी। फसल बचाना है तो अब फिर से डीजल खर्च करना पड़ेगा। ये किसी एक किसान की दास्तां नहीं, बल्कि हजारों किसानों का दर्द है, जो बरसात न होने से सीने में दबाए बैठे हैं। साहूकार से कर्ज लेकर फसलों की प्यास बुझा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 03:05 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 03:05 PM (IST)
अन्नदाता कर्ज लेकर फसलों की बुझा रहे प्यास, मानसून भी नहीं दे रहा साथ
अन्नदाता कर्ज लेकर फसलों की बुझा रहे प्यास, मानसून भी नहीं दे रहा साथ

मुरादाबाद : मानसून दगा दे रहा है। आसमान साफ है, कहीं बदरा छाए भी हैं तो बरसात के आसार नहीं हैं। पांच दिन पहले सिंचाई की थी। आज फिर खेत में दरारें दिखाई देने लगी। फसल बचाना है तो अब फिर से डीजल खर्च करना पड़ेगा। ये किसी एक किसान की दास्तां नहीं, बल्कि हजारों किसानों का दर्द है, जो बरसात न होने से सीने में दबाए बैठे हैं। साहूकार से कर्ज लेकर फसलों की प्यास बुझा रहे हैं। सूखे ने किसानों के चेहरे की रंगत उड़ा दी है। बरसात नहीं हो रही हैं, नहरें सूखी हैं। राजकीय नलकूप व्यवस्था अन्नदाता की खुशियां छीन रही है। कहीं नलकूपों की गूलें गायब हैं तो कही पाइप फटने से किसान परेशान हैं।दरअसल, खरीफ की मुख्य फसल धान है, जिसे जीवित रखने के हर पांचवें दिन सिंचाई की दरकार है। इसमें झोल हुआ तो पैदावार प्रभावित होगी। यानी समय पर सिंचाई नहीं की गई तो आधी-तिहाई फसल पर ही संतोष करना पड़ेगा। अधिकांश किसानों की लागत भी वापस नहीं लौटेगी।

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बरसात से बचत-

धान की फसल को सबसे अधिक सिंचाई की आवश्यकता है। पौध रोपाई से फसल पकने तक 20-22 सिंचाई की आवश्यकता होती है। एक हेक्टेयर फसल की एक बार सिंचाई पर एक हजार रुपये से अधिक का खर्च आता है। बरसात न होने से सिंचाई का अधिक भार झेलना पड़ता है। जिसके लिए किसानों को कर्ज लेना पड़ता है।

कृषि महकमे का दावा-

कृषि विभाग ने धान की लगभग 85 फीसद रोपाई होने का दावा किया है। जिला कृषि अधिकारी डॉ. सुभाष वर्मा कहते हैं कि बरसात होने से रोपाई कार्य में और तेजी आएगी।

बोले किसान

देवेंद्र सिंह- जगरमपुरा, नरेश प्रताप सिंह- नाजरपुर, जेके यादव- हृदय नाजरपुर, योगेंद्र यादव- रफातपुर का कहना है कि पंपसेट से धान की रोपाई महंगी साबित हो रही है। जुताई, सिंचाई व रोपाई तक एक हेक्टेयर की लागत 15- 18 हजार रुपये तक बैठती है।

बरसात कम हुई है। सूखे के आसार बनने लगे हैं। शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

डॉ. अशोक कुमार तेवतिया, उप कृषि निदेशक


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