दो वोटों से तय होगा जिला पंचायत का सिकंदर
मुरादाबाद : जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर अमरोहा जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गय
मुरादाबाद : जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर अमरोहा जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। हालांकि आज दोपहर तक स्थिति पूरी से स्पष्ट हो जाएगी। 28 जिला पंचायत सदस्यों वाली अमरोहा जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का भविष्य दो वोट तय करेंगे। इनमें भाजपा खेमे से युद्धवीर ¨सह की पत्नी वैशाली व सपा खेमे से इस्तेखार का वोट अहम किरदार निभाएगा। दोनों खेमे इन वोटों पर अपना अधिकार जता रहे हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू चौधरी की कुर्सी को लेकर पिछले एक माह से चल रही उठापटक का निर्णायक मोड़ आ गया है। उनकी किस्मत पर आज लगने वाली मुहर उनका भविष्य तय कर देगी। भाजपा की ओर से जिला पंचायत सदस्य सरिता चौधरी के पति भूपेंद्र सिेह ने 16 जिला पंचायत सदस्यों के समर्थन के साथ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। मगर बाद में चली उठापटक और सपा के शीर्ष नेतृत्व के दबाव में इनमें से दो सदस्यों ने पाला बदलने का पत्र भी जारी कर दिया। इनमें से एक हाजी इफ्तेखार की स्थिति काफी संशय भरी है। एक ओर उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में डीएम के यहां अपना शपथपत्र दिया वहीं दूसरी ओर दबाव पड़ने पर सपा नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के पक्ष में लिखित बयान भी जारी कर दिया। इसके साथ ही वह पूरी निष्ठा के साथ भाजपा खेमे के साथ भी डटे नजर आ रहे हैं। इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य वैशाली के पति व भाजपा नेता युद्धवीर ¨सह ने लिखित बयान जारी कर जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का दावा कर दिया है। सूत्रों की मानें तो कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान की मंशा तख्ता पलट के पक्ष में नहीं है। ऐसे में युद्धवीर का चेतन चौहान की मंशा के खिलाफ जाना भी संशय भरा है। कुल मिलाकर सोमवार को जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाले मतदान में सपा के जिला पंचायत सदस्य हाजी इफ्तेखार व भाजपा नेता युद्धवीर ¨सह की पत्नी वैशाली निर्णायक भूमिका निभाएंगी। इनके अलावा शेष सदस्यों की स्थिति स्पष्ट मानी जा रही है। भूपेंद्र ¨सह को अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 15 मतों की जरूरत है जबकि रेनू चौधरी के सामने अपना ताज बचाने के लिए 14 सदस्यों को थामे रहने की चुनौती है। पूरे प्रकरण में अपरोक्ष रूप से पूर्व कैबिनेट मंत्री महबूब अली और मौजूदा कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान का प्रभावी दखल माना जा रहा है। उधर, तख्तापलट की इस पटकथा के अंतिम सोपान पर सपा व भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी नजरें गड़ाए है, जहां दोनों माननीयों को अपनी निष्ठा जताने की चुनौती भी परेशान कर रही है।