रोडवेज के डीजल घोटाले में टैंकर चालकों के खिलाफ दर्ज होगा मुकदमा
मुरादाबाद :पीतल नगरी डिपो में 24 हजार लीटर डीजल घोटाले का खुलासा होने के बाद रोडवेज प्रबंधन
मुरादाबाद :पीतल नगरी डिपो में 24 हजार लीटर डीजल घोटाले का खुलासा होने के बाद रोडवेज प्रबंधन के साथ इंडियन ऑयल कारपोरेशन के अधिकारी भी सतर्क हो गए हैं। रोडवेज प्रबंधन ने आइओसी के अधिकारियों से कहा कि दोनों टैंकर चालकों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाए।
आइओसी व रोडवेज अधिकारियों के बीच हुई बैठक
-पीतल नगरी डिपो की पंप से 24 हजार लीटर डीजल के घोटाले का मामला कटघर थाने में दर्ज हो चुका है। उसके बाद आइओसी के मुख्य मंडलीय प्रबंधक बरेली अमनदीप सिंह व स्थानीय प्रबंधक नरेंद्र कुमार और क्षेत्रीय प्रबंधक एसके शर्मा के बीच बैठक हुई। जिसमें सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक भी उपस्थित थे। बैठक में रोडवेज अधिकारियों ने कहा कि जांच से साबित हुआ है कि रोडवेज के कर्मचारी व टैंकर चालक की साठगांठ से डीजल पीतल नगरी डिपो में पंप तक नहीं पहुंचता था और बाहर ही बाहर बेच दिया जाता था। दोनों टैंकर के चालक भी डीजल घोटाले में शामिल हैं इसलिए आइओसी दोनों टैंकर चालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए। बैठक में कहा गया है कि डीजल आपूर्ति का मिलान वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर किया जाता है, इस लिए डीजल घोटाले का समय से पता नहीं चल पाता है। लेकिन अब प्रत्येक माह आइओसी व सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक डीजल भेजने व प्राप्त होने के रिकार्ड की प्रत्येक माह जांच करेंगे। तेल कंपनी भी ऐसी व्यवस्था करें कि टैंकर से रोडवेज के पंप के टैंक में ही डीजल उतरे। अगर कहीं डीजल में हेराफेरी की जानकारी मिले तो तत्काल रोडवेज के अधिकारियों को सूचना दें। अब प्रत्येक माह डीजल आर्डर की होगी जांच
-आइओसी के अधिकारियों ने कहा कि रोडवेज की जांच रिपोर्ट की कापी मिल गई है। दोनों टैंकर चालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई की जाएगी। दोनों टैंकरों का डीजल कहां बेचा गया है, इसकी भी जानकारी करने का प्रयास किया जाएगा। एसएमएस पर डीजल घोटाले का खेल
मुरादाबाद : एसएमएस से डीजल का आर्डर देने के साथ ही एसएमएस से ही डीजल का घोटाले को अंजाम दिया जाता था। रोडवेज की जांच में इसका खुलासा हुआ है। रोडवेज व इंडियन आयल कारपोरेशन (आइओसी) इस खेल पर रोक लगाने की व्यवस्था करने जा रहा है।
रोडवेज की विभागीय जांच में पता चला
-रोडवेज में डीजल मांगने के लिए एसएसआइ रोडवेज द्वारा प्रदत्त मोबाइल से आइओसी के अधिकारी को डीजल भेजने का आर्डर देता है। एसएमएस मिलने पर आइओसी टैंकर में डीजल भरकर रोडवेज के पंप पर भेज देता है। टैंकर चालक पांच कापी में डीजल आपूर्ति करने का बिल लेकर जाता है। तीन कापी में रोडवेज के एसएसआइ डीजल प्राप्त करने की लिख देता है और दो कापी एसएसआई अपने पास रख लेता है। डीजल उतरने के बाद आइओसी कंपनी एसएमएस द्वारा एसएसआइ को सूचना भेजता है। आइओसी ने इस खेल को रोकने के लिए की तैयारी
-घोटाले बाज रोडवेज के कर्मचारी डीजल की आपूर्ति करने व डीजल रिसीव होने के एसएमएस को मोबाइल से मिटा देता है और इसकी जानकारी रोडवेज प्रबंधन को नहीं देता है। रिसीव कागज भी फाड़ दिया जाता है। ट्रैंकर चालक को रोडवेज के कर्मचारी एसएमएस भेज देता है और ट्रैंकर चालक डीजल को बीच रास्ते में बेच देता है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद मई माह में कंपनी को कितने आर्डर मिले, कितने टैंकर डीजल भेजा और कितने का भुगतान हो गया, इसकी रिपोर्ट भेज दी जाती है। साथ में एसएमएस का प्रिंट भी होता है। रोडवेज द्वारा इस आर्डर के आधार पर डीजल आपूर्ति का मिलान किया जाता है। इस बीच पंप कर्मियों द्वारा बसों में कम डीजल देकर बेचे गए डीजल की भरपाई कर स्टाक को शून्य कर दिया जाता है। रोडवेज कर्मचारी टैंकर का मिलान करने बजाय कंपनी से आए कुल डीजल और बसों में भरे गए डीजल का मिलान करता है और डीजल को स्टॉक में शून्य दिखा देता है।