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रामपुर के मदरसे में हाजिरी भी लगती बायोमैट्रिक मशीन से

मुरादाबाद: मदरसा जामे उल उलूम फुरकानिया सीबीएसई स्कूलों की तर्ज पर आगे बढ़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 02:57 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 04:37 PM (IST)
रामपुर के मदरसे में हाजिरी भी लगती बायोमैट्रिक मशीन से
रामपुर के मदरसे में हाजिरी भी लगती बायोमैट्रिक मशीन से

मुरादाबाद: रामपुर शहर का मदरसा जामे उल उलूम फुरकानिया सीबीएसई स्कूलों की तर्ज पर आगे बढ़ रहा है। मदरसे में दीनी तालीम के साथ ही अंग्रेजी और कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जा रही है। उन्हे एसी और इलेक्ट्रीशियन की ट्रे¨नग देकर हुनरमंद बनाया जा रहा है। इस मदरसे की सभी क्लास में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। यहां शिक्षकों की हाजिरी भी बायोमैट्रिक मशीन से लगाई जा रही है। रामपुर का यह मदरसा देश के नामचीन मदरसों में शुमार है। इसमें देश के कई राज्यों बिहार, पश्चिमी बंगाल, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, असाम व जम्मू कश्मीर के भी छात्र पढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के भी कई जिलों के छात्र तालीम हासिल कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड से सम्बध इस मदरसे में यूपी बोर्ड की तरह ही ¨हदी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान, कंप्यूटर साइंस आदि विषयों की पढ़ाई होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि यूपी बोर्ड के स्कूलों में पढ़ाई का माध्यम ¨हदी होता है और मदरसे में माध्यम उर्दू है। यहां प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूल की शिक्षा के आगे मौलवी, आलिम व कामिल की तालीम दी जाती है। मौलवी को हाईस्कूल, आलिम को इंटर और कामिल को स्नातक के समकक्ष मान्यता मिली है। इस मदरसे में पढ़े छात्रों का यूपी बोर्ड के सभी स्कूलों और विश्व विद्यालयों में दाखिला हो जाता है। मदरसे की स्थापना 1950 में हुई। इस समय मदरसे में 700 छात्र हैं। इनमें 400 छात्रावास में रहते हैं। मदरसे में 46 शिक्षक हैं, इनमें 14 का वेतन प्रदेश सरकार देती है। मदरसे में सभी क्लास में 30 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और शिक्षकों की हाजिरी बायोमैट्रिक मशीन से लगती है। छात्रों को बना रहे हुनरमंद मदरसा प्रबंध कमेटी के सचिव डा. शायर उल्लाह बताते हैं कि छात्रों को हुनरमंद भी बनाया जा रहा है। इसके लिए मदरसे में मिनी आइटीआइ की स्थापना की गई है। एसी, कम्प्यूटूर व इलेक्ट्रीशियन की ट्रे¨नग दी जा रही है। इसका एक साल का कोर्स है। इसके लिए मदरसे ने अपने पास से ही सारी व्यवस्था की है। दस कंप्यूटर भी लगाए हैं। तीन ट्रेनर भी हैं। कोर्स पूरा करने पर छात्रों को प्रमाण पत्र भी दिए जाते हैं। पिछले साल छात्रों को कंप्यूटर और एयर कंडीशनर कोर्स के प्रमाण पत्र बांटे गए, जिसमें टेक्सास यूनिवर्सिटी अमेरिका में इस्लामियात के प्रोफेसर डॉ. जफर अली अंजुम मुख्य अतिथि रहे। तब उन्होने छात्रों की हौंसला अफजाई करते हुए कहा था कि उन्होने भी मदरसा फुरकानिया में ही हिफ्ज किया और फिर अरबी तालीम हासिल की। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी गए और पीएचडी के बाद यूजीसी नेट पास किया। छात्रों को टिप्स दिया कि दीनी तालीम के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा पर भी अच्छी पकड़ बनाएं। मुश्किल हालात में भी हिम्मत के साथ आगे बढ़ते रहें। अब हुनरमंदी के क्षेत्र में भी मदरसे के छात्र आगे आएं। ऐसा करने पर कामयाबी उनके कदम चूमेगी।

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