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देखो बढ़ गया दूध का उत्पादन, दूध की नदी बहाकर भी दुबले हो रहे पशुपालक

मुरादाबाद : गांव में बड़े-बजुर्गों का 'दूधों नहाओ, पूतों फलो' का आशीर्वाद फलफूल रहा है। पशुपालकों की मेहनत से दुग्ध उत्पादन में दस फीसद से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूद पशुपालकों की आर्थिक दशा में सुधार नहीं हो सका है। हालांकि इस बार संसद में पेश किए गए बजट में पशुपालकों को भी बैंक कर्ज पर दो फीसद ब्याज की छूट व केसीसी की सुविधा दिए जाने के प्रावधान से उनके सेहतमंद होने की उम्मीद जगी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 03:28 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 03:28 PM (IST)
देखो बढ़ गया दूध का उत्पादन, दूध की नदी बहाकर भी दुबले हो रहे पशुपालक
देखो बढ़ गया दूध का उत्पादन, दूध की नदी बहाकर भी दुबले हो रहे पशुपालक

मुरादाबाद : गांव में बड़े-बजुर्गों का 'दूधों नहाओ, पूतों फलो' का आशीर्वाद फलफूल रहा है। पशुपालकों की मेहनत से दुग्ध उत्पादन में दस फीसद से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। इसके बावजूद पशुपालकों की आर्थिक दशा में सुधार नहीं हो सका है। हालांकि इस बार संसद में पेश किए गए बजट में पशुपालकों को भी बैंक कर्ज पर दो फीसद ब्याज की छूट व केसीसी की सुविधा दिए जाने के प्रावधान से उनके सेहतमंद होने की उम्मीद जगी है।

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देश की जीडीपी में दुग्ध व फिशरीज की हिस्सेदारी 4.5 फीसद

देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में दुग्ध व फिशरीज की हिस्सेदारी 4.5 फीसद है। बात दुग्ध व्यवसाय की करें तो देश के लगभग 15 करोड़ किसान इससे जुड़े हैं। पशुपालन के व्यवसाय से जुड़ाव व कड़ी मेहनत के चलते देश में दुग्ध उत्पादन भी बढ़ता जा रहा है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से मिले आरटीआइ के जवाब में बताया गया कि पिछले वित्तीय वर्ष में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में दस फीसद से भी अधिक का इजाफा हुआ है। इसके चलते अब प्रति व्यक्ति के हिसाब से तीन सौ ग्राम से भी अधिक दूध की उपलब्धता हो गई है।

पशु पालकों की गिरती सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ

इसके बावजूद पशु पालकों की गिरती सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ है। जागरूक किसान चौधरी शिवराज ¨सह कहते हैं कि पशुपालक के दूध की कीमत दुग्ध प्रोसे¨सग यूनिट तय करती हैं। वह 25-30 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध खरीदकर उपभोक्ता को पचास रुपये प्रति लीटर से अधिक के भाव में बेचकर मोटा मुनाफा कमाती हैं। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्किल्ड मिल्क पाउडर की मांग भी तेजी से बढ़ी है। इसके चलते दूध का अधिकांश हिस्सा पाउडर बनाने में ही प्रयोग हो रहा है। हाड़ तोड़ मेहनत के बावजूद पशुपालकों के पास दूध के दाम तय करने का अधिकार तक नहीं है। वहीं देश में कोई चारा नीति न होने के कारण दूध की कमाई का बड़ा हिस्सा चारे में ही खर्च हो जाता है।

दुग्ध उत्पादन एक नजर में-

वर्ष 2016-17 में दुग्ध उत्पादन-165.4 मिलियन टन, प्रति व्यक्ति उपलब्धता-355 ग्राम प्रतिदिन

वर्ष 2017-17 में दुग्ध उत्पादन-176.3 मिलियन टन, प्रति व्यक्ति उपलब्धता-375 ग्राम प्रतिदिन

उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन-29052 मिलियन टन

निर्धारित हों न्यूनतम दाम

देश में 23 फसलों की तर्ज पर सरकार दूध के न्यूनतम दाम निर्धारित करे। इससे डेयरी मालिक किसानों को मनमाने दामों पर दूध बेचने को मजबूर नहीं कर सकेंगे। साथ ही दुग्ध एवं चारा नीति बनाकर दूध उत्पादकों व उपभोक्ताओं के हितों को संरक्षित किया जाए। इस बार बजट में पशुपालकों को कर्ज पर दो फीसद ब्याज की छूट व केसीसी की सुविधा देने के प्रावधान से भी लाभ होगा।

चौधरी शिवराज ¨सह, जागरूक किसान, नाजरपुर नाईपुरा।


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