बाढ़ का खतरा मडराने से ग्रामीण परेशान
मुरादाबाद: रामपुर जिले के स्वार में कोसी नदी किनारे बसे गांव बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबू
मुरादाबाद: रामपुर जिले के स्वार में कोसी नदी किनारे बसे गांव बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर हैं। करोड़ो रुपये की लागत से बना बांध अफसरों की लापरवाही से क्षतिग्रस्त हो गया है। कोसी नदी गांव फाजलपुर बांध से मात्र चार मीटर की दूरी पर चल रही है। यह गांव है गंगा किनारे के
- कोसी नदी किनारें बसे इन गांवों फाजलपुर, इरमता, बजावाला, जालिफ नगला, धनौरी, मधुपुरी, बंदरपुरा, अंधापुरी, सोनकपुर, फरीदपुर, रसूलपुर, खेमपुर, पसियापुरा आदि को हर वर्ष बाढ़ का दंश झेलना पड़ता था। जान माल का भी नुकसान उठाना पड़ता था। इसे गंभीरता से लेकर शासन ने 14 करोड़ की लागत से बांध का निर्माण कराया था। लेकिन ¨सचाई विभाग की लापरवाही के चलते बांध कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है लेकिन ¨सचाई विभाग द्वारा बांध एवं क्षतिग्रस्त स्परों की एस्टीमेट न मिलने का रोना रोकर मरम्मत नहीं करवा रहा है, जबकि कोसी नदी में खनन करने से कोसी नदी की धाराएं प्रभावित होकर रह गई है, जिसके चलते कोसी नदी फाजलपुर घाट से मात्र चार मीटर की दूरी पर है। घाट कट जाता है तो होगा बड़ा हादसा
-अगर कोसी नदी में जलस्तर बड़ा तो बांध कट भी सकता है, जिससे ऐसा लगता है कि ¨सचाई विभाग के आला अफसर किसी बड़ी घटना के इन्तजार में है। वहीं कोसी नदी का जलस्तर घट बढ़ रहा है। ¨सचाई राज्यमंत्री जनपद के होने के बाबजूद ¨सचाई विभाग के आला अफसर बांध के प्रति गंभीर नहीं है।करोड़ो की लागत से बने बांध पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। सहायक अभियंता भानू प्रताप ¨सह ने बताया कि बांध की मरम्मत का एस्टीमेट अधिकारियों को भेजा गया था। पैसा न मिलने कारण बांध की मरम्मत नहीं करवाई गई है। उनका खेत कोसी नदी किनारे है और बाढ़ भी हर वर्ष आती है। खेत में खड़ी फसल नष्ट हो जाती है, जिससे काफी नुकसान होता है।
ठाकुर ¨सह। कोसी नदी खनन करने से धाराएं प्रभावित हुई हैं, जिसके कारण कोसी नदी बांध के बराबर से चल रही है।बांध को खतरा बना है।
असलम खां। कोसी नदी में बाढ़ आने पर पशुओं का चारा नष्ट हो जाता है।कोसी नदी पार कर जानजोखिम में डाल चारा लाना पड़ता है। प्रशासन इस ओर कतई गंभीर नहीं है।
तुलाराम लोधी। मानसून सत्र शुरु हुए एक माह बीत गया है, लेकिन ¨सचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा बांध एवं स्परों की मरम्मत नहीं कराई गई है, जबकि बांध में जगह-जगह दरारें पड़ गईं हैं।
हबीब अहमद।