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सूचना का अधिकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का माध्यम

मुरादाबाद: राज्य मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने मण्डल में कार्यरत जन सूचना एवं प्रथम अपीलीय अधिका

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Dec 2017 02:07 AM (IST)Updated: Sat, 30 Dec 2017 02:07 AM (IST)
सूचना का अधिकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का माध्यम
सूचना का अधिकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का माध्यम

मुरादाबाद: राज्य मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने मण्डल में कार्यरत जन सूचना एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम के अधिकार बताए। उन्होंने वैधानिक आधार पर अपवाद स्वरूप सूचना देने से मना करने की जानकारी दी। कहा कि मनगढ़त कारणों से सूचना उपलब्ध कराने से मना करना नियमानुकूल नहीं है। आरटीआई एक्ट, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर सुशासन एवं गुड गवर्नेस लाने का शक्तिशाली माध्यम है।

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उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 18 हजार जनसूचना अधिकारी एवं 2500 प्रथम अपीलीय प्राधिकारी हैं। सार्वजनिक प्राधिकरण के कार्यकलापों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने के उद्देश्य से आरटीआई अधिनियम 2005 लागू किया गया था। एक्ट 2015 की धारा 27 के अ‌र्न्तगत राज्य सरकार ने सूचना का अधिकार नियमावली बनाई है, जो दिसम्बर 2015 में प्रख्यापित की गई है। अधिनियम के अधीन सूचना प्राप्त करने के लिये शर्ते पूरी करना जरूरी हैं। सूचना प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत अनुरोध में 500 से अधिक शब्द नहीं होने चाहिए। आवेदन शुल्क 10 रुपये का है, जिसको नकद, बैंक ड्राफ्ट, बैंकर्स चैक या भारतीय पोस्टल आर्डर के माध्यम से दिया जा सकता है। जिसका निस्तारण अधिनियम की धारा सात के अ‌र्न्तगत 30 दिन में किया जाता है। द्वितीय अपील 90 दिन के अन्दर निस्तारित की जा सकती है। अगर आवेदन किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतन्त्रता से संबंधित है तो उनका उत्तर 48 घण्टे के अन्दर देना चाहिए।

राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने सूचना न देने पर अधिकारियों पर 25 हजार रुपये अर्थदंड वसूलने व जानबूझकर सूचना उपलब्ध न कराने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानकारी दी। स्टेट रिसोर्स पर्सन राजेश मैथानी ने आरटीआई एक्ट पर विस्तार से प्रकाश डाला। मण्डलायुक्त राजेश कुमार सिंह ने कहा कार्यशाला के आयोजन से आरटीआई एक्ट का क्त्रियान्वयन प्रभावी ढंग से सुनिश्चित होगा। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कार्यशाला को सराहनीय कदम बताया। कहा कि इससे आरटीआई एक्ट की भ्रांतियां दूर होंगी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. प्रीतिंदर सिंह, सतीश कुमार, एडीएम प्रशासन लक्ष्मीशकर सिंह, एडीएम सिटी केके सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट विनय कुमार सिंह, एडीएम वित्त व अन्य अधिकारी मौजूद थे। संचालन डॉ. अनुपमा शांडिल्य ने किया।


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