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मन का वृंदावन हो जाना कितना अच्छा है..

मुरादाबाद : नवगीतकार डॉ. माहेश्वर तिवारी के रचनाकर्म की षष्ठिपूर्ति पर रविवार को उनके आवास

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 08:10 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 08:10 AM (IST)
मन का वृंदावन हो जाना कितना अच्छा है..
मन का वृंदावन हो जाना कितना अच्छा है..

मुरादाबाद : नवगीतकार डॉ. माहेश्वर तिवारी के रचनाकर्म की षष्ठिपूर्ति पर रविवार को उनके आवास पर आयोजित पावस राग एवं सम्मान समारोह में नवगीत के दो सशक्त हस्ताक्षरों के अलावा अन्य साहित्यकारों को भी सम्मानित किया गया। विभिन्न शहरों से आए साहित्यकारों और नवगीतकारों ने डॉ. माहेश्वर तिवारी को उनके 79वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।

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मा सरस्वती के स्तुति गीत के बाद बालसुंदरी तिवारी ने सुंदर गीतों की प्रस्तुति से कार्यक्त्रम में समा बाध दिया। मन का वृंदावन हो जाना कितना अच्छा है। धुला-धुला दर्पण हो जाना कितना अच्छा है। बादल मेरे साथ चले हैं परछाई जैसे.. गीतों की प्रस्तुति दी। वाद्य यंत्रों के साथ हुई गीतों की प्रस्तुति से सभी मंत्रमुग्ध रहे। सभी गीत गुनगुनाते रहे।

बही काव्य रस की बयार

देहरादून से आए नवगीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने मेघ के आगमन पर पंक्तिया पेश करते हुए कहा कि लौट आए है जमुन जल मेघ, सिंधु की अंतर्कथा लेकर। लखनऊ से आई कवियत्री संध्या सिंह ने कहा कि हम मूरख से रहे ताकते, सारा जहा प्रबुद्ध हो गया। नोएडा से पहुंची कवियत्री सीमा अग्रवाल ने कहा कि जा री बदरी जा री बहना, पीहर से संदेशा कहना..। ये सुन परिसर तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। वहीं नोएडा से ही पहुंची कवियत्री डॉ. भावना तिवारी ने आगन की चौखट की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि घर के भीतर दुनिया पूरी, आगन से चौखट तक दूरी। न धरती न आकाश मिला, हे राम मिली बस मजबूरी..। नवगीतकार डॉ. माहेश्वर तिवारी ने कहा कि गुलमोहर अमलतास हंसते हैं, मन में वषरें के जंगल उदास हंसते हैं। सूखती नदियों पर चिंता व्यक्त करते हुए डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने कहा कि वह सबको खुश रखती थी, खुश ही रहती थी, अब नहीं रहती। एक नदी बहती थी, अब नहीं बहती। तन-मन दोनों के मिटे, सभी ताप संताप, धरती ने जब से सुना बूंदों का आलाप..कवि योगेंद्र वर्मा व्योम की इन पंक्तियों को सभी ने सराहा।

इन्होंने भी किया कविता पाठ

जिया जमीर, डॉ. प्रेमवती उपाध्याय, वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी, ओंकार सिंह ओंकार, विशाखा तिवारी, डॉ. पूनम बंसल, हेमा तिवारी भट्ट, शिशुपाल मधुकर और मीना कौल ने भी कविता पाठ किया। कार्यक्त्रम का आयोजन अक्षरा साहित्यिक संस्था की ओर से किया गया।

इन्हें मिला सम्मान

नवगीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र को डॉ. माहेश्वर तिवारी नवगीत शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया। वहीं कवियत्री संध्या सिंह, सीमा अग्रवाल और डॉ. भावना तिवारी को माहेश्वर तिवारी गीत सृजन सम्मान से सम्मानित किया गया।


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