धूल, धुआं और धातु कणों के बीच घुट रहीं सांसें
जागरण संवादाता, मुरादाबाद : प्रदूषण का जहर महानगर की हवा में घुलने के साथ ही लोगों के
जागरण संवादाता, मुरादाबाद : प्रदूषण का जहर महानगर की हवा में घुलने के साथ ही लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषित हवा के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। महानगर के अलग-अलग क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर भी भिन्न है। 11 फरवरी की रात और 12 फरवरी को दिन में हुई बारिश से प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है, इसके बावजूद मानक से कहीं ज्यादा है।
बुधवार को मुरादाबाद का सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र लाकड़ी फाजलपुर रहा। यहां पीएम-10 का स्तर 154 रहा। जबकि सामान्य स्थिति में यह 100 होना चाहिए। वर्ष 2017 में हालत यह हो गई थी कि मुरादाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया था। इसके बाद से प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ दिन प्रयास हुए और स्थिति फिर से जस की तस हो गई।
हवा को प्रदूषित करने वाले प्रमुख कारक
मुरादाबाद की हवा को जहरीला बनाने में सबसे महत्वपूर्ण कारण ई-कचरा है। इसके बाद महानगर पीतल दस्तकारी और एक्सपोर्ट इंडस्ट्री से जुड़े कारखानों की भट्ठियां है। इनके बाद प्रदूषण का तीसरा सबसे बड़ा कारण मुरादाबाद के वाहन है। लाखों की संख्या में पहुंचे वाहन हर दिन लाखों लीटर जहरीली गैस उत्सर्जित करते हैं। वाहनों से निकले धुएं के कारण प्रदूषण इसलिए भी ज्यादा होता है क्योंकि मुरादाबाद एक भी प्रमुख चौराहा और तिराहा ऐसा नहीं है जो प्रदूषण से मुक्त हो। इसके अलावा पुलिस लाइन, पीटीएस, पीटीसी, अकादमी, पीएसी में हर दिन साफ-सफाई के बाद इकट्ठा हुई पेड़ों से गिरी पत्तियों में आग लगा दी जाती है। इसे निकलने वाला धुआं प्रदूषण बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं महानगर के बाजारों और घरों में चलने वाले जेनरेटर भी खूब धुआं उगलते हैं।
कारखानों से निकलते हैं महीन कण
मुरादाबाद की पहचान पीतलनगरी के रूप में है। यहां सैकड़ों की संख्या में कारखाने हैं तो हजारों की संख्या में भट्ठियां। इनमें पीतल सहित अन्य धातुओं को गलाकर खूबसूरत आइटम बनाए जाते हैं। बाद में इनकी छिलाई, पालिश, रंगाई सहित कई कार्य होते हैं। इससे धातुओं के महीन कण हवा और पाली के जरिए नालियों में होते हुए नदियों तक पहुंचते हैं। हवा में घुले महीन धातु कण शरीर में जाकर रक्त में घुल रहे हैं और लोगों को गंभीर और घातक बीमारियों का शिकार बना रहे हैं।
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
-ई-कचरा जलाने पर पूर्णतया रोक लगनी चाहिए।
-कारखानों और भट्ठी जलाकर काम कर रहे कारीगरों को आधुनिक एवं उन्नत भट्टियां दी जाएं। इन भट्ठियों का प्रयोग मुरादाबाद में होने लगा है, लेकिन भट्ठियां शिफ्ट करने में न तो कारखानेदार रुचि दिखा रहे और ना कारीगर। जबकि उन्नत भट्ठियां जो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्वीकृत हैं उनसे 70 फीसद तक कम प्रदूषण निकलता है।
-खराब क्वालिटी वाले कोयले को भट्टियों में जलाए जाने पर प्रतिबंध लगे।
-पीटीएस, पीटीसी, पुलिस लाइन, पीएसी में जलाई जा रही पत्तियों पर रोक लगे। इन पत्तियों का एकत्रित कर कंपोस्ट खाद बनाई जाए।
-मुरादाबाद में लगने वाले जाम की समस्या को खत्म किया जाए। इसके लिए फ्लाइओवर का निर्माण जरूरी है। शोध के अनुसार मुरादाबाद में जाम न लगे तो वाहनों से होने वाला प्रदूषण आधा ही रह जाएगा।
वर्जन
मुरादाबाद में प्रदूषण के चार सर्वाधिक मुख्य कारण हैं। इनमें ई-कचरा जलाया जाना, कारखानों की भट्ठियां, वाहनों से निकलने वाला धुआं और पुलिस लाइन सहित अन्य संस्थानों में पत्तियों का जलाया जाना है। पीटीसी में लगी मशीन में प्रदूषण का स्तर तब अचानक बढ़ जाता है जब वहां पत्तियां जलाई जाती है।
डॉ. अनामिका त्रिपाठी, एसोसिएट प्रोफेसर ¨हदू कालेज
प्रदूषण का स्तर
बुध बाजार
माह एसओटू एनओटू पीएम-10 एसपीएम
माह एसओटू एनओटू पीएम-10 एसपीएम
नवंबर 23 32 276 487
दिसंबर 50 40 100 140
बुध बाजार
माह एसओटू एनओटू पीएम-10 एसपीएम
माह एसओटू एनओटू पीएम-10 एसपीएम
नवंबर 26 34 310 352
दिसंबर 50 40 100 140