सम्भल के मदरसे में खेली जाती फूलों की होली
सम्भल : छोटी-छोटी बातों पर सम्भल में अक्सर साम्प्रदायिक विवाद और बवाल होते रहते हैं। लेकि
सम्भल : छोटी-छोटी बातों पर सम्भल में अक्सर साम्प्रदायिक विवाद और बवाल होते रहते हैं। लेकिन यहां की एक खास बात और है कि जनपद में हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी देखने को मिलती है। इसी एकता को बनाए रखने के लिए सम्भल के गाव मऊ भूड़ स्थित मदरसे में हर साल दोनों समुदाय के लोग मिलकर होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन करते हैं और फूलों की होली खेलते हैं। साथ ही गले लगकर एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं।
मऊ भूड़ स्थित अलीजान जमीयत उल मुस्लेमीन एजूकेशनल सोसायटी के मदरसा मौलाना मुहम्मद अली जौहर में पिछले पांच साल से होली मिलन समारोह किया जा रहा है। कार्यक्रम में मदरसे के छात्र, मुस्लिम समुदाय के तमाम लोग और ¨हदू समुदाय से महाराज भी शामिल होते हैं। कार्यक्रम हर साल होली से पहले या फिर इसके एक दो दिन बाद होता है। मदरसा संचालक फिरोज खान की ओर से होली के पकवान भी बनवाए जाते है। इन पकवानों को दोनों समुदाय के लोग फूलों की होली खेलते समय खाते हैं। इस मदरसे में कई बार भारत माता की जय, वंदेमातरम के नारे गूंजे हैं तो गोरक्षा के लिए भी मुस्लिमों ने संकल्प लिया है। मदरसा संचालक तो समय-समय पर गोरक्षा के लिए कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं। जो इस मदरसे को एक बार देख लेता है वह यही कहता है कि यहां छात्रों को मुहब्बत का पाठ पढ़ाया जाता है।
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पिछले साल कई महाराज हुए थे शामिल
पिछले साल आचार्य प्रमोद कृष्णम समेत कई महाराज इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। सभी ने मिलजुल कर फूलों की होली खेली थी। साथ ही गोरक्षा करने का भी संकल्प लिया था। आचार्य प्रमोद कृष्णम भी जब ऐचोड़ा कंबोह में होली मिलन समारोह का आयोजन करते हैं तो मदरसा संचालक वहां पर जाकर भी फूलों की होली खेलते हैं।
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हमारी विचारधारा है कि पूरे भारत के लोग एक दूसरे के त्योहार को मिलजुल कर मनाएं। वैचारिक प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण से ज्यादा खतरनाक है। हमें अपने विचारों में सुधार लाना होगा और सभी की धार्मिक आस्था का ध्यान रखना होगा। हम मदरसे में फूलों की होली मनाकर यह संदेश देना चाहते हैं कि सभी लोग इसी तरह मिलजुल कर त्योहार मनाएं।
- फिरोज खान, मदरसा संचालक