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देश के पहले चुनाव में जानिए कैसे होता था प्रचार, मतदान के लिए लोगों से क्या करते थे अपील

UP Vidhan Sabha Election 2022 मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राजनीतिक दल प्रत्याशियों की घोषणा से लेकर चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। हालांकि इस बार का चुनाव प्रचार पहले हुए चुनाव से काफी अलग है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 11:18 AM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 05:57 PM (IST)
देश के पहले चुनाव में जानिए कैसे होता था प्रचार, मतदान के लिए लोगों से क्या करते थे अपील
First Election of India : पहली बार लोकसभा चुनाव में आजादी के दीवाने करते थे प्रचार

मुरादाबाद, जेएनएन। UP Vidhan Sabha Election 2022 : मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राजनीतिक दल प्रत्याशियों की घोषणा से लेकर चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। हालांकि इस बार का चुनाव प्रचार पहले हुए चुनाव से काफी अलग है, क्योंकि  कोरोना संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है। ऐसे में आम जनता के मन में यह भी सवाल उठता है कि देश में पहला चुनाव कब हुआ था और उस समय कैसे प्रचार किया जाता था। प्रत्याशी किस प्रकार से मतदाताओं को लुभाते थे, क्या अपील करते थे। आइये इस खबर जानते हैं इन्हीं सवालों के जवाब।

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रेलवे के चालक पद से सेवानिवृत्त 85 वर्षीय कृपाल दत्त शर्मा बताते हैं कि उनका जन्म 1936 में हुआ था, देश जब आजाद हुआ था और देश का बंटवारा हुआ, उस समय उनकी उम्र 11 साल की थी। दिन में आजादी का जश्न मनाया जाता था लेकिन  बंटवारे से उत्पन्न दंगे का खौफ हर किसी में दिखायी देता था। रात में जागते थे। देश की आजादी के बाद पहली बार वर्ष 1952 में लोकसभा का चुनाव हुआ था। उस समय वह 16 साल के थे। कृपाल दत्त शर्मा करते हैं कि 1952 में बिजनौर जिले के शेरकोट गांव में रहते थे। चुनाव की घोषणा होते ही पहली बार मतदान कैसे किया जाना था, कैसे वोट डाला जाना है, इसके बारे में बताया जाता था। गांव की चौपाल में शाम को चुनाव को लेकर चर्चा हुआ करती था।

चुनाव प्रचार में युवा टोली बनाकर देश भक्ति के गीत गाते हुए घूमते थे और लोगों से लोकतंत्र की रक्षा के लिए मतदान करने की अपील करते थे। उसके बाद अपने-अपने दल के प्रत्याशी को मतदान करने की अपील करते थे। पहली बार होने वाले चुनाव में लोकतंत्र को जिंदा रखना और आगे बढ़ाने का नारा था। इसी नारे के साथ सभी दल वोट मांगते थे। आजादी के दीवाने रह चुके कई लोगों चुनाव तो नही लड़ रहे थे, लेकिन चुनाव प्रचार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे।

कृपाल दत्त शर्मा ने कहा कि वर्ष 1957 से लगतार मतदान कर रहे हैं। वर्ष 1962 तक लोकतांत्रिक तरीके से मतदान हुआ, उसके बाद चुनाव जीते के लिए गलत तरीके को अपनाया जाना शुरू हो गया। कुछ लोग बूथों पर जाकर दूसरे का वोट डाल देते थे, उसके बाद बूथ कब्जा करने के प्रथा शुरू हो गया था। मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन के आने के बाद धीरे-धीरे चुनाव में सुधार हुआ है।


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