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मुरादाबाद की चार सीट पर भाजपा को जीत के लिए करना होगा कड़ी चुनौती का सामना, पढ़ें सीटों का गणित

UP Chunav 2022 भाजपा ने अपने समीकरणों के अनुसार प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं। पार्टी हाईकमान और पदाधिकारी इसमें अपनी जीत देख रहे हैं। वास्तविकता में जनपद में कमल खिलाने की चुनौती आसान नहीं है। हर सीट पर चुनौती भी अलग-अलग हैं। पार्टी इस समय उत्साह में है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 08:38 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 08:38 AM (IST)
मुरादाबाद की चार सीट पर भाजपा को जीत के लिए करना होगा कड़ी चुनौती का सामना, पढ़ें सीटों का गणित
दो सीट को छोड़कर अन्य सीटें हैं मुस्लिम बाहुल्य।

मुरादाबाद, जेएनएन। UP Election 2022 : भाजपा ने अपने समीकरणों के अनुसार प्रत्याशी घोषित कर दिए गए हैं। पार्टी हाईकमान और पदाधिकारी इसमें अपनी जीत देख रहे हैं। वास्तविकता में जनपद में कमल खिलाने की चुनौती आसान नहीं है। हर सीट पर चुनौती भी अलग-अलग हैं। पर पार्टी इस समय उत्साह में है। सभी अपने-अपने समीकरण लगा रहे हैं। प्रत्याशी भी चुनौती को मुश्किल मानकर चल रहे हैं और सूची जारी होने के साथ ही संगठन के साथ मंथन शुरू हो गया है और तैयारी भी शुरू कर दी गईं।

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सभी सीटों पर भाजपा का सीधा मुकाबला सपा से माना जा रहा है। वहीं, छोटे-छोटे दल भी इस सक्रिय हो गए हैं। उन दलों की राजनीतिक विचारधारा के अनुसार इन पार्टियों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। नगर विधानसभा सीट पर चर्चा की जाए तो यहां पांच लाख 24 हजार 873 मतदाता हैं। इनमें 2,78,904 पुरुष और 2,45,916 महिला वोटर हैं। कुल मतदाताओं में करीब ढाई लाख मुस्लिम मतदाता हैं। इस सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक रितेश गुप्ता भरोसा जताया है। कांग्रेस ने रिजवान कुरैशी को अपना प्रत्याशी बनाया है। अभी सपा के पत्ते खुले नहीं हैं। आप ने डा. एपी सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है तो बसपा और असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम की ओर से मुस्लिम चेहरा उतारा जाना तय माना जा रहा है। अब देखना यह है कि इन सभी के बीच मतदाता किसकी ओर जाते हैं।

देहात विधानसभा मेंं बीजेपी की स्थिति कभी अच्छी नहीं रही। आखिरी बार इस सीट पर 1992 में जीत हासिल की थी, इसके बाद से इस सीट पर पार्टी कभी लड़ाई में नहीं रही। हालांकि, 2017 में पार्टी प्रत्याशी हरिओम शर्मा ने सपा को कड़ी टक्कर दी, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। इस बार पार्टी ने इस सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा है। कांग्रेस को छोड़कर अन्य दलों की सूची का इंतजार है। यहां भाजपा के लिए सबसे कठिन चुनौती है, कारण यहां मुस्लिम आबादी 95 फीसद से अधिक है। ऐसे में भाजपा के समीकरण किस प्रकार से फिट किए जाएंगे यह देखना रोचक होगा।

कांठ विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम और जाट बाहुल्य क्षेत्र है। 1996 के बाद 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। पिछली बार एआइएमआइएम प्रत्याशी के 22 हजार से अधिक वोट भाजपा की जीत में निर्णायक साबित हुए थे। मुरादाबाद में अभी तक रालोद और सपा गठबंधन में किसी भी सीट पर घोषणा नहीं हुई है। रालोद के पदाधिकारी कांठ सीट रालोद के खाते में जाने की उम्मीद जता रहे हैं। भाजपा जाट मतदाताओं को रिझाने में पूरी तरह से जुटी हुई है। हालांकि, समीकरण अन्य पार्टियों के टिकट घोषित होने पर ही हल होंगे।

कुंदरकी विधानसभा में 3,80,217 मतदाता हैं। इनमें करीब दो लाख 62 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। ऐसे में भाजपा के सामने चुनौती बड़ी है। पिछली बार भाजपा ने सबसे ज्यादा दम इसी सीट पर लगाया था, फिर भी हार का सामना करना पड़ा था। यह सीट भाजपा के लिए हमेशा से मुश्किल रहीहै। अब कमल प्रजापति के सामने कमल को खिलाने की चुनौती है।

बिलारी विधानसभा में 2012 में बनी थी। तभी इस पर सपा का इस पर कब्जा है। यहां मुस्लिम मतदाताओं के साथ पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या अच्छी है। यही कारण है कि यह सीट परमेश्वर लाल सैनी को प्रत्याशी बनाया गया है। सपा के वर्तमान विधायक को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। बसपा भी अपना विधानसभा क्षेत्र प्रभारी घोषित कर चुकी है। ऐसे में चुनौती और बढ़ गई है।


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