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सपा के गढ़ मुरादाबाद में जानें क्या हैं भाजपा के सामने चुनौती, पढ़ें अब तक हुए चुनाव पर आधारित रिपोर्ट

UP Chunav 2022 News मुरादाबाद मंडल को सपा का दूसरा गढ़ कहा जाता है। 1992 में पार्टी की स्थापना के बाद से ही मंडल में पार्टी ने अपनी मजबूत स्थिति दर्शा दी थी। इस चुनाव में सपा ने मुरादाबाद की 12 सीटों में चार पर जीत दर्ज की थी।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 09:56 AM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 09:56 AM (IST)
सपा के गढ़ मुरादाबाद में जानें क्या हैं भाजपा के सामने चुनौती, पढ़ें अब तक हुए चुनाव पर आधारित रिपोर्ट
भाजपा के सामने भी इस मंडल में सबसे बड़ी चुनौती समाजवादी पार्टी की है।

मुरादाबाद, जेएनएन। UP Chunav 2022 News : मुरादाबाद मंडल को सपा का दूसरा गढ़ कहा जाता है। 1992 में पार्टी की स्थापना के बाद से ही मंडल में पार्टी ने अपनी मजबूत स्थिति दर्शा दी थी। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद की 12 सीटों में चार पर जीत दर्ज की थी। साथ ही मंडल में कुल सात सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी जीते थे। भाजपा के सामने भी इस मंडल में सबसे बड़ी चुनौती समाजवादी पार्टी की है।

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मंडल की लगभग सभी सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला है। मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर जहां सपा खुद को सुरक्षित मानकर चल रही है, वहीं अन्य सीटों पर भाजपा अपना गणित लगा रही है। सपा ने 1993 में मुरादाबाद की कांठ सीट पर हुए उप चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारा था और उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद से मंडल में पार्टी मजबूत से लड़ती आ रही है और यहां सभी दलों को कड़ी चुनौती दी है। इस चुनाव में अपने गढ़ में सरपट दौड़ेगी या राह पथरीली होगी यह तो मतदाता तय करेंगे।

भाजपा को पार पानी होगी सपा की चुनौती से : स्थापना के बाद 1996 के विधानसभा चुनाव में मुरादाबाद में समाजवाद पार्टी ने अपनी पकड़ उपस्थिति दर्ज कराई थी। पहले चुनाव से ही पार्टी की स्थिति मुरादाबाद अच्छी रही और हर चुनाव में मजबूती हासिल कर मुरादाबाद मंडल सपा का दूसरा गढ़ कहलाने लगा। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में अमरोहा के अलग होने के बाद मुरादाबाद में नौ विधानसभा सीट रह गई थीं। इनमें से समाजवादी पार्टी दो सीटों पर जीत दर्ज की थी।

2007 में जब बसपा की हवा चली तब भी मुकाबला सपा और बसपा का रहा। मुरादाबाद की आठ सीटों में बसपा चार और सपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा केवल एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई। 2012 में के चुनाव में सपा ने मुरादाबाद की छह सीटों में चार और 2017 में भाजपा की लहर के बावजूद में चार सीट जीतकर अपनी मजबूती का अहसास कराया। इस बार चुनाव में भाजपा के सामने सपा की चुनौती से पार पाने की होगी।

1996 : चार विधायक : हसनपुर से रिफाकत हुसैन, सम्भल से इकबाल महमूद, बहजोई से बिजेंद्र पाल सिंह, मुरादाबाद देहात से सौलत अली

2002 : कुल नौ सीटों पर दो सीटों पर जीत : सम्भल से इकबाल महमूद और कुंदरकी से मुहम्मद रिजवान

2007 : आठ सीटों में चार : मुरादाबाद नगर, संदीप अग्रवाल, सम्भल, इकबाल महमूद, मुरादाबाद देहात, उस्मान उल हक

2012 : छह सीटों में चार : मुरादाबाद देहात, शमीम उल हक, मुरादाबाद नगर, युसूफ अंसारी, कुंदरकी से मुुहम्मद रिजवान, बिलारी सीट पर मुहम्मद इरफान

2017 : मुरादाबाद देहात, हाजी इकराम कुरैशी, मुरादाबाद नगर, युसूफ अंसारी, ठाकुरद्वारा, नवाब जान, कुंदरकी, मुहम्मद रिजवान


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