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पहले इस खास गाड़ी से होता था चुनाव प्रचार, जाति धर्म के नाम पर नहीं इन मुद्दों पर लड़े जाते थे चुनाव

UP Vidhansabha Chunav 2022 आजादी के बाद कई साल तक चुनाव आज की तरह नहीं होते थे। उस समय चुनाव प्रचार में सादगी होती थी। किसी पर छींटाकशी नहीं बस भविष्य की योजनाओं पर बात होती थी। प्रचार में सत्ताधारी अपनी उपलब्धियां नहीं गिनवाते थे

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 01:49 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 01:49 PM (IST)
पहले इस खास गाड़ी से होता था चुनाव प्रचार, जाति धर्म के नाम पर नहीं इन मुद्दों पर लड़े जाते थे चुनाव
उपलब्धि नहीं भविष्य की योजना की होती थी घोषणा

मुरादाबाद, जेएनएन। UP Chunav 2022 News : आजादी के बाद कई साल तक चुनाव आज की तरह नहीं होते थे। उस समय चुनाव प्रचार में सादगी होती थी। किसी पर छींटाकशी नहीं बस भविष्य की योजनाओं पर बात होती थी। प्रचार में सत्ताधारी अपनी उपलब्धियां नहीं गिनवाते थे, बल्कि सत्ता में आने बाद क्या काम करेंगे इसका वादा करते थे। उस समय प्रचार के लिए मोटरगाडि़यों की जगह बैलगाड़ी का प्रयोग किया जाता था। आइये जानते हैं पहले के चुनावों की ऐसी ही रोचक बातें जो अबके चुनाव में दिखाई नहीं देतीं।

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आयकर विभाग से सेवानिवृत्त 74 वर्षीय आरआर वर्मा ने पहली बार मतदान 1967 में किया था। आरआर वर्मा उस समय के चुनाव के माहौल को याद करते हुए बताते हैं कि वह अपने परिवार के साथ गजरौला में रहते थे। वर्ष 1966 में 18 साल के पूरे हो गए थे और 1967 में विधान सभा चुनाव के लिए पहली बार मतदान किया था। चुनाव लड़ने वाले राजनैतिक दल के कार्यकर्ता गांवों व गलियों में टोली बनाकर जाते थे और पार्टी के अध्यक्ष का संदेश देते थे।

मतदाता को बताते थे कि अभी सड़क बनाया जाना बाकी है, स्कूल व अस्पताल खोले जाने हैं, रोजगार के लिए क्या काम किया जाना है और खेती को कैसे बढ़ावा दिया जाना है, चुनाव जीतने के बाद अधूरे काम को पूरा करने का वादा करते थे। सत्ताधारी दल के कार्यकर्ता सरकार द्वारा क्या काम किया गया, इसकी उपलब्धियां की जानकारी नहीं देते थे। चुनाव प्रचार में जाति व धर्म का सहारा नहीं लिया जाता था। उस समय विकास सबसे बड़ा मुद्दा होता था।

चुनाव प्रचार में बड़े-बड़े पोस्टर व बैनर नही लगाए जाते थे। कार्यकर्ता बैलगाड़ी में बैठकर प्रचार करते थे। प्रचार व चुनाव सभा शाम होते खत्म हो जाते थे। रेडियों पर केवल मतदान के लिए अपील किया जाता था और रेडियो पर चुनाव के परिणाम की जानकारी दी जाती थी। प्रचार के लिए दीवारों पर छोटे आकार में पेंट किया जाता था। उस समय युवा लेकर बुजुर्ग तक चुनाव को लेकर चर्चा करते थे और इस बार कौन अच्छा काम करेगा इस पर विचार किया जाता था।


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