लॉकडाउन में बे-लिबास हुई गरीबी,जरूरतमंद तक नहीं पहुंच रही है मदद Amroha News
जमीयत उलेमा की सूचना पर शाम को पहुंची प्रशासनिक टीम। भूख से परेशान हैं लोग। प्रशासन और पुलिस का दावा है कि पहुंच रही है मदद।
अमरोहा,जेएनएन। कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन से सबसे ज्यादा मुसीबत रोजमर्रा की दिहाड़ी से गुजर बसर करने वाले परिवारों को है। हर गरीब की चौखट तक मदद पहुंचाने के दावे किए जा रहे हैं। अमरोहा नगर में मंगलवार को जरूरतमंद तक मदद नहीं पहुंचीं। जमीयत उलेमा की सूचना पर प्रशासनिक टीम शाम को पहुंची।
शहर के मुहल्ला अफगनान (पुलिस चौकी भूड़) की नई बस्ती से सामने धूप की तपिश में गरीबी मदद की आस में बेलिबास हो चुकी है। सरकारी रोटी की आस में क्या बड़े और क्या बच्चे, सभी के पेट खुद सिमटकर कमर से चिपक गए हैं। तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो शहर के कुछ युवा इसकी हकीकत जानने के लिये खुद मौके पर पहुंच गए। बिना चारदीवारी के कोठरीनुमा मकान, पुआल, प्लास्टिक की पन्नी से ढकी टूटी हुई छत और भूख से बेजान बच्चों के चेहरे पर छलक रहा रोटी न मिलने का दर्द देखकर उनका कलेजा मुंह को आ गया। जानकारी हुई तो कुछ लोग अनाज के पैकेट लेकर बस्ती में पहुंचे लेकिन, मदद नाकाफी थी। इसके बाद कुछ जागरूक लोगों ने ट््वीट के जरिए मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी को इन हालात से रूबरू कराया। शाम होने से पहले ही उपजिलाधिकारी विवेक यादव व प्रभारी निरीक्षक रङ्क्षवद्र ङ्क्षसह वहां पहुंच गए। एसडीएम ने बताया कि जमीयत उलेमा की सूचना पर टीम मौके पर गई थी। वहां परिवार के लोगों को भोजन के पैकेट उपलब्ध करा दिए हैं। उनके राशन कार्ड बनवाए जा रहे हैं। राशन भी उपलब्ध कराया जाएगा।
मदद के लिए आगे आई जमीयत की टीम
मुफ्ती अफ्फान मंसूरपुरी की सरपरस्ती में जरूरतमंद लोगों की मदद में जुटी जमीयत उलेमा की टीम मदद के लिये आगे आई है। मुराद आरिफ, अल्ताफ सिद्दीकी, वसीम अकरम, राकिब, मोहम्मद फाईज, अनस सिद्दीकी व तनवीर आलम ने बस्ती का दौरा किया। मुराद आरिफ ने बताया कि इन परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर है। अनाज न होने पर कुछ घरों में कई दिन से चूल्हे नहीं जले हैं। जमीयत की तरफ से भी हर मुमकिन मदद की जाएगी।