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Turmeric cultivation:किसानों के लिए अब मुनाफे का सौदा साबित हो रही हल्दी Amroha News

कोरोना संक्रमण काल में बढ़ रही हल्दी की मांग इम्यूनिटी बढ़ाने को हल्दी का अधिक सेवन कर रहे लोग।

By Ravi SinghEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 06:37 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 06:37 PM (IST)
Turmeric cultivation:किसानों के लिए अब मुनाफे का सौदा साबित हो रही हल्दी Amroha News
Turmeric cultivation:किसानों के लिए अब मुनाफे का सौदा साबित हो रही हल्दी Amroha News

अमरोहा,जेएनएन। सब्जी तथा दूसरी फसलों में नुकसान होने से  संकट से जूझ रहे किसानों के लिए हल्दी की फसल फायदेमंद साबित हो सकती है। कोरोना संक्रमण काल में हल्दी की डिमांड बढऩे से किसानों का रुझान अब हल्दी की तरफ बढ़ रहा है। किसानों ने हल्दी का रकबा बढ़ा दिया है। गत वर्ष तहसील क्षेत्र में सिर्फ पांच छह किसानों ने ही करीब पचास बीघा भूमि में हल्दी लगाई थी। कोरोना संक्रमण काल में भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के चिकित्सकों के अनुसार हल्दी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कामयाब औषधि है।

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लोग दाल सब्जी में हल्दी का इस्तेमाल करने के साथ ही दूध में डालकर भी सेवन कर रहे हैं। इस बार क्षेत्र के 15 से अधिक किसानों ने करीब 100 बीघा भूमि में हल्दी लगाई है। ग्राम ओगपुरा निवासी प्रशिक्षित किसान तुलसीराम 10 साल से हल्दी की खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि दूसरी फसलों के सापेक्ष हल्दी की फसल किसानों के लिए अधिक लाभदायक है। एक बीघा भूमि में 10 से 15 क्विंटल तक हल्दी पैदा होती है। हल्दी का रेट भी लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्राम बरतौरा निवासी किसान सुरेंद्र सिंह त्यागी भी कई साल से हल्दी की खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना संकट काल में हल्दी की मांग बढ़ रही है। पहले हरी हल्दी 2500 रुपये प्रति क्विंटल थी। अब रेट 3000 हजार प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है।

हल्दी का रेट आगे और भी बढऩे की संभावना है। इसलिए इस बार उन्होंने हल्दी का रकबा बढ़ा दिया हैं। ताहरपुर निवासी राजेंद्र सिंह भी कई साल से हल्दी का उत्पादन कर रहे हैं। उनका कहना है कि हसनपुर की भूमि में हल्दी की फसल कम लागत पर अच्छी हो जाती है। खास बात यह है कि बागों में भी हल्दी की फसल आसानी से हो जाती है। हल्दी की अधिक मांग को देखते हुए रकबा बढ़ा रहे हैं। गंगेश्वरी निवासी ठाकुर महेश सिंह हल्दी के रेट अधिक होने से पहली बार हल्दी की बुवाई करके अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। करणपुर माफी निवासी प्रेम सिंह आर्य भी हल्दी की खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि हल्दी का रेट तथा मांग अधिक होने से किसानों के लिए हल्दी की फसल लाभकारी है।

सह फसली खेती होने से हल्दी से होता है लाभ

प्रगतिशील एवं प्रशिक्षित किसानों का कहना है कि हल्दी की फसल सह फसली खेती के रूप में भी पैदा हो रही है। हल्दी के साथ किसान गन्ना, मक्का, मैंथा, टिंबर आदि फसलों को भी तैयार कर लेते हैं। प्रति बीघा 10 से 15 क्विंटल हल्दी पैदा हो जाती है और लागत करीब 15 हजार तक आती है। आमदनी प्रति बीघा करीब 50 हजार तक हो जाती है इसलिए हल्दी की खेती किसानों के लिए लाभदायक है।

किसानों को दिया जाता है प्रशिक्षण

 जिला कृषि अधिकारी अमरोहा राजीव कुमार कहते हैं कि परंपरागत खेती से हटकर किसानों का रुझान हल्दी की तरफ बढ़ रहा है हसनपुर क्षेत्र में हल्दी की पैदावार बेहतर होती है। बागों में भी हल्दी की खेती आसानी से हो जाती है। किसानों को खेती से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है। 


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