कोषागार घोटाले में कसा शिकंजा, बाबू सहित 12 के खिलाफ मुकदमा दर्ज
चवे मुकदमें में 11 नाम वही हैं जो पूर्व में दर्ज हुए चार मुकदमों में शामिल थे। नए नाम कोषागार के बाबू अजय कुमार अग्रवाल का जोड़ा गया है।
मुरादाबाद । कोषागार घोटाले में प्रशासन की ओर से एक और मुकदमा दर्ज कराया गया है। साल 2012-13 के बजट की जांच में एक करोड़ 51 लाख रुपये का घोटाला पकड़ में आया है। पूर्व में दर्ज हुए चार मुकदमों की तरह इस मामले में भी 18 फर्जी बिलों से भुगतान कराया गया था। इसके साथ ही कुछ बिलों में दर्ज राशि में अंक बढ़ाने में हेराफेरी की गई थी। भूलेख विभाग के बाबू प्रदीप कुमार गोयल की ओर से थाने में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई की गई है। पांचवे मुकदमें में 11 नाम वही हैं जो पूर्व में दर्ज हुए चार मुकदमों में शामिल थे। नए नाम कोषागार के बाबू अजय कुमार अग्रवाल का जोड़ा गया है। अभी तक कोषागार के किसी भी कर्मचारी का नाम एफआइआर में नहीं जोड़ा गया था। पांचवी एफआइआर में बाबू का नाम जोड़ा गया है। हालांकि अभी तक दर्ज हुए मुकदमों में कलेक्ट्रेट के किसी भी मौजूदा बाबू का नाम नहीं जोड़ा गया है। पुलिस अफसरों के द्वारा कलेक्ट्रेट के बिल बाबू को कई बार पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था,लेकिन जांच अधिकारी किसी दबाव में उस बाबू पर शिकंजा नहीं कस पाए। हालांकि प्रशासनिक जांच के बाद दो बाबुओं को निलंबित करने की कार्रवाई की गई थी।
इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा
प्रशासन की ओर से दर्ज कराए गए पांचवे मुकदमें में मुख्य आरोप अनिल मेहरोत्रा, अरुण कुमार भटनागर, कोषागार कार्यालय के बाबू अजय कुमार अग्रवाल, कांति देवी, लेखपाल लईक अहमद, सुधीर कुमार, वंदना भटनागर, स्मृति भटनागर, हिमांशु सक्सेना, छत्रपाल सिंह, ज्योति भटनागर के साथ शकुंतला भटनागर के नाम शामिल हैं। इसके साथ ही कुछ अज्ञात लोगों के नाम पर मुकदमा दर्ज कराया गया है।
घर से संचालित होता था कार्यालय
पुलिस की जांच में पता चला कि अनिल मेहरोत्रा घर से पूरा कार्यालय संचालित करता था। अपने साथी अरुण कुमार भटनागर के साथ मिलकर वह फर्जी बिलों के बनाने का काम घर पर ही करता था। पुलिस ने उसके कंप्यूटर से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बात का खुलासा किया है।
15 करोड़ के पार पहुंची घोटाले की रकम
कोषागार घोटाले में अभी तक पांच मुकदमें दर्ज हो चुके हैं, जिसमें 33 लोगों को जेल भेजने की कार्रवाई भी हो चुकी है। महिला आरोपितों के द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से स्टे लिया गया है। कलेक्ट्रेट के अफसरों ने बताया कि अभी तक दर्ज हुए मुकदमों में घोटाले की धनराशि 15 करोड़ रुपये के पार हो चुकी है। प्रशासनिक अफसरों ने साल 2012 से लेकर 2017 के अभिलेखों की जांच करने के बाद इस घोटाले को पकड़ा है।
मामले में पांचवीं एफआइआर : एडीएम प्रशासन
फर्जी बिलों के माध्यम से भुगतान कराने के मामले में पांचवी एफआइआर दर्ज कराई जा चुकी है। इस मुकदमे में एक करोड़ 51 लाख रुपये के गमन करने का मामला पकड़ में आया है। पांचवी एफआइआर में कोषागार के एक बाबू की भी संलिप्तता के पुख्ता सबूत मिले हैं। पुलिस अपने स्तर से आरोपितों पर कार्रवाई करेगी।
-लक्ष्मीशंकर सिंह, एडीएम प्रशासन।