मोबाइल टावर के सुरक्षा मानक के सवाल पर ट्राई ने खड़े किए हाथ Moradabad News
उत्तर प्रदेश में 2.67 लाख मोबाइल टॉवर लगे हैं। यह जानकारी टेलीकॉम रेगूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राइ) ने आरटीआइ में दी है।
रितेश द्विवेदी, मुरादाबाद : उत्तर प्रदेश में 2.67 लाख मोबाइल टॉवर लगे हैं। यह जानकारी टेलीकॉम रेगूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राइ) ने आरटीआइ में दी है। इनके सुरक्षा मानक के नाम पर ट्राई ने हाथ खड़े किए हैैं जबकि, अन्य सवालों पर सूचना उपलब्ध न होने की जानकारी दी है।
देश की मोबाइल कंपनियां कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के नाम पर टॉवर की संख्या बढ़ा रही हैं। वहीं इन टॉवरों से निकलने वाले रेडिएशन से इंसानों के साथ पशु-पक्षियों के प्रभावित होने के दावे किए जाते हैं। अलग-अलग संस्थाओं के रिसर्च में टॉवर से होने वाले रेडिएशन को खतरनाक बताया गया है लेकिन, सरकार ने कभी इस बात को स्वीकार नहीं किया। दैनिक जागरण ने आरटीआइ के माध्यम से ट्राइ से सुरक्षा मानक और उल्लंघन पर क्या कार्रवाई हुई से संबंधित सवाल पूछे थे, लेकिन ट्राई ने केवल एक सवाल का जवाब दिया जबकि, अन्य सवालों पर सूचना उपलब्ध न होने का जवाब दिया।
आरटीआइ के सवाल का जवाब देते हुए ट्राइ के लोक सूचना अधिकारी पी. जानकी ने कहा है कि देशभर में दिसंबर, 2019 तक 22 लाख 45 हजार 643 बीटीएस (बेस ट्रांसरिसीवर स्टेशन) टॉवर लगाए गए हैैं। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दो लाख 67 हजार 367 मोबाइल टॉवर लगाए गए हैैं। दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र-गोवा हैैं, जहां 1,93,915 टॉवर लगे हैैं। वहीं सबसे कम 24,584 टॉवर हिमाचल प्रदेश में लगे हैं।
2012 में ट्राइ ने तय किया रेडिएशन मानक
ट्राइ ने सरकार के निर्देश पर 2012 में मोबाइल टॉवर कंपनियों को रेडिएशन स्टैंडर्ड घटाने के निर्देश दिए थे। इस आदेश के बाद रेडिएशन लिमिट को दो वॉट प्रति किलोग्राम से घटाकर 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम कर दिया था।
मोबाइल टॉवर के लिए नगर निगम के साथ ही अन्य विभागों का अनापत्ति प्रमाण-पत्र लिया जाता है। अगर मोबाइल टॉवर को लेकर किसी को आपत्ति होती है, तो उसका मुकदमा हमारी कोर्ट में चलता है। धारा-133 के तहत हमारे स्तर से स्थान परिवर्तन या टॉवर बंद करने के आदेश जारी किए जाते हैं।
-राजेंद्र सिंह सेंगर, एडीएम सिटी
मोबाइल टॉवरों के रेडिएशन से होने वाले खतरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मेरी याचिका लंबित है। एक मामले में सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया था। हमें उम्मीद है कि जो याचिका हमने दाखिल की है, सुप्रीम कोर्ट जल्द ही फैसला सुनाएगा।
-गौरव बंसल, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट