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पार्टी की साख बचाने के लिए मैदान में उतरना पड़ा था नेहरू को, दिलचस्प है कहानी

पार्टी की साख बचाने में चुनाव प्रचार को जवाहर लाल नेहरू मुरादाबाद आना पड़ा था। रेलवे स्टेडियम में उनकी सभा हुई थी।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 12:42 AM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 07:55 PM (IST)
पार्टी की साख बचाने के लिए मैदान में उतरना पड़ा था नेहरू को, दिलचस्प है कहानी
पार्टी की साख बचाने के लिए मैदान में उतरना पड़ा था नेहरू को, दिलचस्प है कहानी

मुरादाबाद(तरुण पाराशर)। पहला लोकसभा चुनाव देश का पहला लोकतांत्रिक पर्व था। उसके साथ विधानसभा चुनाव भी कराए गए थे। इस दौरान मुरादाबाद कांग्रेस के साथ विवाद खड़ा हो गया था। पार्टी की साख बचाने में चुनाव प्रचार को जवाहर लाल नेहरू मुरादाबाद आना पड़ा था। रेलवे स्टेडियम में उनकी सभा हुई थी। इस सभा में विधानसभा से विधायक पद के लिए कांग्रेस के ही दो नेता आमने-सामने थे। इस विवाद को नेहरू ने एक नेता का पक्ष लिया और दूसरे नेता का नाम लिए बिना ही लोगों से हराने की अपील की थी।

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उस चुनाव में मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से प्रो. राम सरन प्रत्याशी थे। उनका दिल्ली तक बड़ा प्रभाव था। वह काशी विद्यापीठ में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे। उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू से उनके पक्ष में सभा करने के लिए आग्रह किया था। आम चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव के चलते मुरादाबाद विस सीट से केदार नाथ और लक्ष्मी नारायण श्रोत्रिय प्रत्याशी थे। केदार नाथ को पार्टी का समर्थन प्राप्त था जबकि लक्ष्मी नारायण की जनता के बीच अच्छी पकड़ थी। इसके चलते उन्होंने भी पर्चा दाखिल कर दिया। मुरादाबाद में जनवरी 1952 में सभा करने नेहरू आए थे। उनका स्वागत करने के बाद पान दरीबा से उनका जुलूस शुरू हुआ। उनकी एक झलक देखने के लिए सभी गलियां खचाखच भरी हुई थीं, लोग सड़कों के साथ ही घरों की छतों पर भी खड़े थे। वे जहां-जहां से गुजरे उन पर फूलों की वर्षा हुई। जुलूस मंडी बांस, बर्तन बाजार, अमरोहा गेट, टाउन हाल, गुरहट्टी होते हुए रेलवे स्टेडियम पहुंचा, वहां सभा की।

देश भक्ति के तरानों से हुई शुरुआत

उनकी रैली के बारे में वयोवृद्ध कांग्रेसी नेता लक्ष्मण प्रसाद खन्ना बताते हैं कि शुरुआत देशभक्ति के तरानों से हुई थी। स्टेडियम में खूब नारेबाजी हुई, लोगों में जबरदस्त उत्साह था। जवाहर लाल नेहरू जब बोलने के लिए खड़े हुए तो एकदम सन्नाटा छा गया। हर कोई उन्हें सुनने के लिए बेताब था। उन्होंने अपने भाषण में आजादी की लड़ाई के किस्से सुनाए। वे काफी देर तक बोले और लोग बड़े गौर से उन्हें सुन रहे थे।

नेहरू-गांधी परिवार का मुरादाबाद सीधा नाता

जवाहर लाल नेहरू के अलावा इंदिरा गांधी भी दो बार मुरादाबाद आ चुकी हैं। उन्होंने यहां के लोगों से मुलाकात भी की और बातें भी। यानी कांग्रेस का इस क्षेत्र की तरफ ध्यान रहा। लेकिन उसके बाद एक लंबे अंतराल तक कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं की मुरादाबाद से दूरी रही। पिछले चुनाव में कई कांग्रेसी नेता यहां आए। 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी मुरादाबाद आई थीं। इसके साथ ही राहुल गांधी भी जामा मस्जिद पार्क में चौपाल लगा चुके हैं। लेकिन फिर मुरादाबाद में किसी का आना जाना नहीं रहा। प्रियंका गांधी वाड्रा की ससुराल मुरादाबाद में होने के बावजूद उनका यहां आना जाना नहीं रहा है।

अनुशासन तोडऩे वालों को सबक सिखाने की अपील

इसके बाद उन्होंने देश के विकास के लिए लोगों से मतदान का आह्वान किया। विधानसभा चुनाव में दो कांग्रेस नेताओं के आमने-सामने होने पर उन्होंने कहा कि जिस उम्मीदवार को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है उसे ही वोट दें, जो अनुशासन तोड़कर पार्टी को ही चुनौती दे रहे हैं उन्हें सबक सिखाएं। परिणाम यह रहा कि लक्ष्मी नारायण श्रोत्रिय चुनाव हारे थे। लोकसभा क्षेत्र से प्रो. राम सरन मुरादाबाद के पहले सांसद बने और लगातार दो बार सांसद रहे। 


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