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ढुलाई का भाड़ा बचाने के लिए 23 लाख राशनकार्ड धारकों को बांट दिया कूड़ा मिश्रित गेहूं

डीएम के खराब गेहूं वापसी के आदेश को अधिकारियों ने हवा में उड़ाया। राशन कार्ड में दर्ज परिवार के प्रत्येक सदस्य को मिला है छह किलो गेहूं। गेहूं वापस करने पर अधिकारियों को ढुलाई का खर्च अपने पास से देना पड़ता। इसलिए खराब गेहूं ही बांट दिया गया।

By Narendra KumarEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 12:10 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 12:10 PM (IST)
ढुलाई का भाड़ा बचाने के लिए 23 लाख राशनकार्ड धारकों को बांट दिया कूड़ा मिश्रित गेहूं
ढुलाई का भाड़ा बचाने के लिए 23 लाख राशनकार्ड धारकों को बांट दिया कूड़ा मिश्रित गेहूं।

मुरादाबाद, जेएनएन। जिले भर के राशन कार्ड धारकों को गेहूं के नाम पर कूड़ा करकट व भूसा खाना पड़ रहा है। जिलाधिकारी के आदेश के बाद भी घटिया स्तर के गेहूं को वापस नहीं किया गया है। केवल पत्राचार किया जा रहा है। कमीशन के इस खेल में राशन कार्ड धारकों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

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अगस्त में जिलाधिकारी को सूचना मिली थी कि भारतीय खाद्य निगम से राशन की दुकानों पर घटिया गेहूं की आपूर्ति की जा रही है। गेहूं में काले दाने, कूड़ा, भूसा आदि मिला होता है। गरीब राशन कार्ड धारक ऐसे गेहूं खाने को मजबूर हैं। जिलाधिकारी ने सभी उप जिलाधिकारी को भेजकर राशन की दुकान को राशन आवंटित करने वाले राज्य खाद्य निगम गोदाम की जांच कराई थी। जांच में पाया गया कि गेहूं काफी घटिया स्तर का है। भारतीय खाद्य निगम को गेहूं वापस करके उसके स्थान पर अच्छा गेहूं लाकर वितरित कराया जाए। भारतीय खाद्य निगम के गोदाम से जिले भर के राशन दुकानदारों तक गेहूं पहुंचाने के लिए राज्य खाद्य निगम के गोदाम में भेजा जाता है। उप जिलाधिकारी के रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने राज्य खाद्य निगम को आदेश दिया था कि घटिया गेहूं भारतीय खाद्य निगम के गोदाम को वापस कर दिया जाए और उसके स्थान पर बढ़िया गेहूं लाकर वितरण करेंं। राशन दुकानों पर जितना भी खराब गेहूं है, उसे भी वापस करा दें। भारतीय खाद्य निगम को आदेश दिया था कि भविष्य में घटिया स्तर के गेहूं आवंटित नहीं किया जाए। इस आदेश के बाद भारतीय खाद्य निगम और राज्य खाद्य निगम में हचचल फैल गई। क्योंकि गेहूं वापस करने पर अधिकारियों को ढुलाई का खर्च अपने पास से देना पड़ता। राशन दुकानदारों को भी अपने खर्च पर घटिया गेहूं गोदाम तक लाना व ले जाना पड़ता। इससे बचने के लिए सभी ने मिलकर भूसा मिश्रित गेहूं राशन कार्ड धारकों को वितरित कर दिया।

23 लाख लोगों को आवंटित होता है राशन

जिले में 13 सौ राशन की दुकानें हैं। इन दुकानों से 5.50 लाख राशन कार्ड को खाद्यान्न वितरण किया जाता है। इन राशन कार्ड के जरिए 23 लाख व्यक्ति के भोजन की व्यवस्था होती है। वर्तमान में दो बार राशन दिया जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति को हर माह छह किलो गेहूं और चार किलो चावल दिया जाता है। इसमें तीन किलो गेहूं दो रुपये किलो और दो किलो चावल तीन रुपये किलो खरीदना पड़ता है। शेष तीन किलो गेहूं व दो किलो चावल निश्शुल्क होता है।

गेहूं में भूसा नहीं हैं। मंत्रालय के आदेश पर इस साल किसानों से बारिश में भीग चुके काले दाने वाला गेहूं खरीदा गया था। जैसा गेहूं खरीदा गया है, वैसा ही गेहूं राशन दुकानदारों को वितरण के लिए भेजा गया है। भीगा गेहूं भी नहीं भेजा गया है। अभी तक राज्य खाद्यान्न निगम ने भूसा मिश्रित वाला गेहूं वापस नहीं किया है।

रोहित राजपाल, क्षेत्रीय प्रबंधक, भारतीय खाद्य निगम, मुरादाबाद

उप जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट के बाद जिलाधिकारी ने भारतीय खाद्य निगम को घटिया व भूसा मिश्रित गेहूं आवंटित नहीं किए जाने का आदेश दिया था। किसी भी राशन दुकानदारों ने गेहूं वापस नहीं किया है। इसलिए आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी।

संजीव कुमार, जिला पूर्ति अधिकारी

कम खाद्यान्न दिए जाने की होती हैं शिकायतें

जिले में कम गेहूं दिए जाने की शिकायतें खूब होती हैं। पिछली बार इस मुद्दे को लेकर खूब राजनीतिक ड्रामा चला था और खाद्य निरीक्षकों पर कार्रवाई भी हुई थी।


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