पापा की तलाश में घर से निकले तीन मासूम भाई-बहन Moradabad News
यह ऐसे तीन बच्चों की दर्दनाक दास्तां है जो अपने पिता की खोज के लिए निकल पडे घर से। इन्हें रास्ते की दुश्वारियों की भी जानकारी नहीं थी।
मुरादाबाद : वर्ष 1969 में रिलीज फिल्म 'जीने की राह ' याद होगी। इसमें तीन बच्चे अपने पिता की तलाश में मुंबई की गलियों में भटकते हैं। उनकी जुबान पर मर्मस्पर्शी गीत चंदा को ढूंढने सभी तारे निकल पड़े...होता है। कुछ ऐसा ही नजारा शुक्रवार देर रात मुरादाबाद जंक्शन का रहा। पिता की तलाश में घर से निकले तीन मासूम भाई-बहन को जिसने भी देखा, वह द्रवित हो गया।
सगे भाई-बहन को चाइल्ड लाइन ने मां-बाप को सौंपा
चाइल्ड लाइन की समन्वयक श्रद्धा शर्मा के मुताबिक शुक्रवार देर रात जीआरपी ने संपर्क साधा। बताया कांठ के सलेमपुर गढ़ी गांव निवासी तीन बच्चे मुरादाबाद जंक्शन पर दिल्ली जाने वाली ट्रेन की तलाश करते लावारिस हाल में मिले हैं। बच्चों का नाम शुभान (8), साद (5) व अलीमा (3) है। तीनों उस्मान व शबनम की संतान हैं। चाइल्ड लाइन ने तीनों बच्चों को कब्जे में ले लिया। काउंसिलिंग के दौरान शुभान ने बताया पिता उस्मान दिल्ली में सिलाई करते हैं। मां घर पर तीनों भाई बहनों की परवरिश करती है। शुक्रवार को स्कूल से वापस लौटे तीनों भाई-बहन गांव में खेलने निकले। इस बीच तीनों ने आपस में बातचीत की और पिता के पास दिल्ली जाने का फैसला कर लिया। तीनों गांव से निकल कर आटो पर सवार हुए। मुरादाबाद जंक्शन पर पहुंचे। वहां दिल्ली जाने वाली ट्रेन का इंतजार करने लगे। इस बीच तीनों बच्चों पर जीआरपी की नजर पड़ गई। चाइल्ड लाइन ने शुभान के बताए नंबर पर संपर्क साधा। पता चला कि मोबाइल नंबर उस्मान का है। बच्चों के चाइल्ड लाइन में होने व दिल्ली आने की कोशिश करने की सूचना पाकर वह मुरादाबाद रवाना हो गया। इधर उसकी पत्नी शबनम चाइल्ड लाइन पहुंच गई। बाल कल्याण समिति ने बच्चों का ख्याल रखने की नसीहत देते मासूमों को उनके मां-बाप के सुपुर्द कर दिया। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष गुलजार अहमद ने बताया बच्चे मां-बाप को सौंप दिए गए हैं।