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आकाशवाणी का यह रामपुर केंद्र है, चुनौतियों के साथ खुद को बदल रहा केंद्र

National Radio Broadcasting Day नवाब रजा अली खां के प्रयास से 25 जुलाई 1965 को हुई थी रेडियो स्टेशन की स्थापना। मौजूदा दौर में लोगों को रेडियो से सीधा जुड़ाव।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 12:45 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 12:45 PM (IST)
आकाशवाणी का यह रामपुर केंद्र है, चुनौतियों के साथ खुद को बदल रहा केंद्र
आकाशवाणी का यह रामपुर केंद्र है, चुनौतियों के साथ खुद को बदल रहा केंद्र

रामपुर (क्रांति शेखर सारंग)। 336.7 मीटर, 891 किलो ह‌र्ट्ज पर आकाशवाणी का यह रामपुर केंद्र है। प्रस्तुत है फरमाइशी फिल्मी गीतों का कार्यक्रम, आपकी पसंद..' ये लाइन आपमें से बहुतों के जेहन में रेडियो की मधुरिम यादें जवां कर देती हैं। आज से करीब 30 साल पहले रेडियो का दौर था। जब इस छोटे से जादुई बक्से में हर वर्ग के मनोरंजन के लिए कुछ न कुछ हुआ करता था। इतना ही नहीं देश-विदेश की खबरों के साथ जानकारी का अद्भुत खजाना भी था इस पिटारे में। बात रामपुर रेडियो स्टेशन की करें तो इसकी स्थापना 25 जुलाई 1965 को हुई थी। इसकी शुरुआत का श्रेय नवाब खानदान को जाता है।

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आकाशवाणी की कार्यक्रम प्रमुख मनदीप कौर बताती हैं कि जब रामपुर रियासत का विलय हुआ, तब नवाब रजा अली खां ने बहुत सी शर्तें रखी थीं। इनमें से एक शर्त थी कि यहां पर रेडियो स्टेशन की स्थापना की जाए। इसका कारण नवाब का संगीत से अगाध प्रेम था। उस काल में उनके दरबार में बहुत से संगीतकार थे। रियासत विलय होने के बाद उनका क्या होगा इसकी चिता के चलते उन्होंने यह शर्त रखी थी। आकाशवाणी केंद्र खुला तो उन संगीतकारों को रोजगार मिल गया। इस केंद्र से पहला प्रसारण कृषि जगत का हुआ था। उसके बाद परिवार कल्याण के ऊपर कार्यक्रम शुरू हुए। इसके अलावा शास्त्रीय संगीत पर आधारित कार्यक्रम प्रमुखता के साथ प्रसारित किए जाते थे। क्योंकि यह वह दौर था जब इस तरह के संगीत को सुनने वालों की संख्या बहुतायत में थी। फौजी भाइयों के लिए, आपकी पसंद, आपकी चिट्ठी मिली, कलिया और जवाबी जी सवाली जी जैसे कार्यक्रमों ने काफी लोकप्रियता हासिल की।

पहले नहीं होती थी रिकॉर्डिग, सीधा प्रसारण होता था

कार्यक्रम प्रमुख मनदीप कौर ने बताया कि शुरुआती समय में रिकॉर्डिंग नहीं हुआ करती थी। कार्यक्रम लाइव प्रसारित किए जाते थे। अधिकांश कार्यक्रमों को उस समय लखनऊ से रिले किया जाता था। आज अपना यह केंद्र समय के साथ चलने के प्रयास में लगा हुआ है। लोगों से सीधा जुड़ने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इनमें शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत के कार्यक्रम बहुत पसंद किए जाते हैं। फरमाइशी गीतों पर आधारित आपकी पसंद, गीत गुंजन, अनुरोध गीत के अलावा फोन इन कार्यक्रम हेलो फरमाइश, संदेशे आते हैं बहुत लोकप्रिय हैं। इसके साथ ही महिलाओं के लिए आचल और नारी जगत का प्रसारण भी यहा से किया जा रहा है।

पुरानी चीजों की बनी रहती है लोकप्रियता

23 जुलाई को देश में राष्ट्रीय प्रसारण दिवस मनाया जाता है। रेडियो से जुड़ी यादों को ताजा रखने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है। जमाना चाहे कितना भी मॉडर्न हो जाए व नई मशीनें ले आए लेकिन, पुरानी चीजों की लोकप्रियता हमेशा बनी रहती है। रेडियो उस समय का साथी है जब मनोरंजन के साधन न के बराबर थे। यह वह दौर था जब लोगों के पास न तो टीवी होता था और न ही अन्य साधन। रेडियो लोगों की जिदगी का एक हिस्सा बन गया था। भले ही आज टीवी और मल्टीप्लेक्स का दौर है। लेकिन, रेडियो की जगह अभी तक कोई नहीं ले सका है। 


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