टीएमयू इंटरनेशनल काफ्रेंस में जुटेंगे दुनिया के नामचीन आइटी विशेषज्ञ
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) में 23 नवंबर से दो दिनी आइटी महाकुंभ का शुभारंभ होगा ।जिसमें कई नामी हस्तियां भाग ले रही है।
मुरादाबाद (जेएनएन)। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) में 23 नवंबर से दो दिनी आइटी महाकुंभ का शुभारंभ होगा। इसमें देश-विदेश की सैकड़ों कंप्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी की नामचीन हस्तिया शिरकत करेंगी। मलेशिया की यूनिवर्सिटी ऑफ पुत्रा से डॉ. नूर ईजरी बिन अब्दुल बहाव और रूस की स्टेट टेक्निकल यूनिवर्सिटी से डॉ. डेनिला पैरिगिन आकर्षण का केंद्र होंगे।
गोरखपुर के वाइस चांसलर होंगे मुख्यअतिथि
कॉलेज ऑफ कंप्यूटिंग सांइसेस एंड इंफारमेशन टेक्नालॉजी(सीसीएसआइटी) की ओर से दो दिनी सातवीं इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन स्मार्ट के पहले दिन एमएमएम यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नालॉजी गोरखपुर के वाइस चासलर श्रीनिवास सिंह बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। दूसरे दिन टीएमयू के फाउंडर वीसी एवं चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी हरियाणा भिवानी के वाइस चांसलर प्रो. आरके मित्तल बतौर मुख्य अतिथि होंगे।ऑडिटोरियम में आयोजित काफ्रेंस के पहले दिन काफ्रेंस प्रोसिडिंग का विमोचन भी होगा। काफ्रेंस में सात टेक्निकल सत्रों के दौरान तकरीबन 65 शोधपत्र पढ़े जाएंगे।
एचबीटीयू कानपुर के प्रो. करेंगे अध्यक्षता
काफ्रेंस के पहले दिन प्रोग्राम की अध्यक्षता एचबीटीयू कानपुर के प्रो. रघुराज सिंह करेंगे। दूसरे दिन प्रोग्राम की अध्यक्षता डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर इंजीनिय¨रग एएमयू अलीगढ़ के चेयरमैन प्रो. मो. सरोश उमर करेंगे। पूर्व कुलपति प्रो. वीके गोस्वामी बतौर स्पेशल गेस्ट होंगे। कांफ्रेंस में सीसीएसआइटी के अलावा आईईईई-यूपी सेक्शन, आई नर्चर, सेटपा की भी अहम भूमिका है।
डा. अरविंद गोयल बने टीएमयू के कुलाध्यक्ष
प्रख्यात समाजसेवी और शिक्षाविद डॉ. अरविंद गोयल को तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय (टीएमयू) में सम्मान स्वरूप कुलाध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। टीएमयू की सोसायटी के विशेष अनुरोध पर डॉ. गोयल ने विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष पद को स्वीकार कर लिया है। विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. गोयल को कुलाध्यक्ष बनाने का निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पारित टीएमयू अधिनियम संख्या 30, 2008 की धारा 10 (1) के अनुपालन में लिया गया है। कुलाध्यक्ष विशेष विजिटर होता है जिसे कुलपति की अपील सुनने का अधिकार भी होता है। विश्वविद्यालय के किसी भी समारोह में वह राज्यपाल के बाद की कुर्सी पर विराजमान होता है
विश्वविद्यालय प्रशासन में खुशी की लहर
डा. अरविंद गोयल को कुलाध्यक्ष बनाए जाने की जानकारी होते ही विश्वविद्यालय प्रशासन में खुशी की लहर दौड़ गई। इससे पहले डॉ. अरविंद गोयल ने एमआइटी के चेयरमैन पद पर रहते हुए इस शिक्षण संस्थान को सर्वश्रेष्ठ बनाया। अब उनके अनुभव से टीएमयू के हजारों विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। माना जा रहा है कि उनकी उपस्थिति से युवाओं में नए जोश का संचार होगा। इससे पूर्व टीएमयू कुलाध्यक्ष के पद को पूर्व सासद जेके जैन के अतिरिक्त कई नामचीन हस्तिया सुशोभित कर चुकी हैं। डॉ. गोयल देश में शिक्षा, समाजसेवा के लिए जाने जाते हैं।
लोगों में देप्रेम की जगा रहे अलख
वह लोगों में अपने कायरें से देश प्रेम की अलख जगाते रहे हैं। लाखों युवा उन्हें अपना आइडल मानते हैं। वृद्ध और बेसहारा लोगों की सेवा करना एवं उनके चेहरे पर मुस्कराहट लाना ही उनके जीवन का ध्येय है। डॉ. गोयल का मानना है कि शिक्षा और साक्षरता किसी भी व्यक्ति या राष्ट्र की सफलता का महत्वपूर्ण आधार हैं। वे कहते हैं कि आपका लक्ष्य केवल डिग्री पाना ही नहीं बल्कि अपने कर्तव्य के प्रति दृढ़-निश्चय होना चाहिए। शिक्षण संस्थाओं का ध्येय होना चाहिए कि युवा अच्छा इंसान बने, क्योंकि अच्छा व्यक्ति ही समाज और देश को आगे ले जा सकता है। टीएमयू प्रशासन का कहना है कि डा. अरविंद गोयल के अनुरोध एवं उनसे मिली प्रेरणा से ही टीएमयू मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 1800 मरीजों का बिना किसी फीस के इलाज किया जाता है। साथ ही दवाएं और भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है।
गरीबों और असहायों की सेवा से मिला सम्मान
डॉ. अरविंद गोयल को कुलाध्यक्ष पद मिलने से पूर्व दुनिया के अनेक बड़े मंचों पर कई सम्मान मिल चुके हैं। फिल्मी हस्तियों अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के साथ ही पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणव मुखर्जी एवं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए आइफा अवार्ड भी मिल चुका है। उनके प्रति लोगों के जुड़ाव का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते माह जब वह बीमार हुए तो शहर के हजारों लोग उन्हें देखने के लिए अस्पताल पहुंच गए। उनके प्रति विभिन्न समुदायों में सम्मान का भाव है, इसी का परिणाम था कि बीमार होने पर उनके लिए मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में प्रार्थना की गई। वह देश के बड़े शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों को व्याख्यान देकर उन्हें सफलता का मंत्र देते हैं।