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पॉलीथिन पर प्रहार से गिर रही मुफलिसी की दीवार Moradabad News

तीन महीने में ही मुरादाबाद के अलग-अलग गांवों की सौ से ज्यादा बेटियों महिलाओं ने जूट और कपड़े के बैग सीने का काम शुरू किया है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 08:18 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 08:18 AM (IST)
पॉलीथिन पर प्रहार से गिर रही मुफलिसी की दीवार Moradabad News
पॉलीथिन पर प्रहार से गिर रही मुफलिसी की दीवार Moradabad News

मुरादाबाद (प्रांजुल श्रीवास्तव) । स्वच्छ भारत मिशन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना पॉलीथिन मुक्त समाज का भी है। इसकी चर्चा वह 23 सितंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र संघ के जलवायु परिवर्तन सत्र को संबोधित करते हुए भी कर चुके हैं। उसी के बाद से देश में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकने के लिए अभियान छेड़ा दिया गया। यही अभियान मुरादाबाद के गांवों में पहुंच गया है, जिसने न केवल लोगों को पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित किया है, बल्कि मुफलिसी की दीवार पर भी प्रहार किया है।

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तीन महीने में ही मुरादाबाद के अलग-अलग गांवों की सौ से ज्यादा बेटियों, महिलाओं ने जूट और कपड़े के बैग सीने का काम शुरू किया है। इसकी बदौलत अब न सिर्फ लघु और कुटीर उद्योग को रफ्तार मिली है बल्कि हर माह छह से आठ हजार रुपये कमा कर ये युवतियां व महिलाएं सशक्त भी हो रही हैं। सिंडिकेट ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के डायरेक्टर अमित जैन बताते हैं कि कपड़े व जूट के बैग सिलने के लिए हर माह एक से दो प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इनमें अब तक 500 से ज्यादा महिलाएं प्रशिक्षित हो चुकी हैं और 170 महिलाओं ने अलग-अलग काम भी शुरू कर दिया है।

बड़ी संख्या में मिल रहे ऑर्डर

छजलैट ब्लाक के नजराना गांव निवासी प्रशिक्षिका शोभा चौधरी बताती हैं कि कुंचावली, पंचोगरा व चंगेरी गांव में इस समय पांच स्वयं सहायता समूह ऐसे तैयार हुए हैं जो केवल कपड़े सिलने का काम कर रहे हैं। शोभा बताती हैं कि हर समूह में 15 से 20 महिलाएं इस समय जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा बैंक, क्लब व अस्पतालों से बड़ी मात्रा में भी ऑर्डर मिल रहे हैं। इसके जरिए हर महिला प्रति माह छह से सात हजार रुपये काम भी रही है। हाल ही में एक नर्सिंग होम से आठ हजार बैग का ऑर्डर मिला है।

प्लास्टिक पर बैन लगने के बाद तेजी से कपड़े व जूट के बैग के ऑर्डर बढ़े हैं। हमारे यहां भी माह में एक से दो बैच इसी से जुड़े होते हैं। हाल में एक स्वयं सहायता समूह को आठ हजार बैग का ऑर्डर मिला है।

- अमित जैन, डायरेक्टर, आरसेटी।  


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