कागजों में जलती है चौराहों पर लगी लाल बत्ती
मुरादाबाद शहर में यातायात सुधार को लेकर अफसर आए दिन दावे करते हैं, मगर हालत बिल्कुल जुदा है। यहां कागजों में ट्रेफिक लाइट जलती है और यातायात संभालने के लिए पुलिस कर्मी तैनात किये जाते हैं।
मुरादाबाद (रितेश द्विवेदी)।
शहर में यातायात सुधार को लेकर अफसर आए दिन दावे करते हैं। इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट योजना लागू करने की बात कही जाती है। इसके बाद भी शहर की यातायात व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। यातायात सुधारने को लेकर साल 2016 में मुरादाबाद विकास प्राधिकरण से सवा सौ करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण से प्राप्त बजट से शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने का संकल्प लिया गया था। इस योजना के तहत तीस चौराहों को हाईटेक बनाने का प्लान तैयार किया गया था। जिसमें प्रथम चरण में पांच चौराहों को सीसीटीवी,ट्रैफिक लाइट के साथ ही अत्याधुनिक कंट्रोल रूम स्थापित करने की योजना तैयार की गई थी। प्राधिकरण अफसरों ने चौराहों को हाईटेक करने के लिए करोड़ों रुपये की धनराशि को पानी की तरह बहा डाला। इसके बाद भी शहर की यातायात व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई। इस धनराशि के खर्च होने के बाद भी किसी भी चौराहे में यातायात का संचालन ट्रैफिक लाइट से नहीं होता है। जिन पांच चौराहों को हाईटेक करने का निर्णय लिया गया था,उसमें रामपुर तिराहा,हनुमान मूर्ति,इम्पीरियल चौराह,फव्वारा चौक के साथ ही पीएसी तिराहा का नाम शामिल था। इन चौराहों पर बड़ी-बड़ी कंपनियों से अनुबंध करके ट्रैफिक लाइट लगाने का काम तो किया गया,लेकिन इनका संचालन आज तक सही ढंग से नहीं हो पाया। यातायात विभाग के अफसरों से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने कहा कि एक निजी कंपनी के द्वारा यातायात लाइट लगाने का अनुबंध एमडीए के द्वारा किया गया था। मेंटीनेंस का पैसा न देने के कारण यह अनुबंध आगे नहीं बढ़ा। मेरठ की एक कंपनी ने चौराहों पर ट्रैफिक लाइट और सीसीटीवी लगाने का काम किया था। कोबरा मोटर साइकिल भी गायब
एमडीए से आवंटित बजट से यातायात विभाग के लिए दस मोटर साईकिल भी खरीदी गई थी। जिन्हें कोबरा नाम दिया गया था। लगभग एक लाख दस हजार रुपये की कीमत से एक बाइक खरीदी गई थी। लेकिन मौजूदा समय में इन बाइक का कहां प्रयोग हो रहा है इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्राधिकरण के बजट से ही पांच सौ बैरियर भी खरीदे गए थे। एसपी ट्रैफिक सतीश कुमार ने बताया कि मेंटीनेंस का बजट न मिलने के कारण ट्रैफिक लाइट खराब पड़ी है। किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक लाइन काम नहीं कर रही है। मेंटीनेंस का बजट कंपनी को देने के लिए मंडलायुक्त को पत्र भेजा गया है।
मुविप्रा उपाध्यक्ष कनक लता त्रिपाठी ने कहा कि मेरे कार्यकाल से पहले यातायात व्यवस्था के लिए बजट आवंटित किया गया था। इस संबंध में अधीनस्थ अफसरों से बात करके बजट और नियम-शर्तो की जानकारी लेकर उचित कार्रवाई के दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।