अंग्रेजों के जमाने का टोकन सिस्टम रेलवे से होगा विदा, रेलवे की ये है तैयारी Moradabad News
चालक और पोर्टर को जान पर खेलकर लेना देना पड़ता है टोकन। अब इंटरनेट से संचालित उपकरण लगाने की मिली स्वीकृति।
मुरादाबाद(प्रदीप चौरसिया)। रेलवे से अंग्रेजों के जमाने का टोकन सिस्टम विदा होने जा रहा है। मुरादाबाद रेेेल मंडल के दो मार्गों पर ट्रेन संचालन के लिए टोकन सिस्टम हटाकर इंटरनेट से संचालित उपकरण लगाने की स्वीकृति मिल गई है।
पहले यह था सिस्टम
एक से दूसरे स्टेशन तक ट्रेन को सुरक्षित चलाने के लिए कई व्यवस्थाएं की जाती हैं। अंग्रेजों के जमाने में ट्रेन संचालन के लिए टोकन सिस्टम था। सिग्नल डाउन होने के बाद स्टेशन मास्टर ट्रेन चालक को टोकन देता था। बिना रुके ट्रेन चालकों को जान जोखिम में डालकर टोकन लेना पड़ता है। चलती ट्रेन के चालक को टोकन देते समय पोर्टर गिरकर घायल भी हो जाते थे।
रेलवे ने किया बदलाव
समय के साथ रेलवे का सिस्टम में बदलाव जारी है। इस क्रम में देश के अधिकांश स्टेशनों से टोकन सिस्टम खत्म किया चुका है। आधुनिक ट्रेन संचालन उपकरण व सिग्नल सिस्टम लगाया जा रहा है। मुरादाबाद रेल मंडल के बालामऊ- उन्नाव रेल मार्ग और मुअज्जमपुर-गजरौला रेल मार्ग पर ही आज भी टोकन सिस्टम से ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। दोनों मार्ग पर 15 स्टेशन हैं। रेलवे बोर्ड ने दोनों मार्ग पर आधुनिक सिस्टम से ट्रेन चलाने वाले उपकरण लगाने की स्वीकृति दे दी है। अंग्रेजों के जमाने का टोकन सिस्टम मार्च 2021 तक रेल मंडल से पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उसके बाद टोकन सिस्टम को संग्रहालय में रख दिया जाएगा।
रेल मंडल के दो मार्गों पर टोकन सिस्टम से ट्रेनों का संचालन किया जाता है। उसके स्थान पर आधुनिक सिस्टम वाला उपकरण लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।
आरके तायल, प्रवर मंडल संरक्षा अधिकारी।