मुरादाबाद के 10 गांवों में दलालों का राज, इनके बिना किसानों को बैंक से नहीं मिलता है किसी तरह का कर्ज
CBI action in Moradabad दलालों के कारनामे बैंक प्रबंधक की मिलीभगत से फलते-फूलते रहे। रिश्वत के खेल में दलालाें के आगे अन्य कर्मचारी नतमस्तक थे। अगर कोई किसान सीधे ऋण के लिए बैंक प्रबंधक से संपर्क करता था तो उन्हें परेशान किया जाता था।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। CBI action in Moradabad : लालाटीकर स्थित प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक में सीबीआइ के छापे के बाद से नए-नए राज खुल रहे हैं। इस शाखा से क्षेत्र के 10 गांव में दलालों का बोलबाला था। मुख्य रूप से चार दलाल सक्रिय थे, इनके बिना किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण नहीं मिल सकता था। गांव रौंडा झौंड़ा, लालाटीकर, दौलतपुर, नगली, अहमदपुर, गौमदपुर, गतौरा, खिदमतपुर और वीरपुर वरियार को चार दलालों ने आपस में बांट रखा था।
क्षेत्र में दबंग होने के कारण इनके कारनामे बैंक प्रबंधक की मिलीभगत से फलते-फूलते रहे। रिश्वत के खेल में दलालाें के आगे अन्य कर्मचारी नतमस्तक थे। अगर कोई किसान सीधे ऋण के लिए बैंक प्रबंधक से संपर्क करता था तो कागजों में कमियां निकालकर परेशान किया जाता था। ग्रामीणों को मलाल इस बात का है कि चार दलालों में एक को ही सीबीआइ पकड़ सकी। शाखा बिल्डिंग में सात साल से संचालित हैं। प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक की शाखा को लेकर कई बार शिकायत की गई। शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई और न शाखा को शिफ्ट किया गया। बैंक के पास ही एक जन सुविधा केंद्र पर दलाल केसीसी से संबंधित कागजों की प्रक्रिया पूरी कराते थे।
क्षेत्र के दस गांव में दलालों ऋण दिलाने के नाम पर दखल था। इनके बिना ऋण स्वीकृत कराना किसानों के लिए मुश्किल था। जिस बिल्डिंग में प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक की शाखा संचालित है, उसके स्वामी का भी दलालों को संरक्षण प्राप्त है। बैंक में दलालों के हस्तक्षेप को लेकर मैंने भी बैंक मुख्यालय में शिकायत की थी।
मुकेश शर्मा, ग्रामीण
दलालों को संरक्षण देने का आरोप गलत है। मुझे स्वयं सीबीआइ के आने की जानकारी पहले से थी। बैंक प्रबंधक से मेरा भी दलालों को संरक्षण देने को लेकर झगड़ा हुआ था। सीबीआइ ने मुझसे भी पूछताछ की थी। दलालों पर जो कार्रवाई हुई वह ठीक हुई है। गांव की राजनीति के चलते मेरा नाम उछाला जा रहा है।
मुहम्मद आरिफ, पूर्व प्रधान एवं बिल्डिंग स्वामी
इस शाखा में गरीब किसान की नहीं सुनी जाती थी। अगर कोई सीधा कर्मचारियों के पास जाता था तो बैंक कर्मचारी ही दलालों के पास जाने को किसानों को मजबूर करते थे। सीबीआइ की कार्रवाई बिल्कुल सही हुई। कासिम अली, समाजसेवी
दलालों का सीधे दखल की चर्चा बहुत थी। लेकिन, कोई इनका बाल बांका नहीं कर पा रहा था। सीबीआइ एक दलाल को लेकर गई है। लेकिन, जो दलाल भाग गए उनको भी ट्रेस करके सीबीआइ किसान हित में इनको पकड़े। देवेंद्र चौधरी, ग्रामीण
मेरी मां से इस शाखा के भीतर से 60 हजार रुपये लूट लिए थे। शाखा के कैमरे बंद थे। बैंक प्रबंधक ने इसको हलके में लिया। पुलिस ने लुटेरों का कोई सुराग नहीं लगाया। पैसा निकालना व जमा करना भी यहां सुरक्षित नहीं।
प्रेम सिंह, ग्रामीण लालाटीकर
गांव में दलालों का बोलबाला है। बैंक में गरीब मजदूर, किसान का कोई काम नहीं बिना दलालों के नहीं होता था। भाजपा सरकार की छवि खराब करने वालों पर सीबीआइ की कार्रवाई ठीक रही। अन्य दलालों को पकड़ा जाना चाहिए।
संजय चौधरी, भाजपा, जिला उपाध्यक्ष, रामपुर