नवाब खानदान में हैं चार सौ से ज्यादा हथियार, अब होगा बंटवारा Rampur News
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए संपत्ति का बंटवारा इस्लामी शरीयत के हिसाब से करने के आदेश दिए और बंटवारे की जिम्मेदारी जिला जज को सौंपी।
रामपुर (मुस्लेमीन)। आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का राज था। उनकी अपनी फौज थी। उसमें बड़े-बड़े हथियार थे। इनमें तोपें भी शामिल थीं। रामपुर रियासत के भारत सरकार में विलय के समय ये तमाम हथियार सरकार को दे दिए गए थे लेकिन, नवाब खानदान के निजी हथियार भी थे, जो नहीं दिए गए थे। इनकी संख्या भी चार सौ से ज्यादा है। इनमें तोप, रायफल, बंदूक, रिवाल्वर, पिस्टल, तलवार, खंजर आदि शामिल हैं। बंदूकें तो तोप जैसी हैं। ये सभी हथियार कोठी खासबाग में रियासत की आरमरी के स्ट्रांग रूम में रखे हैं। जिन पर प्रशासन की सील लगी है। इसके चलते ये हथियार अभी आमजन नहीं देख सकते हैं। इसकी सुरक्षा के लिए पुलिस भी तैनात रहती है। कोठी खासबाग में ही पुलिस चौकी भी बना दी गई है। दो माह पहले सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद अब नवाब खानदान की संपत्ति का बंटवारा होगा। इसमें हथियार भी शामिल रहेंगे। दरअसल, नवाब खानदान में अरबों रुपये की संपत्ति के बंटवारे को लेकर मुकदमेबाजी चल रही थी। 45 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बंटवारे का फैसला किया है। बंटवारे के बाद नवाब खानदान के लोग अपने हिस्से में आए शस्त्रों को बेच भी सकेंगे। इन पर लगी सील हटेगी और आम जनता इसे देख भी सकेगी। सिटी मजिस्ट्रेट सर्वेश कुमार गुप्ता का कहना है कि एक व्यक्ति के तीन शस्त्र लाइसेंस ही बन सकते हैं। बंटवारे के बाद जो भी स्थिति सामने आएगी। उससे शासन को अवगत कराया जाएगा, क्योंकि ज्यादा हथियार रखने के संबंध में शासन ही फैसला कर सकता है।
तोप की तरह गोले दागती थीं बंदूकें
रामपुर रियासत की बंदूकें भी खास हैं। हथियारों के जखीरे में चार और आठ बोर की बंदूक भी शामिल हैं। शस्त्र विक्रेता राशिद खान बताते हैं कि चार बोर की बंदूक के कारतूस आजकल के कारतूस से करीब छह गुना बड़े होते थे। ये बंदूक मिनी तोप जैसी होती थी। अब इसके कारतूस ही नहीं मिल पाएंगे। रामपुर रियासत में हथियार बनाने के अपने कारीगर थे। उनके द्वारा ही कारतूस बनाए जाते थे। नवाब खानदान के पास जो हथियार हैं, उनमें अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, स्पेन और जर्मनी के हथियार भी शामिल हैं, जो सैकड़ों साल पुराने हैं। इनके अलावा जो हथियार रामपुर में बनाए गए हैं, उन पर रामपुर एस्टेट लिखा है।
प्रशासन की निगरानी
नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां बताते हैं कि ये सभी हथियार उस समय प्रशासन की निगरानी में आ गए थे, जब नवाब खानदान में बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हुआ। नवाब खानदान में अरबों रुपये की संपत्ति को लेकर 1974 से मुकदमेबाजी चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए संपत्ति का बंटवारा इस्लामी शरीयत के हिसाब से करने के आदेश दिए और बंटवारे की जिम्मेदारी जिला जज को सौंपी।
दो कमिश्नर नियुक्त
जिला जज ने नवाब खानदान की संपत्ति बंटवारे के लिए दो कमिश्नर नियुक्त किए हैं। इनमें अधिवक्ता कैलाश अग्रवाल और मुजम्मिल हुसैन शामिल हैं। ये दोनों नवाब खानदान की संपत्ति का सत्यापन करने के बाद बंटवारे संबंधी रिपोर्ट जिला जज को देंगे। अग्रवाल ने बताया कि चल और अचल संपत्ति का बंटवारा होना है। दोनों का अलग-अलग सत्यापान किया जाएगा। हथियार चल संपत्ति है।