कुत्ते की हो गई थी तबीयत खराब, शिकायत के बाद मिला इलाज
कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान कुत्ते पालने के शौकीनों को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
मुरादाबाद, जेएनएन : नस्लीय कुत्तों को पालना आसान नहीं है। खाने से लेकर उनके रहन-सहन का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान कुत्ते पालने के शौकीनों को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। हालात ये हो गए थे कि कुत्ते को उल्टियां और मोशन की परेशानी बढ़ गई थी। प्रशासनिक मदद के बाद कुत्ते को इलाज मिल पाया था।
पालतू कुत्तों का खास ध्यान रखा जाता है। लॉकडाउन में जहां कुत्तों का भी घरों से बाहर निकलना बंद हो गया था तो वहीं कुत्ते पालने वालों के लिए उसकी तबीयत खराब होने के बाद इलाज कराना भी टेढ़ी खीर था। आशियाना कालोनी के रहने वाले रॉबर्ट के पास तीन कुत्ते हैं। उनका ख्याल वो खुद से भी ज्यादा रखते हैं। 21 जून को लेबराडोर की हालत खराब हो गई। दो दिन तक लूज मोशन और उल्टियों की वजह से उसकी हालत खराब हो गई। इलाज के लिए कहां लेकर जाए कुछ समझ नहीं आ रहा था। दीन दयाल नगर स्थित पेट शॉप संचालक शैलेंद्र कुमार ने प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क किया। इसके बाद डॉक्टर की दुकान खुलवाकर कुत्ते का परीक्षण कराया गया। रॉबर्ट ने बताया कि हर माह कुत्तों के रखरखाव पर 15 हजार रुपये तक खर्च हो जाते हैं। कुत्तों की देखभाल के लिए कर्मचारी भी लगा रखा है।