Corona fighters : जितने बड़े कारोबारी उतना बड़ा दिल, कोरोना मरीजों को मुफ्त में ऑक्सीजन दे रहे दीपक खंडेलवाल
बीमार पिता के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने में आई दुश्वारी ने रामपुर के दीपक खंडेलवाल की सोच बदल दी। अब वह जरूरतमंदों में फ्री में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराते हैं।
रामपुर (मुस्लेमीन)। Corona fighters। कोरोना काल में तमाम लोगों ने जरूरतमंदों की बढ़चढ़कर सेवा की है। लेकिन, रामपुर के दीपक खंडेलवाल राशन या खाना बांटने के बजाय मौत से जूझ रहे मरीजों को आक्सीजन दे रहे हैं। वह मरीजों को मुफ्त में आक्सीजन के सिलेंडर मुहैया करा रहे हैं।
सिविल लाइंस की फ्रेंडस कालोनी निवासी दीपक खंडेलवाल शहर के बड़े कारोबारियों में शुमार हैं। कारोबार की तरह ही उनका दिल भी बढ़ा है। मरीजों की सेवा कर मिसाल पेश कर रहे हैं। कहते हैं कि मरीज के लिए ऑक्सीजन कितनी जरूरी है, इसका अहसास उन्हें पिता की तबीयत खराब होने पर हुआ। उनके पिता अस्थमा के मरीज थे। हालत खराब होने पर उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ी। लेकिन, दिनभर में उन्हें सिलेंडर नहीं मिल सका। काफी मशक्कत के बाद एक हॉस्पिटल से जैसे तैसे एक सिलेंडर मिल पाया। तब उन्हें अहसास हुआ कि जरूरत पर यदि मरीज को ऑक्सीजन न मिले तो उस पर क्या बीतती है। इसके बाद उन्होंने मुफ्त ऑक्सीजन सिलेंडर की सेवा शुरू करने का संकल्प लिया। 2014 में उन्होंने दस ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे और जरूरतमंदों को बिना किसी भेदभाव के पूरी किट के साथ निशुल्क मुहैया कराना शुरू कर दिया। कोरोना काल में इसकी डिमांड बढ़ गई है, इसे देखते हुए उन्होने सिलेंडरों की संख्या 25 कर दी है। वह मरीजों को मुफ्त में सिलेंडर देते हैं। पिछले तीन माह में 95 मरीजों को सिलेंडर दे चुके हैं। Free oxygen to corona patients
मशीनों से बनाते हैं आक्सीजन
दीपक बताते हैं कि उनके पास 25 सिलेंडरों के साथ ही तीन आक्सीजन मेकर भी हैं। ये इलेक्टिक मशीनें हैं और इनके जरिये गैस तैयार होती है। एक मशीन 60 हजार की है, जबकि छह किलों का गैस सिलेंडर साढ़े पांच हजार रुपये का है। गंभीर मरीज को वह सिलेंडर के साथ ही मशीन भी दे देते हैं, ताकि उसके घर पर ही आक्सीजन भी बनती रहे। कई मरीज तो ऐसे हैं, जो महीनेभर तक सिलेंंडर का इस्तेमाल करते हैं। पिछले दिनों अनिलेश अग्रवाल और महबूब खां की हालत खराब हुई तो उन्हे फौरन आक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराया गया। उनके पास ऐसे लोगों को लंबी फहरिस्त है, जिन्हे वे आक्सीजन मुहैया करा चुके हैं। अब तक करीब एक हजार आक्सीजन ले चुके हैं।