पाकिस्तानी छात्रों के इल्म को परख रहे प्रो. नाशिर Amroha news
ये इल्म का दरिया है सरहदों से नहीं रुकता। बहता ही जाता है बहता ही जाता है।
आसिफ अली, (अमरोहा): ये इल्म का दरिया है, सरहदों से नहीं रुकता। बहता ही जाता है, बहता ही जाता है। इल्म भी वह जिसके लिए पैगंबर मोहम्मद मुस्तफा ने भी हजरत अली को इल्म का दरवाजा बताया है तथा जिसकी आराध्य देवी मां सरस्वती हैं। इल्म की इस रोशनी को अमरोहा निवासी रिटायर्ड प्रो. नाशिर नकवी बखूबी देश ही नहीं बल्कि विदेश तक पहुंचा रहे हैं। वह पाकिस्तान के चार विश्वविद्यालयों को विदेशी परीक्षक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। वहां पढऩे वाले छात्र-छात्राओं के तालीमी स्तर पर वह अपनी रिपोर्ट देते हैं। उसके आधार पर पाकिस्तान के विश्वविद्यालय शैक्षिक सत्र शुरू कराते हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद अब वह अमरोहा में इल्म का दरिया बहा कर यहां के छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
बेहद सादा मिजाज शख्सियत हैं नाशिर
नगर के मुहल्ला बड़ा दरबार में रहने वाले प्रो. नाशिर नकवी बेहद सादा मिजाज शख्सियत हैं। सिर पर टोपी, ढीले-ढाले पैंट-शर्ट पहले औसत शरीर के इस शख्स को देखकर शायद ही कोई अंदाजा लगा पाएगा कि उनके भीतर शिक्षा का भंडार है। शहर में आवाजाही के लिए रिक्शा का प्रयोग करने वाले श्री नकवी खुद सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी से सेवानिवृत प्रो. नाशिर वहां पर उर्दू, फारसी व अरबी विभाग के अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही बाबा फरीद सूफी सेंटर के डायरेक्टर भी रहे हैं।
शायरी व लेखनी में महारत हासिल, लिख चुके हैं 24 किताबें
शायरी व लेखनी में महारत रखने वाले श्री नकवी उर्दू व पंजाबी साहित्य के साथ ही सूफीज्म पर 24 किताबें लिख चुके हैं। हालांकि सेवानिवृत होने के बाद वह अब घर पर ही रहते हैं तथा यहां पर स्थानीय छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं। परंतु आज भी पाकिस्तान के चार बड़े विश्वविद्यालय श्री नकवी की रिपोर्ट पर अपने शैक्षिक सत्र शुरू करते हैं। क्योंकि वर्ष 2008 में पाकिस्तान सरकार द्वारा उन्हें लाहौर की पंजाब यूनिवर्सिटी, करांची यूनिवर्सिटी, सियालकोट यूनिवर्सिटी व ङ्क्षसध यूनिवर्सिटी का विदेशी परीक्षक बनाया था। वह इन यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं के तालीमी स्तर पर वह अपनी रिपोर्ट देते हैं। हालांकि सेवानिवृत्त होने के बाद 2016 से वह पाकिस्तान नहीं गए हैं, लेकिन आज भी वह इस पद पर बने हुए हैं। इस बारे में श्री नकवी बताते हैं कि आज भले ही हमारे मुल्क के पाकिस्तान से ताल्लुकात बेहतर नहीं हैं लेकिन वहां के विश्वविद्यालय आज भी भारतीय तालीम के कायल हैं। वहां के मुकाबले हमारे देश में शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा है। बोले-बीते तीन साल से पाकिस्तान जाना नहीं हुआ। ऑनलाइन सारी रिपोर्ट भेज देते हैं। फिलहाल अमरोहा में ही छात्र-छात्राओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।