रामपुर में इस कोठी के आसपास पांच डिग्री कम रहता तापमान
मुरादाबाद( मुस्लेमीन)। नवाब खानदान की कोठी खासबाग अपने नाम की तरह ही खास है। इस कोठी के आसपास तापमान पांच डिग्री कम रहता है।
By Edited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 01:04 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 01:04 PM (IST)
मुरादाबाद( मुस्लेमीन)। नवाब खानदान की कोठी खासबाग अपने नाम की तरह ही खास है। अरबों रुपये की लागत से बनी इस आलीशान कोठी को इस तरह बनाया गया कि भीषण गर्मी में भी पूरी तरह ठंडी रहे। इसमें दो सौ कमरे और सिनेमा हाल समेत कई बड़े हाल हैं। 12 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले खासबाग के आसपास तापमान भी पाच डिग्री कम रहता है। कोठी खासबाग 1930 में बनकर तैयार हुई थी। उस समय यहा नवाब हामिद अली खा का राज था। कोसी नदी किनारे बनी इस कोठी के चारों ओर बाग हैं, जिसमें एक लाख से ज्यादा पेड़ लगे हैं। कोठी यूरोपीय इस्लामी शैली में बनी है। यहां के बड़े बडे़ हाल बर्माटीक और बेल्जियम ग्लास के झूमरों से सजाए गए हैं। इसमें नवाब का आफिस, सिनेमा हाल, सेंट्रल हाल व संगीत हाल भी बनाया गया। सेंट्रल हाल में बेशकीमती पेंटिंग लगी हैं। कोठी के मुख्य द्वार पर गुंबद बने हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार चाद लगा रहे हैं। इसकी सीढि़या इटेलियन संगमरमर से बनी हैं। बर्फ की सिल्लियों से ठंडी होती थी कोठी नवाब जुल्फिकार अली खा उर्फ मिक्की मिया की पत्नी पूर्व सासद बेगम नूरबानो बताती हैं कि वह कोठी में 1950 से 1960 तक रहीं। यह देश की पहली फुल्ली एयरकंडीशनर कोठी है। कोठी में बर्फखाना बनाया गया, इसमें लोहे के फ्रेम में बर्फ की सिल्ली रखी रहतीं हैं। इनके पास में दो मीटर से भी बड़े साइज के पंखे लगे थे। पंखे को चलाने के लिए 150 हार्सपावर की बिजली मोटर लगाई। पंखे की हवा बहुत तेज निकलती थी, जो बर्फ की सिल्लियों से होकर कोठी के कमरों में जाती। कमरों तक हवा पहुंचाने के लिए पूरी कोठी के नीचे दो गुणा दो फीट की पक्की नाली बनाई गई। इस सेंट्रल नाली से कमरों के लिए छोटी-छोटी नालिया बनाई गईं। इन नालियों के मुंह पर फ्रेम लगाए गए, इनसे जरूरत के मुताबिक ही हवा निकलती थी। इस सिस्टम की देखरेख के लिए इंजीनियरों की पूरी टीम थी। इसके हेड लड्डन खा हुआ करते थे। कोठी को खास तकनीक से बनाया गया आर्किटेक्ट नसीम रजा कहते हैं कोठी को ऐसी तकनीक से बनाया गया है कि यह भीषण गर्मी में भी ठंडी रहे। इसकी छत को डाट तकनीक से बनाया गया, जिसकी मोटाई करीब दो फीट है। कोठी को ठंडा रखने के लिए इसकी दीवारों के निर्माण में भी विशेष ध्यान दिया गया। दीवारों की अंदरूनी सतह चिकनी है। हवा प्रतिरोध से बचने के लिए कोनों को गोलाकार बनाया गया है। दीवारों की मोटाई भी ज्यादा है। कोठी के चारों ओर बाग हैं और पश्चिम में नदी। वातावरण हराभरा होने के कारण आसपास का तापमान करीब पाच डिग्री कम रहता है। कोठी के एक किलोमीटर दायरे में आने पर ठंडक महसूस होने लगती है। खासबाग इमामबाड़े में हुई थी देश की सबसे बड़ी चोरी रामपुर ओकाफ के 17 साल तक सचिव रहे शाहिद महमूद खा बताते हैं कि खासबाग इमामबाड़े में सोने व चादी के वेशकीमती जरी और अलम हैं। एक जरी तो करीब दो क्विंटल चादी से बनी है, जिसका गुंबद सोने का है। इमामबाड़े के पास ही नवाब का स्ट्राग रूम है, जिसमें 1972 में नकब लगाकर करोड़ो रुपये की चोरी हुई थी, जिसे हिंदुस्तान की सबसे बड़ी चोरी बताया गया। अब नहीं रहता नवाब खानदान पहले नवाब खानदान इसी कोठी में रहता था, लेकिन नवाब मुर्तजा अली खा की पत्नी आफताब जमानी बेगम की मौत के बाद से नवाब खानदान के लोग इसमें नहीं रह रहे हैं। उनके बेटे मुराद मिया और बेटी निखत बी रामपुर से बाहर रहते हैं। वे यहा कभी कभार ही आते हैं। उनके कारिंदे ही कोठी व बाग की देखभाल के लिए यहा रहते हैं, जबकि पूर्व सासद बेगम नूरबानो अपने परिवार के साथ रामपुर में ही नूरमहल में रहती हैं।
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