खफा होकर घर से निकल गया किशोर, पुलिस ने पूछा तो बोला-नदी में डूब गए माता-पिता Moradabad News
आजकल के बच्चे और किशोर जरा सी बात पर ही घर छोड़ने पर आमादा हो जाते हैं। मुरादाबाद में एक ऐसा ही मामला सामने आया।
मुरादाबाद, जेएनएन। बदलते दौर के साथ बच्चों और किशोरों में सहनशीलता खत्म हो जाती है। अभिभावकों की बच्चों से दूरी और उनके साथ दोस्ताना व्यवहार न रखना भी इसकी एक बड़ी वजह है। मुरादाबाद जिले के पाकबड़ा में एक ऐसा ही मामला सामने आया। सच्चाई सामने आई तो लोग हैरत में पड़ गए।
यह है पूरा मामला
पाकबड़ा थाना क्षेत्र के रतनपुर कलां गांव के रहने वाला कक्षा छह का छात्र गुरुवार को पूरे दिन चाइल्ड लाइन को गुमराह करता रहा। यहां तक कि चाइल्ड लाइन को छकाने की कोशिश में उसने अपने मां-बाप तक को मरा बता दिया। काफी जद्दोजहद के बाद चाइल्ड लाइन को पता चला कि किशोर अपने ही परिजनों से पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहा है। चाइल्ड लाइन की समन्वयक श्रद्धा शर्मा के मुताबिक दिल्ली रोड पर आरएसएस कैंप के समीप गुरुवार को 12 वर्षीय एक किशोर लावारिस हाल में मिला। पूछताछ में बच्चे की पहचान विशेष कुमार के रूप में हुई। उसने बताया कि मूलरूप से वह अमरोहा का रहने वाला है। नाव चला कर जीवन यापन करने वाले मां- बाप एक हादसे का शिकार हो गए। नदी में डूबने से दोनों की मौत हो गई। पाकबड़ा पुलिस की मदद से बच्चा चाइल्ड लाइन को सौंपा गया। यहां काउंसिलिंग के दौरान वह अपने बयान लगातार बदलता रहा। अंतत: बच्चे ने स्वीकारा कि वह रतनपुर कलां गांव का रहने वाला है। मां बाप से खफा होकर घर छोड़ा है। गांव स्थित जूनियर हाईस्कूल का छात्र है। पिता का नाम उसने सुनील कुमार बताया। जो कि एक फर्म में काम करते हैं। मां का नाम रामेश्वरी है। बच्चे की बरामदगी की सूचना पुलिस के जरिए परिजनों तक पहुंचा दी गई।
डांट-फटकार से ज्यादा समझाना जरूरी
आम तौर पर अभिभावक बच्चों की जरा सी गलती पर ही जोर से डांटने और फटकारने लगते हैं। लगातार ऐसा होता रहता है तो बच्चों के मन में गलत धारणा घर कर जाती है और वे अपने ही परिजनों के प्रति नकारात्मक सोच पालन लगते हैं। इसका खामियाजा आगे चलकर अभिभाभावकों को ही उठाना पड़ता है लिहाजा शालीनता से पेश आएं। बच्चों को समझाने की कोशिश करें।
न करें ये काम
किसी बाहरी के सामने न तो बच्चों को डांटें और न ही पिटाई करें। व्यस्त दिनचर्या होने के बावजूद बच्चों के लिए रोजाना वक्त निकालें। बच्चों से ऐसा व्यवहार करें जिससे वह अपनी हर परेशानी कह सके। हर वक्त उसमें बुराई न खोजें। आसपास के किसी भी बच्चे से उसकी तुलना न करें।