सिस्टम की सुस्ती ने रोकी समाज कल्याण विभाग की जांच फाइल, निदेशालय तक नहीं पहुंची फर्जी शादियों की रिपोर्ट
मुरादाबाद में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में फर्जी शादियों का मामला सामने आने के बाद भी विभागीय कार्रवाई धीमी है। जांच रिपोर्ट तैयार होने के बावजूद निदेशालय तक नहीं पहुंची है, क्योंकि कागजी प्रक्रिया में देरी हो रही है। जमीनी सच्चाई और कागजी जांच में अंतर है, और कुछ अपात्र लाभार्थियों के नाम स्थानीय प्रतिनिधियों की सिफारिश से जुड़े हैं, जिससे कार्रवाई में बाधा आ रही है।

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में फर्जी शादियों का राजफाश हुए एक महीना गुजर चुका है, लेकिन विभागीय कार्रवाई का पहिया अब भी जाम है। 20 अपात्र जोड़ों की जांच रिपोर्ट तैयार होने के बावजूद, फाइल अब तक निदेशालय नहीं पहुंच सकी। कारण वही पुराना है। कागजी प्रक्रिया की जटिलता और फाइलिंग व्यवस्था की सुस्ती है।
दरअसल, समाज कल्याण विभाग की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि जिम्मेदारी व्यक्ति-आधारित न होकर सिस्टम-आधारित नहीं बन पाई। एक अधिकारी के न रहने से पूरा तंत्र ठप हो जाता है, जिससे गंभीर प्रकरण भी महीनों तक ठंडे बस्ते में पड़े रहते हैं। सामूहिक विवाह योजना की जांच रिपोर्ट के साथ सभी संलग्नक, साक्ष्य और बयान फाइल में मौजूद हैं।
अब केवल संस्तुति-सहमति की प्रक्रिया बाकी है, जो आगे बढ़ने के लिए उच्च स्तर की मुहर मांगती है। मगर जिस तरह से फाइल अनुमोदन की एक-एक सीढ़ी तय करती है, वह अपने आप में बड़ा सवाल है। यह सिस्टम ही ऐसा है कि अगर एक दस्तखत न हो तो पूरी रिपोर्ट महीनों तक रुकी रहती है। कार्रवाई व्यक्ति नहीं, प्रक्रिया की रफ्तार पर निर्भर करती है।
कागजी जांच बनाम जमीनी सच्चाई
जिले के भगतपुर टांडा के अलावा कुंदरकी, मूंढापांडे, डिलारी और बिलारी से एक जैसी शिकायतें सामने आई हैं। जांच में जो फर्जी जोड़े पकड़े गए, उनके बयान तक फाइल में दर्ज नहीं हैं। यानी जमीनी स्तर की सच्चाई और कागजी जांच में भारी अंतर बना हुआ है। इससे यह भी जाहिर होता है कि योजना निगरानी व्यवस्था केवल नाम की है। फर्जी विवाहों से जुड़ी ब्लाक रिपोर्ट में कई खामियां हैं।
कहीं लाभार्थी के हस्ताक्षर नहीं हैं, तो कहीं विवाह आयोजन के प्रमाण पत्र ही गायब हैं। फिर भी इन्हें पूर्ण फाइल मानकर जिले को भेज दिया गया। यही वह प्रक्रिया है, जहां से सिस्टम में भ्रष्टाचार की शुरुआत होती है। नीचे की गलती ऊपर जाकर औपचारिक स्वीकृति बन जाती है। सिस्टम की एक और बड़ी खामी है। जिन लाभार्थियों पर अपात्रता साबित हो चुकी है, उनमें से कुछ के नाम स्थानीय प्रतिनिधियों की सिफारिश से जुड़े बताए जाते हैं। इस वजह से विभागीय अधिकारी अक्सर निर्णायक कार्रवाई से बचते हैं।
फर्जी विवाहों की सूची
| क्रम | लाभार्थी का नाम | गांव | अपात्रता का कारण |
|---|---|---|---|
| 1 | सोफिया | बहेड़ी | जांच में अपात्र पाई गई |
| 2 | नसीम जहां | बहेड़ी | रिश्ता तय नहीं, पूर्व से शादीशुदा |
| 3 | शाइस्ता जहां | बहेड़ी | पूर्व से शादीशुदा |
| 4 | रहमत जहां | बहेड़ी | आवेदन उपलब्ध नहीं |
| 5 | रहनुमा | बहेड़ी | रिश्ता तय नहीं, जीजा बताया गया |
| 6 | ओमवती | कोटला नगला | पूर्व से शादीशुदा |
| 7 | शांति कुमारी | कोटला नगला | पूर्व से शादीशुदा |
| 8 | साजिया | कुकुरझुंडी | नवंबर 2024 में शादी |
| 9 | प्रियंका | कुकुरझुंडी | दिसंबर 2024 में शादी |
| 10 | शाहिस्ता | रानीनांगल | पहले से शादीशुदा |

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।