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Swachh Survekshan 2021 : स्‍वच्‍छता एप से केवल 13 फीसद लोगों ने ही की श‍िकायत, रैंकिंग के ल‍िए जरूरी हैं ये चीजें

Swachh Survekshan 2021 केवल 13 फीसद यानि एक लाख 30 हजार लोगों ने ही स्वच्छता एप डाउनलोड किया। इस एप को शहर की आबादी का 65 फीसद लोगों को डाउनलोड करना चाहिए था। यह एप अपने आसपास की गंदगी की फोटो अपलोड करके सफाई में मदद दिलाने के लिए है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 02:04 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 02:04 PM (IST)
Swachh Survekshan 2021 : स्‍वच्‍छता एप से केवल 13 फीसद लोगों ने ही की श‍िकायत, रैंकिंग के ल‍िए जरूरी हैं ये चीजें
जागरूकता के कारण जनसहभागिता में भी इंदौर आगे रहा।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Swachh Survekshan 2021 : शहर को स्वच्छ बनाने और सम्मानजनक रैंकिंग दिलाने में जन सहभागिता भी जरूरी है। लेकिन, शहर के नागरिक जन सहभागिता निभाने में भी पीछे रहे। स्वच्छता सर्वेक्षण के मानकों में शामिल प्रमाणीकरण में जनसहभागिता भी हैं। अबकी बार 1800 में 500 अंक मिले हैं। शहर की आबादी करीब 10 लाख है। इसमें जनता ने स्वच्छता एप के माध्यम के गंदगी की शिकायत अपलोड करने की तकनीक को नहीं अपनाया। केवल 13 फीसद यानि एक लाख 30 हजार लोगों ने ही स्वच्छता एप डाउनलोड किया। इस एप को शहर की आबादी का 65 फीसद लोगों को डाउनलोड करना चाहिए था। यह एप अपने आसपास की गंदगी की फोटो अपलोड करके सफाई में मदद दिलाने के लिए है।

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नगर निगम ने इस एप को डाउनलोड करने के लिए शिविर लगाकर समझाया, होर्डिंग्स लगवाए लेकिन, यह तकनीकी बहुत कम लोगों को समझ में आई। इंदौर में स्वच्छता एप पर वहां की जनता ने फोटो समेत अपने क्षेत्र की समस्याओं को अपलोड किया तो उसका सकारात्मक परिणाम भी आया। जनता में जागरूकता के कारण जनसहभागिता में भी इंदौर आगे रहा।

स्वच्छता एप पर शिकायत करना बेहद आसान : खास बात यह है कि गंदगी, जलभराव या स्वच्छता संबंधी अन्य फोटो स्वच्छता एप पर अपलोड करने से पूरी रिपोर्ट एप के माध्यम से केंद्र सरकार तक जीपीएस के माध्यम से स्वत: ही जाती है। सफाई सफाई कर्मचारी इंचार्जों के नंबर केंद्र से इसीलिए मांगे गए थे। नगर निगम के चक्कर काटने की बजाय जीपीएस से जुड़े इस एप के माध्यम से सफाई कराना आसान है। केंद्र से ही सीधे संबंधित इलाके के सफाई निरीक्षक, सफाई नायक के मोबाइल पर संदेश पहुंचता है और सफाई का फीडबैक भी इसी एप पर सफाई इंचार्ज को देना पड़ता है। अगर इस एप का अधिक से अधिक प्रयोग करके शिकायत दर्ज कराई होती तो मुरादाबाद की रैंकिंग और अच्छी होती।

जनता को पता ही नहीं स्वच्छता के मानक : स्वच्छता के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है। नगर निगम ने स्कूलों गोष्ठी, प्रतियोगिताएं कराईं। कुछ वार्डों में कार्यशाला आयोजित करके भी स्वच्छता संबंधी जानकारी दी। लेकिन शिक्षित समाज ने कार्यशाला में प्रतिभाग किया और कुछ देर बाद ही स्वच्छता को भूल गए। कार्यशाला, प्रतियोगिता और गोष्ठी के माध्यम से जो कुछ सीखा उसको अगर हम दस आदमी को भी बताते तो संदेश चारों और फैलता। सम्मानजनक रैंकिंग दिलाना सिर्फ नगर निगम ही नहीं जनता के हाथ में भी है।

स्वच्छता के प्रति हम जागरूक हैं। लेकिन, स्वच्छता सर्वेक्षण के मानकों की जानकारी नगर निगम को गली गली देनी चाहिए।

प्रेरणा शर्मा

स्वच्छता सर्वेक्षण से सफाई के मामले में रैंकिंग भी मिलती है, इसका 10 फीसद लोगों को भी ज्ञान नहीं है। इसका प्रचार प्रसार ज्यादा से ज्यादा हो।

प्रियंका जैन

जनता की सहभागिता जरूरी है। जनता को स्वच्छता एप डाउन लोड करके सफाई व्यवस्था को लेकर सुझाव देना चाहिए। प्रमाणीकरण में 1800 में 500 अंक मिले हैं। इसमें जनता अगर ज्यादा से ज्यादा एप डाउनलोड करके सफाई संबंधी सुझाव देती तो रैंकिंग और अच्छी होती है। बाजार में दुकानदार सुबह दस बजे दुकान खोलने के बाद कूड़ा सड़क पर फेंक देता है। दुकानदारों से अपील है कि सफाई होने के बाद सड़क पर कूड़ा न फेंके। हमारी जो कमियां हैं, उसको हम स्वच्छ सर्वेक्षण की शर्तों के अनुसार दूर करने का फिर प्रयास करेंगे।

अनिल कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त


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