बरेली की पांचों अदालतों में 60 फीसद कम पहुंच रहे तीन तलाक के मसले Mordabad news
तीन तलाक पर लागू कानून मुस्लिम महिलाओं की ताकत बन रहा है। इसका जयघोष देश भर की शरई अदालतों में महसूस किया जा सकता है।
मोहसिन पाशा, मुरादाबाद। तीन तलाक पर लागू कानून मुस्लिम महिलाओं की ताकत बन रहा है। इसका जयघोष देश भर की शरई अदालतों में महसूस किया जा सकता है। उप्र, उत्तराखंड, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में शरई अदालतें अब सूनी होने लगी हैैं। सुन्नी मुस्लिमों का मरकज कहे जाने वाली उत्तर प्रदेश के बरेली की आला हजरत दरगाह से जुड़ी सभी पांच शरई अदालतों में ऐसे मसलों की संख्या 60 फीसद कम हो गई है।
मुरादाबाद, उप्र में भी यही स्थिति है। कानून लागू होने के बाद से यहां की दोनों शरई अदालतों में भी हर रोज एक-दो मसले ही आ रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या आठ तक होती थी। देशभर की 62 शरई अदालतों में छाया सूनापन मुस्लिम महिलाओं के बड़े हक की गवाही दे रहा है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम-2019 19 सितंबर 2018 को अध्यादेश के रूप में लाया गया था, जिसे संसद ने एक अगस्त 2019 को (अध्यादेश की तिथि से) प्रभावी घोषित कर दिया। तब से तत्काल तीन तलाक दंडनीय अपराध बन गया है। मुस्लिम महिलाओं को इस अधिकार ने बड़ी राहत पहुंचाई है। अब पीडि़ताएं अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार पर शरई अदालतों में गुहार लगाने की बजाय इस कानून से न्याय पा रही हैैं।
महिलाओं को इस कानून से जो राहत मिली है, उसकी बानगी यह कि जेल जाने के खौफ से अब कई मामलों का निपटारा कार्रवाई से पहले ही हो जा रहा है। मुरादाबाद के मुहल्ला असालतपुरा निवासी चांदनी ने दस दिन पहले पति के खिलाफ तीन तलाक का मामला थाना गलशहीद में दर्ज कराया था। जेल जाने के खौफ के चलते बिरादरी की पंचायत में ही समझौता हो गया। गुरुवार को चांदनी अपने पति के साथ ससुराल चली गई। नवाब गंज, बरेली की बेबी अफरोज ने तो बेटी को क्या जन्म दिया, पति ने तीन तलाक सुना घर से निकाल दिया। मुसीबत तब बढ़ गई जब पता लगा कि बेटी के दिल में छेद है। मेरा हक फाउंडेशन की पहल पर डीएम ने प्रयास कर सरकार से आर्थिक मदद दिलाकर बेटी का ऑपरेशन तो कराया ही, साथ ही पति को भी बुलाकर ऐसा समझाया कि बेबी वापस ससुराल पहुंच गई और अब किसी तहर का कोई विवाद भी नहीं है।
60 फीसद मामले घट गए
तीन तलाक पर कानून बनने के बाद से 60 फीसद से भी अधिक मसले शरई अदालतों में घट गए हैं। बरेली स्थित दरगाह आला हजरत से जुड़ी प्रत्येक शरई अदाल में पहले रोजाना औसतन छह मसले आते थे। लेकिन अब बमुश्किल एक-दो मसले आते हैैं। इनमें भी जल्दी समझौते की गुंजायश बन जाती है।
-मौलाना शहाबुद्दीन रजवी, तंजीम उलमा-ए-इस्लाम, दरगाह आला हजरत, बरेली, उप्र
एकतरफा फैसला सुनाकर तलाक को जायज बता दिया जाता था
शरई अदालतों में मुस्लिम महिलाओं की सुनी ही नहीं जाती थी। एकतरफा फैसला सुनाकर तलाक को जायज बता दिया जाता था। तीन तलाक पर कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है। अब महिलाएं इंसाफ के लिए पुलिस के पास जाने लगी हैं।
-फरहत नकवी, अध्यक्ष, मेरा हक फाउंडेशन, बरेली, उप्र
जांच के बाद हो रही कार्रवाई
तीन तलाक को लेकर आने वाली शिकायतों पर जांच कराकर कार्रवाई की जा रही है। पुलिस पीडि़त महिलाओं के साथ है। इससे मुस्लिम महिलाओं में विश्वास बढ़ा है।
-रमित शर्मा, आइजी मुरादाबाद रेंज, उप्र
उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के मुकदमों के आंकड़े
मेरठ 95
बरेली 68
आगरा 26
लखनऊ 26
कानपुर 20
गोरखपुर 13
वाराणसी 08
प्रयागराज 07
बिजनौर 60
रामपुर 37
अमरोहा 28
सम्भल 23
मुरादाबाद 12
नोट : 25 सितंबर तक थानों में दर्ज हुए मुकदमे