शिक्षक दिवस पर विशेष: एक बात ने पत्रकार को बना दिया आइएएस अधिकारी Rampur news
किसी के मुख से निकला एक शब्द किसी की पूरी जिंदगी बदल सकता है। कुछ ऐसा ही हुआ वर्तमान में रामपुर के जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह के साथ।
मुस्लेमीन, रामपुर। कहते हैं शब्द से ताकतवर संसार में कुछ भी नहीं है। शब्द ही दोस्त बनाता है और शब्द ही दुश्मन। किसी के मुख से निकला एक शब्द किसी की पूरी जिंदगी बदल सकता है। कुछ ऐसा ही हुआ वर्तमान में रामपुर के जिलाधिकारी के पद पर तैनात आन्जनेय कुमार सिंह के साथ। आन्जनेय कुमार सिंह पत्रकार बनना चाहते थे और आइएएस बन गए। यह सब हो सका गुरु के बताए रास्ते पर चलकर। गुरु जी ने राह दिखाई और उन्होंने संघर्ष किया।
आन्जनेय कुमार बताते हैं कि उनकी जिंदगी में यूं तो कई गुरु आए, जिन्होंने उन्हें सफलता के टिप्स दिए लेकिन, उनके पिता ने गुरु का भी फर्ज निभाया। उनके पिता डॉ. महेंद्र ङ्क्षसह डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर रहे। वह सुबह चार बजे पढऩे के लिए बैठा देते थे। पढ़ाई के साथ ही अनुशासन पर भी विशेष जोर देते। वह हमेशा लक्ष्य केंद्रित कर जीवन में आगे बढऩे की सीख देते थे। आज हम जो भी कुछ हैं, पिताजी की प्रेरणा से ही हैं। हमारे पिताजी ने हमेशा अनुशासन में रहकर संघर्ष करने की सीख दी। वह हमें घर पर पढ़ाने के साथ ही डिग्री कॉलेज में भी पढ़ाते थे।
पिताजी के अलावा और भी ऐसे कई शिक्षक जीवन में आए, जिन्होंने हमेशा कामयाबी की राह दिखाई। वह जब गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे, तब प्राइमरी के पाठयक्रम में अंग्रेजी नहीं थी लेकिन, शिक्षक रामबली शर्मा मुझे ए बी सी डी सिखाते थे। उन्होंने प्राइमरी में ही अंग्रेजी का काफी ज्ञान करा दिया था, जिसकी बदौलत मैं डीएवी इंटर कॉलेज मऊ में छठी क्लास के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में पास हो गया। इससे पहले गांव का कोई भी बच्चा इस प्रवेश परीक्षा में पास नहीं हो सका था। इंटर कॉलेज हमारे गांव से सात किलोमीटर दूर था और बरसात के दिनों में रास्ते में पानी भर जाता था, तब साइकिल कंधे पर रखकर ले जानी पड़ती थी। इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्रीनारायण मिश्रा उनके जज्बे को देख बहुत खुश हुए। उन्होंने पढ़ाई के साथ तमाम प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। प्रधानाचार्य उन्हें अपने कॉलेज का हीरा कहते थे। इंटर कॉलेज के बाद मऊ के ही डीसीएसके डिग्री कॉलेज में प्रवेश लिया। इसी कॉलेज में पिताजी भी पढ़ाते थे। यहां से स्नातक करने के बाद बनारस विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया। पत्रकारिता का कोर्स भी किया और फिर सालभर पत्रकारिता की। इसके बाद एक वरिष्ठ संपादक के पास इंटरव्यू के लिए पहुंचा तो उन्होंने कहा कि तुम्हारे अंदर प्रतिभा है। हमारे गुरु जी के बेटे हो। सिविल सेवा की तैयारी क्यों नहीं करते। तब मैंने कहा कि मुझे प्रशासनिक सेवा पसंद नहीं है।
इस पर संपादक जी बोले प्रशासनिक सेवा पसंद नहीं है या तुम्हारे अंदर इसे पास करने का दम नहीं है। उनकी बात मेरे मन में घर कर गई और मैंने ठान लिया कि सिविल सेवा में जाना है। पूरी लगन से तैयारी की और आइएएस बन गया।
डीएम आन्जनेय कुमार सिंह कहते हैं कि संपादक जी की बात मेरे जीवन में टर्निंग प्वाइंट रही। वह कहते हैं गुरु की हर इंसान के जीवन में अहम भूमिका होती है। गुरु के बगैर मंजिल तक पहुंच पाना मुश्किल है। अगर अच्छा गुरु मिल जाए तो मंजिल भी आसानी से मिल जाती है।