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पीली कोठी से उठी थी क्षेत्र में स्वाधीनता की चिंगारी

मुरादाबाद: अमरोहा जिले के मंडी धनौरा क्षेत्र के पीपली तगा गांव में की पीली कोठी बिट्रिश शासन क

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 03:59 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 03:59 PM (IST)
पीली कोठी से उठी थी क्षेत्र में स्वाधीनता की चिंगारी
पीली कोठी से उठी थी क्षेत्र में स्वाधीनता की चिंगारी

मुरादाबाद: अमरोहा जिले के मंडी धनौरा क्षेत्र के पीपली तगा गांव में की पीली कोठी बिट्रिश शासन काल की है। अंग्रेजों के शासन में यहा अधिकारी आकर रहते थे। यहा उनकी अदालत चलती थी। मुकदमों की सुनवाई होती थी। क्षेत्रीय लोग यदि भूलवश इसके पास से गुजर भी जाते थे तो उन्हें अंग्रेजी सिपाहियों द्वारा पकड़कर प्रताड़ित किया जाता था। अंग्रेजों की इस प्रकार की दमनकारी नीति से परेशान होकर आजादी के मतवालों ने यहीं से स्वाधीनता की ज्वाला धधकाई थी। इस कोठी को फूंक डाला था। साथ ही यहा जमकर लूटपाट भी की थी। पीली कोठी में चलती थी अंग्रेजों की अदालत, भारतीयों से साथ होती बर्बरता

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- वर्ष 1941 में लाला लाजपत राय की ओर से अंग्रेजों भारत छोड़ो के तहत पूरे देश में आदोलन किए जा रहे थे। उस दौरान एक अंग्रेजी अफसर की ओर से क्षेत्रीय व्यक्ति के साथ की गई बर्बरता ने यहा क्रांति को जन्म दिया। आजादी के दीवानों ने रात में योजना के तहत अंग्रेजों की इस कोठी पर हमला बोल दिया। इस दौरान जमकर संघर्ष हुआ और क्रांतिकारियों ने इस कोठी को आग के हवाले कर यहा जमकर लूटपाट की थी। हमला होता देख अंग्रेज अपने-अपने वाहनों से भाग निकले थे क्योंकि भारतीयों से साथ बर्बरता होती थी।

आजादी के दीवानों ने कोठी में की थी आगजनी

- बिट्रिश शासन में क्षेत्रीय जयसिंह आदि पर आगजनी, लूटपाट सहित कई मामलों में मुकदमे भी दर्ज किए गए थे। हालाकि देश को आजादी मिलने के बाद इन मुकदमों को भारत सरकार ने वापस ले लिया था। ग्राम पीपली निवासी गिरीराज सिंह और हेमराज ने बताया कि उनके बड़े बुजुगरें के अनुसार 1941 में यहा अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच संघर्ष हुआ था। इस दौरान क्रांतिकारियों ने इस कोठी को फूंक डाला था।


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