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पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का पुतला फूंकने के मामले में सपा नेताओं का कोर्ट में सरेंडर

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का पुतला फूंकने के मुकदमे में आरोपितों ने किया सरेंडर।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 06:52 PM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 06:52 PM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का पुतला फूंकने के मामले में सपा नेताओं का कोर्ट में सरेंडर
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का पुतला फूंकने के मामले में सपा नेताओं का कोर्ट में सरेंडर

मुरादाबाद : रामपुर में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का पुतला फूंकने के मुकदमे में फरार चल रहे दो सपा नेताओं ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। अदालत ने उन्हें करीब तीन घंटे तक कस्डटी में रखा। बाद में जमानत पर छोड़ दिया।

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गिरफ्तारी के लिए पहुंची पुलिस

इस दौरान थाना पुलिस भी सपाइयों की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट पहुंच गई, जिस पर पूर्व मंत्री आजम खां भी अदालत परिसर में आ गए। उन्होंने पुलिस की इस कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई। मामला वर्ष 2008 का है। प्रदेश में बसपा की सरकार थी। जिले के सपाइयों ने किला पश्चिमी गेट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ नारेबाजी की थी और पुतला फूंका था।

सपाइयों के खिलाफ दर्ज था केस

शहर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में सपाइयों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया था। पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर खां, पूर्व मंत्री के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू, पीसीएफ के डायरेक्टर सुहेल मियां, मोइन पठान, बाकर खां और सैयद खुसरो नामजद हुए थे। पुलिस ने इस मुकदमे में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी। नोटिस के बाद भी आरोपित कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे और न ही जमानत कराई। इस पर कोर्ट ने आरोपितों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए थे। सोमवार को पूर्व पालिकाध्यक्ष और पूर्व मंत्री के मीडिया प्रभारी पूर्वाह्न करीब 11.30 बजे न्यायालय पहुंचे और अपने अधिवक्ता आरिफ खां के माध्यम से आत्मसमर्पण किया। अदालत ने उन्हें कस्डटी में ले लिया। इसकी जानकारी मिलने पर सपाई अदालत के बाहर इकट्ठा हो गए। इस दौरान गंज कोतवाली पुलिस वहां आ गई। सपाइयों का कहना था कि पुलिस दोनों को गिरफ्तार करना चाहती थी। इस पर सपाइयों ने पूर्व मंत्री को जानकारी दी।

देश के हालात खराब : आजम

पूर्व मंत्री आजम खां भी आ गए। हालांकि वह कोर्ट परिसर में कुछ देर रुककर चले गए। इस दौरान उन्होंने मीडिया से कहा कि कोर्ट कस्टडी में लिए शख्स को पुलिस गिरफ्तार करने आ गई। यह ¨नदनीय है। इस सरकार में ऐसा संभव है। पूरा देश जानता है कि जस्टिस लोया का हत्यारा कौन है। बावजूद उस हत्यारे के खिलाफ जांच नहीं बैठती है। देश के हालात बेहद खराब हैं। सुप्रीम कोर्ट के चार जज जब यह कहें कि हमें जनता की अदालत से इंसाफ चाहिए तो क्या रह गया। यह तो छोटी अदालत है।


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