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वैश्विक उठापटक से एक्सपोर्ट इंडस्ट्री पर संकट के बादल, 20 फीसद गिरा कारोबार Moradabad News

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठापटक से भारतीय बाजार में अस्थिरता के बीच निर्यातकों की चिंता भी बढऩे लगी है। अभी तक मुरादाबाद की एक्सपोर्ट इंडस्ट्री पर इसका बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा था

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 08:28 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 08:28 AM (IST)
वैश्विक उठापटक से एक्सपोर्ट इंडस्ट्री पर संकट के बादल, 20 फीसद गिरा कारोबार Moradabad News
वैश्विक उठापटक से एक्सपोर्ट इंडस्ट्री पर संकट के बादल, 20 फीसद गिरा कारोबार Moradabad News

मुरादाबाद, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठापटक से भारतीय बाजार में अस्थिरता के बीच निर्यातकों की चिंता भी बढऩे लगी है। अभी तक मुरादाबाद की एक्सपोर्ट इंडस्ट्री पर इसका बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा था लेकिन, अब इसकी शुरुआत होने लगी है। आने वाले दो महीनों में इसका असर भी दिखाई देने लगेगा। इसके चलते निर्यातक की बेचैनी बढऩे लगी है। उनकी घबराहट इसको लेकर है कि एक ओर अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुकाबला कड़ा होता जा रहा है और दूसरी ओर सरकार पहले से मिल रही सहूलियतों के साथ इंसेंटिव को कम करती जा रही है। अगर उनके लिए कोई योजना नहीं चलाई गई तो आने वाले दिनों में कारोबार मुश्किल हो जाएगा। इससे बचने के लिए इंडस्ट्री ईपीसीएच से लेकर सरकार से विशेष योजना चलाने की मांग कर रही है।

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अंतरराष्ट्रीय बाजार का पड़ रहा प्रभाव

पिछले दिनों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रही उठापटक का सीधा प्रभाव भारत पर पड़ रहा है। चीन और अमेरिका के बीच खींचतान का असर दिखाई दे रहा है। वहीं हांगकांग में चीन के खिलाफ चल रहे धरना प्रदर्शन, आंदोलन और हड़ताल ने भी निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है। इससे हांगकांग फेयर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इससे जर्मनी सहित, हॉलैंड, डेनमार्क और स्केंडेनेवियन कंट्री में हड़कंप मचा हुआ है। हड़ताल का असर फेयर पर पडऩा तय माना जा रहा है। साफ है कि निर्यातकों को वहां से आर्डर मिलने की संभावना कम ही है।

आक्रामक हैं चीन की नीतियां

भारत की तुलना में चीन की नीतियां कहीं अधिक आक्रामक हैं। भारत की हैंडीक्रॉफ्ट इंडस्ट्री आज भी दस्तकारों, कारीगरों पर निर्भर है तो वहीं चीन ने आधुनिक मशीनों के बल पर सजावटी बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा लिया है। वहां सरकार निर्यातकों के लिए अनेक प्रकार की छूट देती है तो इंसेंटिव योजनाएं भी चलाती है। वहीं भारत में निर्यातकों की सहूलियत में लगातार कटौती जारी है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में टिकना मुश्किल हो रहा है। हालांकि आने वाले दिनों में निर्यातक चीन और अमेरिका के तनाव के बीच अपने लिए फायदे के रास्ता भी देख रहे हैं। उनका मानना है कि अमेरिका चीन के बाजार को छोड़ता है तो उसके सामने बड़ा विकल्प भारत ही होगा।

इंसेंटिव योजना खत्म होने से बिगड़ रहे हालात

भारतीय निर्यातकों को बढ़ावा देने लिए सरकार ने अनेक योजनाएं चला रखी थीं। इनमें ड्रा बैक, फोकस लाइसेंस, एमआइइएस, कंटेनर सब्सिडी, फेयर सब्सिडी, आयात ड्यूटी में छूट आदि शामिल हैं। निर्यातकों को सबसे अधिक लाभ ड्रा बैक और फोकस लाइसेंस से मिलता था। सात फीसद तक मिलने वाले फोकस लाइसेंस में हर साल कटौती की गई और फिर उसे खत्म करने की घोषणा कर दी गई। 31 जुलाई तक शिपिंग पर फोकस मिलेगा। एक अगस्त से होने वाली शिपिंग पर यह सुविधा नहीं मिलेगी। इससे निर्यातकों की चिंता और बढ़ गई है। वहीं ड्रा बैक की दरों में लगातार कमी की जा ही है।

अमेरिका के ड्यूटी हटाने से भी हुआ नुकसान

अमेरिका से आयात करने पर भारतीय हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों को छूट मिलती थी। अब अमेरिका ने इसे खत्म कर दिया है। इसका सीधा असर निर्यात इंडस्ट्री पर पड़ रहा है। एक्सपोर्ट इंडस्ट्री में प्रयोग होने वाले सामानों की कीमतें बढऩे से आइटम के दाम बढ़ रहे हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम को नीचे लाने का दबाव पड़ रहा है।

आने वाले दिनों में दिखाई देगा प्रभाव

मुरादाबाद की निर्यात इंडस्ट्री से जुड़े हर व्यक्ति के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती है, जो भविष्य के लिए खतरा है। फिलहाल तो निर्यातक क्रिसमस और न्यू ईयर के लिए मिले आर्डर पूरा करने में व्यस्त हैं। सितंबर के शुरुआती हफ्ते में काम निपटाकर अक्टूबर फेयर की तैयारी में जुट जाएंगे। ऐसे में वास्तविक स्थिति की गणना करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए निर्यात इंडस्ट्री को हुए नुकसान और कारोबार में गिरावट अक्टूबर फेयर के बाद स्पष्ट हो पाएगी। साथ ही विदेशों में भी फेयर की श्रृंखला शुरू हो जाएगी। इस समय मंदी की जो आशंका दिखाई दे रही है उसे देखते हुए इन फेयर में कारोबार घटने की संभावना भी जताई जा रही है। अक्टूबर फेयर मुरादाबाद के निर्यातकों के लिए कारोबार का सबसे बड़ा स्रोत है। इसी फेयर से मुरादाबाद के निर्यातकों को कुल वार्षिक कारोबार का 30 से 40 फीसद तक आर्डर मिलते हैं।

वैश्विक उठापटक का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ रहा है। बाजार को लेकर जो हौव्वा खड़ा किया जा रहा है, वैसा है नहीं। बाजार में थोड़ी गिरावट जरूर है, लेकिन उसे संभालने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। हमने भी सरकार से इंसेंटिव योजना के लिए लाने जा रही है। साथ ही बाजार में भी स्थिरता आने की संभावना है।

- राकेश कुमार, महानिदेशक ईपीसीएच

अमेरिका ने जो ड्यूटी हटाई है उसका भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। चीन और अमेरिका के बीच चल रही खींचतान ने भी प्रभावित किया है, लेकिन आने वाले दिनों में इसका लाभ मिलेगा। वित्त मंत्री ने निर्यातकों की समस्या को समझते हुए जल्द एक मुश्त इंसेंटिव योजना शुरू किए जाने का भरोसा दिलाया है। इसका लाभ मिलेगा।

नीरज खन्ना, सचिव इंटरनेशनल विंग, यंग इंटरप्रेन्योर सोसाइटी व सीओए सदस्य ईपीसीएच

अभी बाजार की स्थिति खराब है। सरकार ने ड्रा बैक न्यूनतम कर दिया तो फोकस खत्म कर दिया है। बाजार में बने रहने के लिए सहूलियत सरकार को देनी होंगी। निर्यातकों को भी नए रास्ते तलाशने होंगे, जिनमें इंडस्ट्री में आधुनिक मशीनरी का प्रयोग करना, नए डिजाइन तैयार करना शामिल है। हमारे और ईपीसीएच के प्रयास से सरकार को बात समझ में आई और जल्द ही कोई योजना घोषित की जाएगी।

- अब्दुल अजीम, सीओए सदस्य ईपीसीएच

पिछले सालों की तुलना में इस बार मुरादाबाद का कारोबार 15 से 20 फीसद तक कम रहा है। जिस प्रकार से वैश्विक मंदी का संभावना जताई जा रही है, उसका प्रभाव भारत में पडऩा तय है। साथ में सरकार जिस प्रकार से निर्यातकों की समस्या को समझते हुए प्रयास कर रही है और राहत के लिए योजना लाने की बात कर रही है तो उससे उम्मीद भी जगती है।

- कमल सोनी, निर्यातक

बाजार इस समय निर्यात के माफिक नहीं है। निर्यातकों के सामने अंदर और बाहर दोनों स्तर पर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भारत के साथ ही वैश्विक स्तर पर हर सामान की डिमांड गिरी है। जब डिमांड नहीं होगी तो उत्पादन भी कम होगा और उसका प्रभाव इंडस्ट्री और रोजगार पर पड़ेगा। सरकार जो स्कीम लेकर आने वाली है, उससे राहत मिलती है या नहीं यह देखने वाली बात होगी।

- अंशुल अग्रवाल, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

अभी जो हालात बन रहे हैं उनसे निर्यातकों का निकलना मुश्किल लग रहा है। सरकार की ओर से मिलने वाली सहूलियतों में लगातार कटौती ने परेशानियां और बढ़ा दी हैं। आने वाले दिनों में आर्डर घटे तो इंडस्ट्री को चलना मुश्किल हो जाएगा। दूसरी ओर डॉलर और यूरो ने भी स्थिति बिगाडऩे में भूमिका निभायी है। अब सरकार से ही उम्मीद है।

- हसनैन अख्तर,निर्यातक

हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री के सामने अनेक समस्याएं खड़ी हुई हैं, उनका असर मुरादाबाद में भी दिखाई देने लगा है। अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है तो आने वाले दिन बहुत मुश्किल होने जा रहे हैं। इससे निपटने के लिए निर्यातकों के पास बहुत कुछ नहीं है, सरकार को इसके लिए योजना बनानी होगी।

गौरव चंद्रा, निर्यातक

अभी तक जो हालात बने हैं, वह सामान्य प्रतीत नहीं हो रहे हैं। इससे आने वाले दिनों के लिए स्थिति बिगड़ती हुई दिखाई दे रही है। वैश्विक स्तर पर उठापटक से मुरादाबाद अछूता नहीं रह सकता, क्योंकि कारोबार ही विदेशों तक होता है। सरकार को जल्द से जल्द प्रयास करने होंगे।

मयंक अग्रवाल, निर्यातक 


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