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सम्‍भल के इस पोस्टमार्टम हाउस में सांप और जंगली जानवर करते हैं शवों का पोस्‍टमार्टम, हकीकत जान रह जाएंगे हैरान

सम्‍भल ज‍िले के बहजोई के पोस्‍टमार्टम हाउस पर शव भी सुरक्ष‍ित नहीं रह गए हैं। प‍िछले द‍िनों एक बच्‍चे के शव को जंगली जानवर ने खा ल‍िया था। यहां के कर्मचारी को पोस्टमार्टम किट भी नहीं दी जाती है। रोशनी और पानी के भी इंतजाम नहीं हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 12:25 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 12:25 PM (IST)
सम्‍भल के इस पोस्टमार्टम हाउस में सांप और जंगली जानवर करते हैं शवों का पोस्‍टमार्टम, हकीकत जान रह जाएंगे हैरान
पोस्‍टमार्टम हाउस में घूमते हैं सांप और जंगली जानवर।

सम्‍भल (शिव नारायण)। आधुनिकता के इस दौर में डिजिटल होती दुनिया शायद ही बाबा आदम के जमाने की व्यवस्था को स्वीकार करें, लेकिन सम्भल जिले के स्वास्थ्य महकमे द्वारा संचालित शव-विच्छेदन गृह पर आज भी पुरानी व्‍यवस्‍थाएं कायम हैं। यहां न तो रोशनी मिलती है और न ही जरूरत के लिए पानी नसीब होता है। बीमार सिस्टम यहां शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए कर्मियों को किट भी उपलब्ध नहीं करा पाता।

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बहजोई के इस्लामनगर रोड स्थित गांव वहांपुर पट्टी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के निकट संचालित शव-विच्छेदन गृह पर एक मासूम के शव के चेहरे को जंगली जानवर ने खा लिया था। इसके बाद दैनिक जागरण की टीम ने पोस्टमार्टम हाउस की पड़ताल की। यहां पर कार्यरत कर्मियों से जब बात की गई तो उन्होंने हकीकत बयां की। कर्मचारी की माने तो वह 24 घंटे की ड्यूटी करता है और किसी भी शव के पोस्टमार्टम करने के लिए उसे कोई भी किट उपलब्ध नहीं कराई जाती। जब शिकायत करता है तो उस पर कार्रवाई की तलवार लटकी रहती है। उसने यहां तक दावा किया कि पोस्टमार्टम करने के दौरान प्रयोग में लाए जाने वाले ग्लब्स भी वह अपने पैसे से खरीदता है। यहां के परिसर का हाल जाना गया तो चारों ओर गंदगी का अंबार है और बड़ी-बड़ी झाड़ियां हैं, जिनसे कोई भी नेवला सांप या अन्य खतरनाक जीव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या पोस्टमार्टम हाउस के किसी भी कमरे में प्रवेश कर सकता है, जो कभी भी किसी को नुकसान पहुंचा सकता है। हालात यह है कि यहां पर रात्रि में ठहरने वाले कर्मचारी हृदेश कुमार के कमरे में कई बार सांप प्रवेश कर चुका है। ऐसे में बिना सफाई व्यवस्था और पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने पर यहां पोस्टमार्टम के दौरान शव के साथ पहुंचने वाले स्वजन और अन्य लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार अधिकारी पोस्टमार्टम हाउस पर पर्याप्त किट, रोशनी से लेकर शुद्ध पेयजल और अन्य सभी सुविधाओं के होने का दावा कर रहे हैं लेकिन धरातल पर सब शून्य हैं।

जनरेटर खराब, रात्रि में रहता है अंधेरा

मुख्य चिकित्सा अधिकारी पोस्टमार्टम हाउस पर भले ही पर्याप्त रोशनी जनरेटर या अन्य सुविधाओं के होने का दावा करें, लेकिन हकीकत में यहां पर जनरेटर खराब है और बिजली नहीं आने पर रात्रि में रोशनी की कोई सुविधा नहीं है। इसके चलते चोर भी यहां पर अपने हाथ आजमाते रहते हैं। चोर अस्पताल परिसर से कई कीमती सामान चोरी कर चुके हैं। पिछले चार माह से मोटर खराब होने के चलते यहां पानी के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

छह माह से खराब पड़ा फ्रिज, फिर किस बात के लिए दो सौ रुपये

असमोली थाना क्षेत्र में एक सड़क दुर्घटना में हुई चार साल के मासूम की मौत के बाद उसके शव को पोस्टमार्टम कराने के लिए जब यहां लाया गया तो देर रात्रि होने के चलते पोस्टमार्टम नहीं हो सका। यहां पर तैनात कर्मियों ने शव को कमरे में रखवा दिया। जब मृतक के स्वजनों ने इसे फ्रीज में रखवाने के लिए कहा तो उनसे दो सौ रुपये ले लिए गए, जबकि सच्चाई यह है कि यहां पर सिर्फ एक ही फ्रीज है जो कि नया खरीदे जाने के बाद एक-दो दिन तक चला और खराब हो गया। अब भी खराब पड़ा है, जिसकी मरम्मत के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास या तो समय नहीं है या फिर उसके लिए धनराशि नहीं मिल रही।

सीएमओ ने नोडल अधिकारी पर फोड़ा अव्यवस्थाओं का ठीकरा

जिले की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अमिता सिंह ने बताया कि हमारी जानकारी में पोस्टमार्टम हाउस पर किसी भी प्रकार की कोई असुविधा नहीं है। प्रत्येक शव के पोस्टमार्टम के लिए किट उपलब्ध कराई जाती है जो कि पर्याप्त रूप में उपलब्ध है। अगर पोस्टमार्टम हाउस पर किसी भी प्रकार की असुविधा है या फिर रोशनी से लेकर पानी या फ्रिज खराब होने की शिकायत है तो इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। इसकी जिम्मेदारी वहां के नोडल अधिकारी बहजोई सीएचसी के चिकित्साधीक्षक डॉ शिशुपाल सिंह की है। इस संबंध में उनसे बात करेंगी और सोमवार को पोस्टमार्टम हाउस का स्वयं निरीक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का हाल जानेंगीं।

दो बजे के बाद शुरू मासूम के शव का पोस्टमार्टम

अलग-अलग घटनाओं से संबंधित शवों के पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचने से पहले ही संबंधित की ड्यूटी मुख्य चिकित्सा अधिकारी के द्वारा एक माह पहले लगा दी जाती है, जिसमें यह तय कर दिया जाता है कि कौन से दिन किस चिकित्सक को पोस्टमार्टम करना होगा। अगर किसी महिला के शव का पोस्टमार्टम करना है तो उसके ओपिनियन के लिए महिला चिकित्सक को लगाया जाता है। बावजूद इसके प्रत्येक दिन शुरू होने वाली पोस्टमार्टम प्रक्रिया तकरीबन 11 से 12 बजे के बाद होती है। रविवार को भी मासूम के शव का पोस्टमार्टम दो बजे के बाद हो सका।

मौके पर पहुंचे बहजोई के प्रभारी निरीक्षक

शव विच्छेदन गृह के कमरे में रखे मासूम के शव को किसी जंगली जानवर के द्वारा खाए जाने की सूचना के बाद बहजोई के प्रभारी निरीक्षक रविंद्र प्रताप सिंह भी मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने मासूम के स्वजनों से पूरे मामले में जानकारी ली और वहां मौजूद चिकित्सक व कर्मियों से भी इस संबंध में बातचीत की। अपने निरीक्षण के दौरान उन्होंने वहां पर देखा कि पोस्टमार्टम कमरे का ताला लगा हुआ था और किसी भी बड़े जानवर के अंदर घुसने के लिए जगह नहीं थी लेकिन छोटा कोई जानवर उसमें घुस सकता था। इसके लिए उन्होंने तत्काल बंद कराने के लिए कर्मियों को बुलाया। प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि किसी नेवला के द्वारा शव को नोंचा गया था, ऐसा प्रतीत हो रहा है।


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