कोड नाम देकर मुरादाबाद मंडल में गो मास बेच रहे गो तस्कर
मुरादाबाद। मुरादाबाद मंडल में गो मास कोड नाम से बेचा जा रहा है।
मुरादाबाद। मुरादाबाद मंडल में गो मास कोड नाम से बेचा जा रहा है। शातिर पशु तस्कर पुलिस व आम लोगों की आख में धूल झोंकने के लिए पीला अथवा पीलाबी के नाम से गो मास बेच रहे हैं। पहुंच रही पशुओं की खेप पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि सूबे के अन्य कई जिलों से भी पशुओं की खेप मंडल में निर्बाध पहुंच रही है। अभी तक जितने भी मामले गोतस्करी के आए हैं, उनसे पता चला कि सीतापुर, हरदोई व एटा जिले गोवंशियों की तस्करी में प्रमुख केंद्र हैं। पकड़े आरोपितों से पुलिस को पता चला कि रामपुर के टाडा से गो मास की खेप किस्तों में मूंढापाडे, मुरादाबाद, भोजपुर, मैनाठेर, कुंदरकी, बिलारी व डिलारी में चोरी छिपे भेजी जा रही है। गो मास की कीमत प्रति किग्रा 150-250 रुपये तक बताई जा रही है। पानी की तरह बहाए जाते हैं रुपये मुरादाबाद: स्लाटर हाउस व बूचड़खाने तक गोवंश पहुंचाने के लिए तस्कर रुपये पानी की तरह बहाते हैं। सूत्र बताते हैं कि नेशनल हाईवे अथवा स्टेट हाईवे पर पशुओं से भरे वाहनों को छोटे वाहन से कवर किया जाता है। पशु तस्करों के गुर्गे काफिले को न सिर्फ कवर करते हैं, बल्कि मार्ग प्रशस्त करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कानून के जाल से बचने के लिए रुपये पानी की तरह बहाया जाता है। प्रति ट्रक पाच से सात लाख रुपये देने से भी तस्कर गुरेज नहीं करते। इसकी बड़ी वजह गोवंश का कम कीमत पर मिलना और ऊंचे दाम पर बिकना बताया जाता है। मुंहमागी रकम हथियाने के चक्कर में तस्कर जोखिम लेने से भी नहीं चूकते। नमूनों में अधिकाश हैं गोमास मुरादाबाद के विभिन्न थाना क्षेत्रों में बरामद होने वाले मास के जो नमूने जाच के लिए पुलिस ने भेजा। उनमें से अधिकाश गोमास हैं। गोमास होने की पुष्टि के बाद पुलिस संबंधित मुकदमे में जाच रिपोर्ट दाखिल भी करती है।
अजय श्रीवास्तव, वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी, मुरादाबाद साक्ष्य के अभाव में छूट रहे गोकशी के मुकदमे वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अजय श्रीवास्तव की मानें तो गो मास से जुड़े मुकदमे में बड़ा खेल हो रहा है। मुरादाबाद पुलिस प्रकरण में साक्ष्य संकलन को लेकर गंभीर नहीं है। यही वजह है कि साक्ष्य के अभाव में गोकशी से जुड़े मुकदमे उतने मजबूत नहीं हो रहे, जितनी की जरूरत है। घटना के दौरान जो फोटो पुलिस द्वारा कराई जाती है, उनमें से अधिकाश साक्ष्य के रूप में मुकदमे में दाखिल नहीं किया जाता। इतना ही नहीं गोकशी के आरोप में जो हथियार बरामद होते हैं। उसे भी कोर्ट में पेश करने से पुलिस कतराती है। नहीं होने दी जाएगी तस्करी नाम बदल कर गो मास बेचे जाने का मामला गंभीर है। भोजपुर में गोवंश बरामद होने के तत्काल बाद ही सभी थाना प्रभारियों को गो तस्करों व गो मास बेचने वालों को चिह्नित करने की सख्त हिदायत दी गई है। गो मास की बिक्त्री अथवा तस्करी किसी भी सूरत में होने नहीं दी जाएगी।
जे रविन्दर गौड, डीआइजी/एसएसपी मुरादाबाद।