लॉकडाउन का दर्द भूलकर फिर परदेश लौट रहे कुशल कामगार Moradabad News
लॉकडाउन के कारण मजदूरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। लेकिन परिवार चलाने के लिए कुशल मजदूर एक बार फिर से अपने पुराने दर्द को भुलाकर परदेश जा रहे हैं।
अमरोहा (राजेश राज)। कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन होने पर काम धंधा बंद होने पर घर वापसी करने वाले शिक्षित व कुशल कामगार अब वापस कामों पर लौटने को भी तैयार हैं। कुछ वापस लौट भी चुके हैं। कुछ कंपनियों से बुलावे का इन्तजार कर रहे हैं।
हालांकि अभी लॉकडाउन खत्म नहीं हुआ है। लॉकडाउन-पांच के साथ अनलॉक-चल रहा है। अब कोरोना के साथ काम-काज को पटरी पर लाने की सरकार की हिदायतों के बाद सभी जगह कंपनियों को तेजी से सामान्य करने की कोशिश की जा रही है। यह संकेत परदेश छोड़कर घर लौटने वाले श्रमिकों को राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं। ग्राम शहबाजपुर डोर के योगेंद्र कुमार राजस्थान के अलवर क्षेत्र स्थित एक फार्मास्टीकल कंपनी में सहायक कैमिस्ट हैं। लॉकडाउन होने पर कंपनी ने उन्हें घर भेज दिया। उनका कहना है कि कंपनी के प्लांट चालू होने पर उन्हें बुलाया गया, जिस पर वह स्वयं निजी वाहन करके कंपनी पहुंच गए हैं। उनके साथ दूसरे क्षेत्रों के दो और कैमिस्ट भी गए हैं।
वारसाबाद गांव के आकाश कुमार चंढ़ीगढ़ के डेराबसी स्थित सौरभ केमिकल प्लांट में कैमिस्ट हैं। लॉकडाउन होने पर उन्हें भी घर भेज दिया गया था। वह भी काम पर जा चुके हैं। इसी तरह कुछ और गांवों के कुशल कामगार नौकरियों पर लौट चुके हैं। पाल गांव के विवेक कुमार, बिट्टू व अजय कुमार नोएडा के सेक्टर 198 में निजी कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम करते थे। सप्ताह भर पहले कंपनी से कॉल आने पर बाइक से अपनी ड्यूटी के लिए रवाना हो चुके हैं। वारसाबाद के प्रदीप चौहान सिविल इंजीनियर हैं। वह भी बाहर काम करते थे। वह भी बाहर जाने के लिए तैयार हैं। बुलावे का इन्तजार कर रहे हैं। तिगरी के रङ्क्षवद्र ङ्क्षसह पंजाब के गुरदासपुर एक फैक्ट्री में आपरेटर है। कंपनी ठेकेदार के कहने पर लौट आए थे। ठेकेदार द्वारा बुलाया गया लेकिन, साधन नहीं मिलने की वजह से नहीं जा सके। वह भी जाने की तैयारी में है। यह सभी अकेले ही रहते थे, अकेले ही कंपनी के बुलावे पर वापस जा रहे हैं।
पैसा कटा कोई बात नहीं, काम तो मिल रहा
गजरौला : अधिकांश कामगार बता रहे हैं कि सरकार की घोषणाओं के बावजूद निजी कंपनियों ने नौवर्क-नो पैसा का रास्ता अपनाते हुए उन्हें पूरी तनख्वाह नहीं दी। काटकर भुगतान किया गया है। इसका उन्हें कोई दु:ख नहीं है। खुशी इस बात की है कि काम पर फिर से बुलाया जा रहा है। शहबाजपुर डोर के राजेश, शमशाद इत्यादि ने बताया वह जाने को तैयार हैं। कंपनियों के ठेकेदार से संपर्क साध रहे हैं।
क्वारंटाइन करने की वजह से सहम रहे श्रमिक
गजरौला : कोरोना संक्रमण की आशंका में बाहर से आने वाले श्रमिकों को क्वारंटाइन कराया जा रहा है। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद होम क्वारंटाइन में रहने की हिदायत देकर घर भेजा जा रहा है। बाहर घूमने पर उन्हें क्वारंटाइन सेंटर भेजकर जांच कराई जा रही है। इससे प्रवासी श्रमिक सहमे हुए हैं। पूछने पर वह कुछ भी बताने को तैयार नहीं होते। मोबाइल बंद कर लेते हैं। परिवार के लोग भी सही बात बताने से कतराते हैं। अधिकांश गांवों में आए श्रमिकों की यही स्थिति है।