श्रीराम का राज्याभिषेक, गूंजे जयकारे
लाइनपार की रामलीला में मंगलवार को भरत-मिलाप के बाद श्रीराम का राज तिलक।
मुरादाबाद,जासं : लाइनपार की रामलीला में मंगलवार को भरत-मिलाप के बाद श्रीराम का राज तिलक हुआ। इस दौरान श्रीराम के जयकारों से दर्शक दीर्घा गूंज उठी। मंचन में अयोध्या नगरी सजाई गई। भगवान राम के साथ माता सीता राजगद्दी पर विराजमान हुईं। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, विभीषण, सुग्रीव समेत पूरी अयोध्या में खुशी छा गई। पूरी नगरी दीपक से सजाई गई। लाइनपार में मंचन का समापन हो गया लेकिन, बुधवार को हाथीवाला मंदिर से शहर में श्रीराम की राजगद्दी शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसमें कोरोना के कारण केवल दो झांकियां निकालने की अनुमति मिली है। इसमें एक प्रभु श्रीराम का रथ व दूसरा शिव-पार्वती की झांकी होगी। राम सिंह कुंती कला संगम के निदेशक राहुल कुमार ने बताया कि कोरोना काल के बावजूद प्रशासन व पुलिस के सहयोग से मंचन में कोई दिक्कत नहीं हुई। रामलीला कमेटी के प्रबंधक राजीव बंसल ने कहा कि रामलीला का आयोजन कोरोना संकट में करना मुश्किल हो रहा था लेकिन, शासन की गाइड्रलाइन आते ही कम समय में बेहतर मंचन हुआ और 100 साल पुरानी रामलीला की परंपरा बनी रही।
कांशीराम नगर में श्रीराम को 14 वर्ष वनवास
मंगलवार को कांशीराम नगर की रामलीला में तीसरे दिन श्रीराम को 14 वर्ष के वनवास का मंचन हुआ। सीता-राम के विवाह के बाद जब राजा दशरथ महलों में घूम रहे थे दर्पण में सफेद बाल देखकर एहसास हुआ कि अब उनको राजगद्दी नहीं विश्राम की जरूरत है। उन्होंने श्रीराम को राजपाठ सौंपने का विचार गुरु वशिष्ठ के समक्ष रखा तो गुरु वशिष्ठ ने इसे अति उत्तम विचार बताया। राजतिलक की तैयारियां शुरू हो गईं। तभी मंथरा ने यह सुनकर कैकेई को बहकाना शुरू कर दिया और रानी कैकेई से राजा दशरथ को बुलाकर अपने दो पुराने वचन मांगने को कहा। कैकेई ने राजा दशरथ से पहले वचन में श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास व भरत का राजतिलक का वचन मांगा। यह सुनकर राजा दशरथ मूर्छित हो गए। तत्पश्चात श्रीराम, सीता, लक्ष्मण के साथ वनों को प्रस्थान कर गए। इस मौके पर अध्यक्ष डॉ. प्रमोद शर्मा, अजय दिवकार, महेंद्र सिंह, राम प्रकाश शर्मा, दिनेश सिसोदिया, मोहित शर्मा समेत अन्य का सहयोग रहा।