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शिवपाल यादव वही, नेता व कार्यकर्ता वही पर राहें जुदा-जुदा

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव का मुरादाबाद मंडल में दो दिनी दौरा कुछ फीका रहा। सपा के दौर में आगे-पीछे घूमने वाले नेता भी उनसे बचते नजर आए।

By RashidEdited By: Published: Thu, 13 Dec 2018 12:44 AM (IST)Updated: Thu, 13 Dec 2018 05:42 AM (IST)
शिवपाल यादव वही, नेता व कार्यकर्ता वही पर राहें जुदा-जुदा
शिवपाल यादव वही, नेता व कार्यकर्ता वही पर राहें जुदा-जुदा

मुरादाबाद [राशिद सिद्दीकी] प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के मुखिया शिवपाल यादव का मुरादाबाद मंडल में दो दिवसीय दौरा वैसे तो सहकारी बैंक के सभापति के रूप में रहा। लेकिन असल में वह यहां अपने संगठन की सियासी जमीन तलाशने आए थे। कभी समाजवादी पार्टी में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले शिवपाल के मुरादाबाद आने पर तमाम अफसर, नेता और प्रबुद्ध लोगों का रेला जुटता था। उनके आने से लगता था कि मिनी मुख्यमंत्री आ गया है।

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न माला डाालने की होड़ न फोटो खिंचवाने की खींचतान 

यही नहीं सत्ता में नहीं होने पर भी शिवपाल के इर्द-गिर्द सपा नेताओं और क्षेत्र की जनता की भीड़ रहती थी। नेता आशीर्वाद लेने के लिए आतुर रहते थे तो जनता समस्या के समाधान की उम्मीद लेकर आती थी। मौजूदा दौरे में माहौल इसके विपरीत था।यहां सियासी जमीन तलाशने आए शिवपाल यादव के साथ गिने-चुने लोग ही रहे। न माला डालने की होड़ दिखी और न ही फोटो खिंचवाने की खींचतान। यही नहीं कुनबा बढ़ाने के लिए वह सम्भल में पुराने साथियों से मिलने उनके घर भी गए। जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष व प्रगतिशील सपा के मंडल अध्यक्ष राजेश यादव, जिलाध्यक्ष इसरार सैफी के अलावा चंद चेहरे ही उनके इर्दगिर्द दिखाई दिए।

नजदीकियों ने चुराई शिवपाल यादव से निगाहें 

मंडल अध्यक्ष राजेश यादव ने लोगों को एकत्र किया था। उनका परिचय शिवपाल यादव से कराया और सहयोग देने का भरोसा भी दिलाया गया। दरअसल, प्रसपा का अभी यहां संगठनात्मक आधार मजबूत नहीं है। पार्टी नेता अभी लोगों को जोडऩे के लिए जोड़तोड़ कर रहे हैं। कुछ लोगों को पुराने रिश्ते गिनाकर तो कुछ को भविष्य का सपना दिखाकर संगठन से जोड़ा जा रहा है। वैसे अभी तक जितने भी लोग पार्टी से जुड़ें हैं उसमें अधिकांश वे लोग हैं जो विभिन्न पार्टियों में हाशिये पर थे। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी में किसी बड़े नेता की धमाकेदार एंट्री अभी नहीं हो सकी है। हैरान करने वाली बात यह है कि प्रसपा का गठन होते ही शिवपाल यादव का हमेशा गुणगान करने वाले भी उनसे बचते नजर आए। एक-दो लोगों ने अनौपचारिक मुलाकात भी सार्वजनिक तौर पर नहीं की।

सेक्युलर ताकतों को करें मजबूतः शिवपाल यादव 

सुबह मीडिया से गुफ्तगू होने के बाद शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ चर्चा की। उन्होंने सेक्युलर ताकतों को मजबूत करने की नसीहत और भाजपा की नीतियों के खिलाफ अवाम को जागरूक करने की हिदायत दी। उन्होंने बताया कि नेता जी (मुलायम सिंह यादव) का आशीर्वाद उन्हें ही प्राप्त है, यह बात जनता तक पहुंचानी है। इस बीच जब मीडिया ने उनसे दौरे का मकसद जानना चाहा तो वह थोड़ा असहज भी हुए। हां, पत्रकारों से वार्ता के दौरान उनका सपा में सम्मान नहीं मिलने का दर्द छलका, उन्होंने सपा पर नीतियों से भटकने का आरोप भी लगाया।खास बात यह है कि सियासत रोज रंग बदलती है। राजनीति में सबकुछ संभव है। शिवपाल राजनीति के पुराने धुरंधर है, इसलिए फिर उनका दौर आ सकता है और पुराना जलवा भी कायम हो सकता है।  


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