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कश्मीरी आतंकियों के लिए अमरोहा में बनाए जा रहे राकेट लांचर

खुफिया एजेंसियों की रिमांड पर लिए गए सभी दस संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ में अमरोहा में राकेट लांचर बनाकर कश्मीर के आतंकियों को बेचने की जानकारी मिली है।

By RashidEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 01:23 AM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 05:55 AM (IST)
कश्मीरी आतंकियों के लिए अमरोहा में बनाए जा रहे राकेट लांचर
कश्मीरी आतंकियों के लिए अमरोहा में बनाए जा रहे राकेट लांचर

अमरोहा [आसिफ अली] एनआइए और अन्य खुफिया एजेंसियां रिमांड पर लिए गए सभी 10 संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ कर रही हैं। पूछताछ में मुफ्ती सुहैल व सईद-रईस ने जो जानकारी दी है वह बेहद चौंकाने वाली है। सूत्रों के अनुसार पूछताछ में पता चला है कि अमरोहा में दहशत की ऐसी इबारत लिखी जा रही थी जिसे अब झुठलाना शायद नामुमकिन है। अमरोहा में सईद व रईस की मदद से रॉकेट लांचर तैयार करा कर मुफ्ती सुहैल दिल्ली के रास्ते उन्हें जम्मू कश्मीर भेज रहा था। उस पर फिनिशिंग का काम जम्मू-कश्मीर में करके आतंकियों को एक से सवा लाख रुपये में बेचा जा रहा था। यानी घाटी में आतंकी अमरोहा में तैयार रॉकेट लांचर से दहशत फैला रहे हैं। मुमकिन है कि पाकिस्तान से भी इसके तार जुड़े हो सकते हैं। खुफिया एजेंसियां इसकी भी पड़ताल कर रही हैं।

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अमरोहा से पकड़े गए थे तीन संदिग्ध आतंकी 

बीती 26 दिसंबर को एनआइए और एटीएस द्वारा अमरोहा से आइएस के संगठन हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम से जुड़े संदिग्ध आतंकी मुफ्ती सुहैल, सईद, रईस व इरशाद पकड़े गए थे। मंगलवार को एनआइए की एक टीम सईद को लेकर अमरोहा भी आई थी। जबकि शेष से दिल्ली में पूछताछ जारी है। एनआइए से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को हुई पूछताछ में मुफ्ती सुहैल, रईस व इरशाद ने कई अहम जानकारियां दी हैं। सुहैल के इशारे पर अमरोहा के गांव सैदपुर इम्मा के सगे भाई सईद व रईस 10 से 12 हजार रुपये में देसी रॉकेट लांचर तैयार करते थे। सुहैल उनसे 20 से 25 हजार रुपये में एक लांचर खरीदता था। इसके बाद इरशाद के आटो से उन्हें प्राइवेट बस तक पहुंचाया जाता था। बस से दिल्ली के जाफराबाद तक टुकड़ों में कर रॉकेट लांचर पहुंचाए जाते थे। यह सिलसिला यहीं नहीं थमा।

पाकिस्तान के कनेक्शन की जांच शुरू 

सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में बैठ कर सुहैल जम्मू-कश्मीर के आतंकियों को एक से सवा लाख रुपये में एक रॉकेट लांचर बेचता था। वहां जाकर उस पर फिनिशिंग का काम कर तैयार किया जाता था तथा आतंकियों को दे दिया जाता था। एनआइए के सूत्र बताते हैं कि अब सुरक्षा एजेंसिया इस बात की पड़ताल भी कर रही हैं कि कहीं इसका कनेक्शन पाकिस्तान से तो नहीं है। 


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