जीवन के अंतिम पड़ाव पर मुस्कान का जरिया बनीं 'रीता' Moradabad News
77 साल की रीता खुद अपने जैसी कई बुजुर्ग महिलाओं की मुस्कान का जरिया बनीं हैं। असहाय महिलाओं के लिए उनका कार्य किसी युवा के हौसले से कम नहीं है।
मुरादाबाद (मेहंदी अशरफी)। जीवन में कई बसंत आते हैं, लेकिन पचास के बाद मानों जिंदगी पतझड़ जैसी हो जाती है। ऐसा पतझड़ जिसमें शायद अब नई कोपलें दोबारा नहीं खिलेंगी। ढ़लती उम्र में हौसला डिगने लगता है, शरीर पर पड़ी झुर्रियां मखमली सी चल रही जिंदगी पर भी स्पीड ब्रेकर सरीखी हो जातीं हैं। ऐसे में 77 साल की रीता खुद अपने जैसी कई बुजुर्ग महिलाओं की मुस्कान का जरिया बनीं हैं। असहाय महिलाओं के लिए उनका कार्य किसी युवा के हौसले से कम नहीं है।
बुध बाजार स्थित आर्य समाज कन्या इंटर कालेज के प्रधानाचार्य पद से 2002 में सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए काम शुरू किया। ऑल इंडिया वूमेन कांफ्रेंस से जुडऩे के साथ ही उन्होंने डेकेयर होम शुरू किया। इसमें महिलाओं की देखभाल की जा रही है। इन्हें हस्ताक्षर करना सिखाया गया। वहीं समय- समय पर धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कराए जाते हैं।
कीर्तन के साथ सूक्ष्म योग की क्लास
डेकेयर होम में वृद्ध महिलाओं को भजन कीर्तन कराया जाता है। इसके साथ ही फिट रहने के लिए जरूरी सूक्ष्म योग की क्लास लगाई जाती है। इसके अलावा उनका इलाज भी ऑल इंडिया वूमेन कांफ्रेंस के कार्यालय में साप्ताहिक चिकित्सा शिविर में किया जाता है। इसमें परीक्षण के साथ ही दवा उपलब्ध कराई जाती हैं।
गरीब बच्चों को सिखा रहीं संस्कार
ऑल इंडिया वूमेन कांफ्रेंस के कार्यालय के प्रथम तल पर नवीन नगर के गरीब बच्चों को संस्कार का पाठ पढ़ाया जाता है। जिन बच्चों को ङ्क्षहदी की वर्णमाला, अंग्रेजी में ए से जेड और गणित में एक से सौ तक की गिनती याद हो जाती है, उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाया जाता है।
ये बोली
ऐसे समय में जब वृद्ध का साथ देने में लोग कतराते हैं, मेरा प्रयास रहता है कि उनके चेहरों पर मुस्कान बनी रहे।
रीता सिंह, अध्यक्ष, ऑल इंडिया वूमेन कांफ्रेंस, शाखा मुरादाबाद