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जर्जर हाल में रामगंगा पुल, हादसे का इंतजार

मुरादाबाद : ईश्वर न करे कि शहर में वाराणसी जैसा हादसा हो। प्रदेश की राजधानी को जोड़ने व

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 May 2018 02:03 AM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 02:03 AM (IST)
जर्जर हाल में रामगंगा पुल, हादसे का इंतजार
जर्जर हाल में रामगंगा पुल, हादसे का इंतजार

मुरादाबाद : ईश्वर न करे कि शहर में वाराणसी जैसा हादसा हो। प्रदेश की राजधानी को जोड़ने वाले रामपुर रोड स्थित रामगंगा पुल की मियाद पूरी हुए दस साल बीत चुके हैं। 1960 में यह पुल बना था जिसकी मियाद 50 साल थी। मियाद पूरी होने के बाद भी इस पुल के पुन: निर्माण की न तो जन प्रतिनिधियों ने सुध ली और न सेतु निगम ने। पांच साल पहले इस पुल के बेय¨रग भी खराब हो चुके हैं। इंजीनियरों ने पुल को जैक से उठाकर बेय¨रग बदले थे। इस जर्जर पुल की हालत देखनी हो तो रामगंगा नदी में नीचे ऊतर कर देखिए। पिलर के पास कई जगह झुकाव भी हो गया है। पुल के ऊपर भी पैनल कमजोर हो चुके हैं।

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इस पुल का फुटपाथ व रेलिंग जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं। लकड़ियों व तारों से जहां टूटी रेलिंग को सहारा दिया गया है जो सेतु निगम पर सवाल खड़े करती है। जिला प्रशासन से लेकर जन प्रतिनिधि तक इस पुल से होकर गुजरते हैं। जर्जर पुल की ओर कभी ध्यान नहीं दिया। प्रदेश की राजधानी व उत्तराखंड को यह पुल जोड़ता है। वीआइपी इसी पुल से होकर गुजरते हैं। इसके बावजूद भी इस पुल को लेकर किसी ने संजीदगी नहीं दिखाई है।

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जर्जर होने के साथ संकरा भी हुआ पुल

रामपुर रोड का पुल जर्जर होने के साथ संकरा भी हो गया है। इसको फोरलेन करने की जरूरत है। गढ़ मुक्तेश्वर में 1975 में फ्लाई ओवर बना था। आठ साल पहले दूसरा नया पुल बन गया है। अब फोरलेन पुल होने से जाम की समस्या बहुत कम हो गई। रामगंगा नदी का पुल इससे 15 साल पहले बना था, अभी तक इसी जर्जर पुल पर वाहन दौड़ रहे हैं।

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रामगंगा पुल में ये आई दिक्कतें

-पिलर के पास क्षतिग्रस्त होने से आया झुकाव

-कई जगह सरिये भी चमकने लगे हैं

-पुल के बेय¨रग भी दे चुके हैं जवाब।

-पुल की रेलिंग भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है

-फुटपाथ में बड़े छेद होने से राहगीरों के साथ हो सकता है हादसा

-पुल के ऊपरी पैनल भी कई जगह से उखड़ गए हैं

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वर्जन

रामगंगा नदी के पुल का सर्वे किया जा चुका है और इसकी रिपोर्ट शासन को पत्र भेजकर दी जा चुकी है। टू लेन से फोरलेन पुल के निर्माण की आवश्यता जताई है। शासन से प्रस्ताव बनाने को मंजूरी नहीं मिली है।

-डीके गुप्ता, परियोजना अधिकारी, सेतु निगम।


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