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Rahat Indori death : ये सिर्फ अमरोहा नहीं, बल्कि राहत का अमरोहा है

शहर के तमाम लोगों से फोन पर उनकी बात होती थी। लेकिन अब राहत इंदौरी अमरोहा कभी नहीं आएंगे। उनके निधन को शहर के लोगों ने अदबी दुनिया के लिए बड़ा नुकसान करार दिया है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 02:17 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 02:17 PM (IST)
Rahat Indori death : ये सिर्फ अमरोहा नहीं, बल्कि राहत का अमरोहा है
Rahat Indori death : ये सिर्फ अमरोहा नहीं, बल्कि राहत का अमरोहा है

अमरोहा, जेएनएन। अपने अल्फाजों को शायरी में पिरो कर मुशायरों को जीतने वाले डॉ. राहत इंदौरी के निधन से अमरोहा में उनके चाहने वालों को गहरा सदमा लगा है। लगातार 23 साल तक अमरोहा के मुशायरों की शान बने रहने वाले राहत इंदौरी को यहां से बेहद लगाव रहा है। वह मंच से कहते थे कि ये सिर्फ अमरोहा नहीं बल्कि राहत का अमरोहा है। यहां के अदब व फन की राहत इंदौरी कद्र करते थे। 

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अमरोहा ने दुनिया को जॉन ऐलिया जैसे बड़े शायर दिए हैं। आज भी अमरोहा के शायर दुनियाभर में अपने फन से पहचाने जा रहे हैं। अदब के इस शहर से डॉ. राहत इंदौरी का 23 साल तक गहरा रिश्ता रहा है। मंगलवार को उनके निधन की खबर सुनकर अमरोहा के उनके चाहने वालों को सदमा लगा है। राहत इंदौरी के अमरोहा से लगाव के बारे में उत्तर प्रदेश उर्दू अदब सोसायटी के अध्यक्ष कौसर अब्बासी बताते हैं कि डॉ. राहत इंदौरी अमरोहा को अपना दूसरा घर बताते थे। कहते थे कि यह सिर्फ अमरोहा नहीं बल्कि राहत का अमरोहा है। चूंकि अमरोहा भी अदब का शहर है। उन्होंने बताया कि वह सबसे पहले मेरे बुलावे पर वर्ष 1990 में अमरोहा में पहले मुशायरे में आए थे। उसके बाद से न सिर्फ यहां के लोग उनकी शायरी में डूब गए बल्कि राहत इंदौरी खुद यहां की मेहमाननवाजी के कायल हो गए थे। उसके बाद से लगभग हर साल वह अमरोहा के मुशायरों में शिरकत करते थे।

श्री अब्बासी ने बताया कि अंतिम बार वह वर्ष 2013 में आइएम इंटर कालेज के मैदान में मुनव्वर राणा व ताहिर फराज जैसे शायरों के साथ आए थे। परंतु बारिश होने के कारण मुशायरा बीच में ही रोकना पड़ा। उस समय तक राहत इंदौरी ने शेर नहीं सुनाए थे। लिहाजा बारिश रुकने के बाद उनके चाहने वालों ने हंगामा शुरू कर दिया था। वह हर बार मुशायरे के बाद अगली सुबह हजरत शाह विलायत दरगाह हाजिरी लगाने जरूर जाते थे। श्री अब्बासी कहते हैं कि डॉ. राहत के निधन से उर्दू अदब को बड़ा नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई नहीं हो पाएगी। श्री अब्बासी ने दो महीना पहले ही उनके फोन पर बात की थी। उस वक्त भी उन्होंने अमरोहा के बारे में पूछा था। 


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